मई 2024, अंक 45 में प्रकाशित

अगले दशक में विश्व युद्ध की आहट

हाल ही में यू–गोव संस्था ने अमरीका में एक नया सर्वे किया है जिसके अनुसार 61 प्रतिशत अमरीकी मानते हैं कि अगले पाँच से दस वर्षों में विश्व युद्ध छिड़ने की बहुत अधिक सम्भावना है। उनमें से लगभग दो–तिहाई लोगों ने कहा कि विश्व युद्ध परमाणु संघर्ष में बदल सकता है। यह इनसानियत के लिए चिन्ता की बात है और आगामी युद्ध में कितना नुकसान होगा, इसकी कल्पना करने से शरीर में सिहरन पैदा हो जाती है क्योंकि परमाणु हथियारों की मारक क्षमता के घेरे से बाहर धरती की कोई चीज नहीं है। यह भी हो सकता है कि परमाणु युद्ध पूरी धरती को तबाह कर दे या इनसानी नस्ल को ही मिटा दे!

यह पूछने पर कि अमरीका के खिलाफ कौन से देश लड़ेंगे, अधिकांश लोगों ने जवाब दिया कि अमरीका के खिलाफ रूस और चीन के साथ उत्तर कोरिया, ईरान, इराक, तुर्की आदि शामिल रहेंगे और हो सकता है कि देर–सबेर क्यूबा, वेनेजुएला, निकारागुआ, सीरिया, यमन और जिम्बाब्वे भी इस खेमे में शामिल हो जायें। दूसरी ओर फ्रांस और ब्रिटेन जैसे नाटो देश के साथ–साथ इजराइल और यूक्रेन भी आगामी विश्व युद्ध में अमरीका के सहयोगी रहेंगे। लोगों ने इस युद्ध में अमरीका के हार जाने की सम्भावना भी जतायी। काफी बड़ी संख्या में उत्तर देने वालों ने कहा कि वे युद्ध में सेवा नहीं देंगे, हाँ यदि मातृभूमि को खतरा हुआ तो वे सेवा दे सकते हैं।

यह सर्वे ऐसे समय आयोजित किया गया जब अमरीका यूक्रेन की आड़ में रूस के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है। अमरीका की शह पर इजराइल गाजा के नागरिकों का कत्लेआम कर रहा है और दुनिया के कई क्षेत्र तनाव की स्थिति से गुजर रहे हैं। हालाँकि बाइडेन के नेतृत्व में अमरीका को अफगानिस्तान से बेइज्जत होकर जाना पड़ा, लेकिन वह मध्य पूर्व में अपनी खोई ताकत को फिर से हासिल करना चाहता है। इसी के चलते क्षेत्रीय युद्ध में इजराइल को बढ़ावा दे रहा है। तेल अवीव को बम का जखीरा भेज रहा है और यमन, इराक और सीरिया पर भी बमबारी से बाज नहीं आ रहा है। इस इलाके में ईरान और लेबनान के हिजबुल्लाह भी अमरीका के खिलाफ लड़ रहे हैं। ईरान ने इजराइल के उकसावे का जवाब देते हुए उस पर मिसाइलों और रॉकेटों से ताबड़तोड़ हमला भी बोल दिया है।

एशिया–प्रशान्त क्षेत्र में अमरीका तनाव को भड़का रहा है। वह उत्तर कोरिया और चीन को उकसा रहा है ताकि वे भी ताइवान और जापान के खिलाफ हमलावर हों और अमरीका इस हालत का फायदा उठा सके। यह क्षेत्र भी उबल रहा है। दक्षिण चीन सागर में अमरीका और चीन आमने–सामने हैं।

विश्व अर्थव्यवस्था का संकट भी विकसित देशों के बीच तनाव भड़काने में अहम भूमिका निभा रहा है। मौजूदा समय में न केवल रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया को अमरीकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि क्यूबा, वेनेजुएला, निकारागुआ, सीरिया, यमन और जिम्बाब्वे भी प्रतिबन्धों से त्रस्त हैं। इसके चलते अमरीका विरोधी गुट में देशों की संख्या बढ़ती जा रही है।

सबसे बड़ी चिन्ता की बात यह है कि अमरीका का सैन्य बजट बढ़ता जा रहा है। 2022 में वास्तविक अमरीकी सैन्य खर्च 1537 अरब डॉलर तक पहुँच गया जो स्वीकृत स्तर 765–8 अरब डॉलर से दोगुने से अधिक है। यह राशि दुनिया के सबसे गरीब 72 करोड़ लोगों को भोजन, शिक्षा और इलाज की सुविधा प्रदान करने के लिए बहुत अधिक है। लेकिन अमरीका दुनिया पर अपनी मनमर्जी थोपने और देशों को गुलाम बनाने के अपने मंसूबे को पूरा करने के लिए युद्ध का आकांक्षी है। यह दुनिया की जनता को तय करना है कि वह इन युद्धोन्मादियों और रक्तपिपासुओं का साथ देती है या इनके खिलाफ एकजुट होकर युद्ध के खिलाफ शान्ति के लिए संघर्ष करती है।

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