भारत–इजराइल साझेदारी को मिली एक वैचारिक कड़ी
–– अनुपमा कटकम
26 अगस्त, 2019 को, इण्डो–इजरायल फ्रेण्डशिप एसोसिएशन नामक एक अल्प–ज्ञात संगठन ने मुम्बई विश्वविद्यालय में यहूदीवाद और हिन्दुत्व पर एक बातचीत की मेजबानी की। मुख्य वक्ता डॉ– सुब्रमण्यम स्वामी थे, जो राज्यसभा सदस्य हैं और गदी ताउब, जो हिब्रू विश्वविद्यालय येरुशलम में प्रोफेसर हैं आयोजन का प्रचार करने वाले पोस्टर में हिन्दुत्व विचारक वी– डी– सावरकर के साथ यहूदीवाद के प्रवर्तक थियोडोर हर्जल के फोटो लगे थे।
वक्ताओं और विषय को लेकर काफी आकर्षण था, क्योंकि विश्वविद्यालय का विशाल दीक्षान्त हॉल पूरी तरह भरा हुआ था। सुरक्षा काफी कड़ी थी क्योंकि इजरायल के महावाणिज्य दूत और एक सांसद वहाँ मौजूद थे। हॉल के दरवाजे अन्दर से बोल्ट किये गये थे और दुर्जेय दिखने वाले सुरक्षा एजेंटों द्वारा लगातार निगरानी की जा रही थी।
इस तरह के व्याख्यानों से लगता है कि भारत–इजरायल का सम्पर्क हथियारों की खरीद और आतंक से निपटने की सलाह लेने से कहीं अधिक गहरा है। कार्यक्रम में दो घंटे, ऐसा लग रहा था कि वर्तमान सत्ता ने अपने एजेण्डे को फैलाने के लिए इजराइल को सहयोगी बनाया है। पहले तो, विश्वविद्यालय हॉल सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए इतनी आसानी से उपलब्ध नहीं होता है, फिर भी तथ्य यह है कि एक छोटा–सा संगठन इसे बुक कराने, सुरक्षा प्राप्त करने और दर्शकों की भीड़ सुनिश्चित करने का प्रबन्धन कर सकता है, यह अपने आप ही बहुत कुछ कहता है। विश्वविद्यालय के सूत्र ने कहा कि काफी पैसेवाले संगठनों को भी हॉल मिलना मुश्किल होता है।
सावरकर : द ट्रू स्टोरी ऑफ हिन्दुत्वा के लेखक और पेशे से एक पत्रकार वैभव पुरन्दरे द्वारा संचालित इस चर्चा का दायरा, दो विचारधाराओं के बीच समानता खोजने से लेकर, जिसके बारे में वक्ताओं ने दावा किया कि ये “वर्चस्ववादी या चरमपंथी नहीं हैं”, से लेकर “घर वापसी” आन्दोलन तक फैला हुआ था। ताउब और सुब्रमण्यम स्वामी ने लोकतंत्र और राष्ट्रवाद पर दो घंटे तक बात की। ताउब ने अपनी बात के समर्थन में कुछ ऐतिहासिक आँकड़े दिये, जबकि सुब्रमण्यम स्वामी ने महाकाव्यों के कुछ सन्दर्भों का उल्लेख किया और बताया कि उन्होंने भारतीय संविधान बनाने में कैसे भूमिका निभायी। दोनों ने “वर्तमान खलनायकों”–– वामपंथियों, समाजवादियों और उदारवादियों पर हमला किया, जैसा कि दर्शकों में किसी ने माँग की थी।
चर्चा की शुरुआत करते हुए, सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि भारत का यहूदी लोगों के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है क्योंकि जब उन्होंने सैकड़ों साल पहले शरण की माँग की, तो देश ने उनका स्वागत किया था। हिन्दुत्व पर बोलते हुए, उन्होंने कहा–– “यह एक आस्था प्रणाली है, जिसका उपयोग हम अपनी दिन–प्रतिदिन की गतिविधियों में करते हैं और यहूदीवाद की तरह ही, यह सक्रिय धर्मान्तरण में विश्वास नहीं करता है।” सुब्रह्मण्यम स्वामी ने “घर वापसी” आन्दोलन को सही ठहराते हुए कहा कि देश में जो भी दूसरे धर्म मौजूद हैं, वे जबरन धर्मांतरण से उभरे हैं। उन्होंने दावा किया कि कई लोगों ने अपने को फिर से हिन्दू बनाने का तरीका खोजते हुए विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) से सम्पर्क किया था।
ताउब ने यहूदीवाद पर अपनी चर्चा अपेक्षतया शान्ति से शुरू की लेकिन अन्तत: दर्शकों को यह विश्वास दिलाने का काम किया कि आधुनिक राष्ट्रवाद एक राष्ट्र राज्य के अस्तित्व का बेहतर तरीका था। उन्होंने कहा–– “लोकतंत्र और राष्ट्रवाद एक दूसरे के खिलाफ नहीं हैं। वे एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। आधुनिक राष्ट्रवाद आज जवाब है और यह आम अच्छाई के लिए एक राय है।”
उसी रुझान के साथ, प्रोफेसर ने कहा कि अगर राष्ट्रवाद को अनुमति मिलती है तो समाज का एक सौम्य रूप होगा। यदि इसे रोका गया, तो समाज का एक हिंसक रूप होगा। उन्होंने कहा कि भारत में राष्ट्रवाद के बढ़ते स्तर को देखकर उन्हें खुशी हुई और यह अफसोस की बात है कि उदारवाद लोकतंत्र पर हमला कर रहा है।
सांस्कृतिक और शैक्षणिक समुदायों के सदस्यों से मिलकर बना, द इण्डियन कल्चरल फोरम ने इस आयोजन के खिलाफ एक बयान जारी किया। मीडिया को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है–– “भारत और भारतीयों के लिए इसका क्या मायने है? ये गठबन्धन ब्राण्ड इजराइल परियोजना को पूरा करता है, जो रंगभेदी सरकार की फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ अपने कब्जे, रंगभेद और बसावट वाले उपनिवेशवाद को दुनिया भर में “ बढ़ती साझेदारी” के जरिये छुपाने की पूरी रणनीति है। मोदी शासन में इसे एक उत्कट साझेदार मिल गया है, जो इजरायल के हथियारों के कुल निर्यात का सबसे बड़ा हिस्सा खरीद रहा है, उसके अस्थिर और कॉर्पोरेट खेती मॉडल को बजट आवंटित कर रहा है और यहाँ तक कि इजराइल के अपराधों को ढकने के काम में हिन्दी फिल्म उद्योग को भी लगा रहा है।
जिन हथियारों को इजरायल ने फिलिस्तीनी निकायों पर ‘फील्ड–टेस्ट’ किया, आज वे कश्मीर में तैनात किये जा रहे हैं। अनुच्छेद 370 और 35–ए को निरस्त करने और जनसांख्यिकीय बदलावों के से उत्पन्न खतरा भी, कब्जे वाले वेस्ट बैंक में अवैध बस्तियों के माध्यम से “जमीनी तथ्य” गढ़ने के इजरायली मैनुअल से लिया गया है। भारत की इजरायल बनाने की फंतासी इस शासन और उसके समर्थकों के लिए बहुत मोहक सपना है।”
(‘द हिन्दू’ से साभार)
Leave a Comment
लेखक के अन्य लेख
- राजनीति
-
- 106 वर्ष प्राचीन पटना संग्रहालय के प्रति बिहार सरकार का शत्रुवत व्यवहार –– पुष्पराज 19 Jun, 2023
- इलेक्टोरल बॉण्ड घोटाले पर जानेमाने अर्थशास्त्री डॉक्टर प्रभाकर का सनसनीखेज खुलासा 6 May, 2024
- कोरोना वायरस, सर्विलांस राज और राष्ट्रवादी अलगाव के खतरे 10 Jun, 2020
- जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का तर्कहीन मसौदा 21 Nov, 2021
- डिजिटल कण्टेण्ट निर्माताओं के लिए लाइसेंस राज 13 Sep, 2024
- नया वन कानून: वन संसाधनों की लूट और हिमालय में आपदाओं को न्यौता 17 Nov, 2023
- नये श्रम कानून मजदूरों को ज्यादा अनिश्चित भविष्य में धकेल देंगे 14 Jan, 2021
- बेरोजगार भारत का युग 20 Aug, 2022
- बॉर्डर्स पर किसान और जवान 16 Nov, 2021
- मोदी के शासनकाल में बढ़ती इजारेदारी 14 Jan, 2021
- सत्ता के नशे में चूर भाजपाई कारकूनों ने लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से रौंदा 23 Nov, 2021
- हरियाणा किसान आन्दोलन की समीक्षा 20 Jun, 2021
- सामाजिक-सांस्कृतिक
-
- एक आधुनिक कहानी एकलव्य की 23 Sep, 2020
- किसान आन्दोलन के आह्वान पर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 20 Jun, 2021
- गैर बराबरी की महामारी 20 Aug, 2022
- घोस्ट विलेज : पहाड़ी क्षेत्रों में राज्यप्रेरित पलायन –– मनीषा मीनू 19 Jun, 2023
- दिल्ली के सरकारी स्कूल : नवउदारवाद की प्रयोगशाला 14 Mar, 2019
- पहाड़ में नफरत की खेती –– अखर शेरविन्द 19 Jun, 2023
- सबरीमाला मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश पर राजनीति 14 Dec, 2018
- साम्प्रदायिकता और संस्कृति 20 Aug, 2022
- हमारा जार्ज फ्लायड कहाँ है? 23 Sep, 2020
- ‘प्रतिरोध की संस्कृति’ पर केन्द्रित ‘कथान्तर’ का विशेषांक 13 Sep, 2024
- व्यंग्य
-
- अगला आधार पाठ्यपुस्तक पुनर्लेखन –– जी सम्पत 19 Jun, 2023
- आजादी को आपने कहीं देखा है!!! 20 Aug, 2022
- इन दिनों कट्टर हो रहा हूँ मैं––– 20 Aug, 2022
- नुसरत जहाँ : फिर तेरी कहानी याद आयी 15 Jul, 2019
- बडे़ कारनामे हैं बाबाओं के 13 Sep, 2024
- साहित्य
-
- अव्यवसायिक अभिनय पर दो निबन्ध –– बर्तोल्त ब्रेख्त 17 Feb, 2023
- औपनिवेशिक सोच के विरुद्ध खड़ी अफ्रीकी कविताएँ 6 May, 2024
- किसान आन्दोलन : समसामयिक परिदृश्य 20 Jun, 2021
- खामोश हो रहे अफगानी सुर 20 Aug, 2022
- जनतांत्रिक समालोचना की जरूरी पहल – कविता का जनपक्ष (पुस्तक समीक्षा) 20 Aug, 2022
- निशरीन जाफरी हुसैन का श्वेता भट्ट को एक पत्र 15 Jul, 2019
- फासीवाद के खतरे : गोरी हिरणी के बहाने एक बहस 13 Sep, 2024
- फैज : अँधेरे के विरुद्ध उजाले की कविता 15 Jul, 2019
- “मैं” और “हम” 14 Dec, 2018
- समाचार-विचार
-
- स्विस बैंक में जमा भारतीय कालेधन में 50 फीसदी की बढ़ोतरी 20 Aug, 2022
- अगले दशक में विश्व युद्ध की आहट 6 May, 2024
- अफगानिस्तान में तैनात और ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों की आत्महत्या 14 Jan, 2021
- आरओ जल–फिल्टर कम्पनियों का बढ़ता बाजार 6 May, 2024
- इजराइल–अरब समझौता : डायन और भूत का गठबन्धन 23 Sep, 2020
- उत्तर प्रदेश : लव जेहाद की आड़ में धर्मान्तरण के खिलाफ अध्यादेश 14 Jan, 2021
- उत्तर प्रदेश में मीडिया की घेराबन्दी 13 Apr, 2022
- उनके प्रभु और स्वामी 14 Jan, 2021
- एआई : तकनीकी विकास या आजीविका का विनाश 17 Nov, 2023
- काँवड़ के बहाने ढाबों–ढेलों पर नाम लिखाने का साम्प्रदायिक फरमान 13 Sep, 2024
- किसान आन्दोलन : लीक से हटकर एक विमर्श 14 Jan, 2021
- कोयला खदानों के लिए भारत के सबसे पुराने जंगलों की बलि! 23 Sep, 2020
- कोरोना जाँच और इलाज में निजी लैब–अस्पताल फिसड्डी 10 Jun, 2020
- कोरोना ने सबको रुलाया 20 Jun, 2021
- क्या उत्तर प्रदेश में मुसलमान होना ही गुनाह है? 23 Sep, 2020
- क्यूबा तुम्हारे आगे घुटने नहीं टेकेगा, बाइडेन 16 Nov, 2021
- खाली जेब, खाली पेट, सर पर कर्ज लेकर मजदूर कहाँ जायें 23 Sep, 2020
- खिलौना व्यापारियों के साथ खिलवाड़ 23 Sep, 2020
- छल से वन अधिकारों का दमन 15 Jul, 2019
- छात्रों को शोध कार्य के साथ आन्दोलन भी करना होगा 19 Jun, 2023
- त्रिपुरा हिंसा की वह घटना जब तस्वीर लेना ही देशद्रोह बन गया! 13 Apr, 2022
- दिल्ली उच्च न्यायलय ने केन्द्र सरकार को केवल पाखण्डी ही नहीं कहा 23 Sep, 2020
- दिल्ली दंगे का सबक 11 Jun, 2020
- देश के बच्चे कुपोषण की गिरफ्त में 14 Dec, 2018
- न्यूज चैनल : जनता को गुमराह करने का हथियार 14 Dec, 2018
- बच्चों का बचपन और बड़ों की जवानी छीन रहा है मोबाइल 16 Nov, 2021
- बीमारी से मौत या सामाजिक स्वीकार्यता के साथ व्यवस्था द्वारा की गयी हत्या? 13 Sep, 2024
- बुद्धिजीवियों से नफरत क्यों करते हैं दक्षिणपंथी? 15 Jul, 2019
- बैंकों की बिगड़ती हालत 15 Aug, 2018
- बढ़ते विदेशी मरीज, घटते डॉक्टर 15 Oct, 2019
- भारत देश बना कुष्ठ रोग की राजधानी 20 Aug, 2022
- भारत ने पीओके पर किया हमला : एक और फर्जी खबर 14 Jan, 2021
- भीड़ का हमला या संगठित हिंसा? 15 Aug, 2018
- मजदूरों–कर्मचारियों के हितों पर हमले के खिलाफ नये संघर्षों के लिए कमर कस लें! 10 Jun, 2020
- महाराष्ट्र के कपास किसानों की दुर्दशा उन्हीं की जबानी 23 Sep, 2020
- महाराष्ट्र में कर्मचारी भर्ती का ठेका निजी कम्पनियों के हवाले 17 Nov, 2023
- महाराष्ट्र में चार सालों में 12 हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की 15 Jul, 2019
- मानव अंगों की तस्करी का घिनौना व्यापार 13 Sep, 2024
- मौत के घाट उतारती जोमैटो की 10 मिनट ‘इंस्टेण्ट डिलीवरी’ योजना 20 Aug, 2022
- यूपीएससी की तैयारी में लगे छात्रों की दुर्दशा, जिम्मेदार कौन? 13 Sep, 2024
- राजस्थान में परमाणु पावर प्लाण्ट का भारी विरोध 13 Sep, 2024
- रेलवे का निजीकरण : आपदा को अवसर में बदलने की कला 23 Sep, 2020
- लोग पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए क्यों लड़ रहे हैं 17 Nov, 2023
- विधायिका में महिला आरक्षण की असलियत 17 Nov, 2023
- वैश्विक लिंग असमानता रिपोर्ट 20 Aug, 2022
- श्रीलंका पर दबाव बनाते पकड़े गये अडानी के “मैनेजर” प्रधानमंत्री जी 20 Aug, 2022
- संस्कार भारती, सेवा भारती––– प्रसार भारती 14 Jan, 2021
- सत्ता–सुख भोगने की कला 15 Oct, 2019
- सरकार द्वारा लक्ष्यद्वीप की जनता की संस्कृति पर हमला और दमन 20 Jun, 2021
- सरकार बहादुर कोरोना आपके लिए अवसर लाया है! 10 Jun, 2020
- सरकार, न्यायपालिका, सेना की आलोचना करना राजद्रोह नहीं 15 Oct, 2019
- सरकारी विभागों में ठेका कर्मियों का उत्पीड़न 15 Aug, 2018
- हम इस फर्जी राष्ट्रवाद के सामने नहीं झुकेंगे 13 Apr, 2022
- हाथरस की भगदड़ में मौत का जिम्मेदार कौन 13 Sep, 2024
- हुकुम, बताओ क्या कहूँ जो आपको चोट न लगे। 13 Apr, 2022
- कहानी
-
- जामुन का पेड़ 8 Feb, 2020
- पानीपत की चैथी लड़ाई 16 Nov, 2021
- माटी वाली 17 Feb, 2023
- समझौता 13 Sep, 2024
- विचार-विमर्श
-
- अतीत और वर्तमान में महामारियों ने बड़े निगमों के उदय को कैसे बढ़ावा दिया है? 23 Sep, 2020
- अस्तित्व बनाम अस्मिता 14 Mar, 2019
- क्या है जो सभी मेहनतकशों में एक समान है? 23 Sep, 2020
- क्रान्तिकारी विरासत और हमारा समय 13 Sep, 2024
- दिल्ली सरकार की ‘स्कूल्स ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सलेंस’ की योजना : एक रिपोर्ट! 16 Nov, 2021
- धर्म की आड़ 17 Nov, 2023
- पलायन मजा या सजा 20 Aug, 2022
- राजनीति में आँधियाँ और लोकतंत्र 14 Jun, 2019
- लीबिया की सच्चाई छिपाता मीडिया 17 Nov, 2023
- लोकतंत्र के पुरोधाओं ने लोकतंत्र के बारे में क्या कहा था? 23 Sep, 2020
- विकास की निरन्तरता में–– गुरबख्श सिंह मोंगा 19 Jun, 2023
- विश्व चैम्पियनशिप में पदक विजेता महिला पहलवान विनेश फोगाट से बातचीत 19 Jun, 2023
- सरकार और न्यायपालिका : सम्बन्धों की प्रकृति क्या है और इसे कैसे विकसित होना चाहिए 15 Aug, 2018
- श्रद्धांजलि
- कविता
-
- अपने लोगों के लिए 6 May, 2024
- कितने और ल्हासा होंगे 23 Sep, 2020
- चल पड़ा है शहर कुछ गाँवों की राह 23 Sep, 2020
- बच्चे काम पर जा रहे हैं 19 Jun, 2023
- अन्तरराष्ट्रीय
-
- अमरीका बनाम चीन : क्या यह एक नये शीत युद्ध की शुरुआत है 23 Sep, 2020
- इजराइल का क्रिस्टालनाख्त नरसंहार 17 Nov, 2023
- क्या लोकतन्त्र का लबादा ओढ़े अमरीका तानाशाही में बदल गया है? 14 Dec, 2018
- पश्चिम एशिया में निर्णायक मोड़ 15 Aug, 2018
- प्रतिबन्धों का मास्को पर कुछ असर नहीं पड़ा है, जबकि यूरोप 4 सरकारें गँवा चुका है: ओरबान 20 Aug, 2022
- बोलीविया में तख्तापलट : एक परिप्रेक्ष्य 8 Feb, 2020
- भारत–इजराइल साझेदारी को मिली एक वैचारिक कड़ी 15 Oct, 2019
- भोजन, खेती और अफ्रीका : बिल गेट्स को एक खुला खत 17 Feb, 2023
- महामारी के बावजूद 2020 में वैश्विक सामरिक खर्च में भारी उछाल 21 Jun, 2021
- लातिन अमरीका के मूलनिवासियों, अफ्रीकी मूल के लोगों और लातिन अमरीकी संगठनों का आह्वान 10 Jun, 2020
- सउ़दी अरब की साम्राज्यवादी विरासत 16 Nov, 2021
- ‘जल नस्लभेद’ : इजराइल कैसे गाजा पट्टी में पानी को हथियार बनाता है 17 Nov, 2023
- राजनीतिक अर्थशास्त्र
- साक्षात्कार
-
- कम कहना ही बहुत ज्यादा है : एडुआर्डो गैलियानो 20 Aug, 2022
- चे ग्वेरा की बेटी अलेदा ग्वेरा का साक्षात्कार 14 Dec, 2018
- फैज अहमद फैज के नजरिये से कश्मीर समस्या का हल 15 Oct, 2019
- भारत के एक बड़े हिस्से में मर्दवादी विचार हावी 15 Jul, 2019
- अवर्गीकृत
-
- एक अकादमिक अवधारणा 20 Aug, 2022
- डीएचएफएल घोटाला : नवउदारवाद की एक और झलक 14 Mar, 2019
- फिदेल कास्त्रो सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के हिमायती 10 Jun, 2020
- बायोमेडिकल रिसर्च 14 Jan, 2021
- भाषा और साहित्य के क्षेत्र में भारत को मुसलमानों का महान स्थायी योगदान 23 Sep, 2020
- सर्वोच्च न्यायलय द्वारा याचिकाकर्ता को दण्डित करना, अन्यायपूर्ण है. यह राज्य पर सवाल उठाने वालों के लिए भयावह संकेत है 20 Aug, 2022
- जीवन और कर्म
- मीडिया
-
- मीडिया का असली चेहरा 15 Mar, 2019
- फिल्म समीक्षा
-
- समाज की परतें उघाड़ने वाली फिल्म ‘आर्टिकल 15’ 15 Jul, 2019