जनता की निगरानी : क्यों और कैसे?

सन्देशवाहकों, दूतों, पक्षियों–कबूतरों के सहारे शुरू हुई सन्देश भेजने की प्रक्रिया चिट्ठी, डाक, पोस्ट और टेलीग्राफ से विकसित होते हुए तार और लैंडलाइन फोन तक पहुँची। जो आज कृत्रिम उपग्रह के माध्यम से मोबाइल और इंटरनेट के रूप में दुनिया के लगभग सभी लोगों को आपस में जोड़े हुए है। शुरू–शुरू में अपने सन्देश की गोपनीयता के लिए लोग भरोसेमन्द सन्देशवाहक इस्तेमाल करते थे, जिसको चुनने में वे पूरी तरह स्वतंत्र होते थे। वे उन्हें यह भरोसा दिलाते थे कि उनका सन्देश बिना पढ़े और बिना किसी बदलाव (हेर–फेर) के पाने वाले तक पहुँचेगा, इसकी जानकारी सिर्फ सन्देश भेजने वाले और पाने वाले को होगी। यह एक धीमी प्रक्रिया थी। इस दौरान सन्देशवाहकों के साथ हुए किसी भी तरह के गलत व्यवहार से लोग सतर्क हो जाते थे और सन्देश को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाते थे। लेकिन आज सेकण्ड के कुछ हिस्सों में ही हम अपने सन्देश को… आगे पढ़ें

पत्रकारिता की दशा और दिशा

कुछ साल पहले एक बड़े पत्रकार साहब ने एक बार करीब चार सौ पेज की डिमाई आकार की अपनी एक किताब हमें सहर्ष भेंट की। हमने भी खुशी–खुशी स्वीकार कर ली। उसे घर लाए। कुछ दिनों में उसमें से जो–जो हमारे लिए जानकारीपरक हो सकता था–– पढ़ा। अगली मुलाकात में हमने उनसे कहा कि अच्छी परिचयात्मक पुस्तक है मगर इसमें फलाँ अन्तर्विरोध बहुत स्पष्ट हैंं। वह भौंचक हमारा मुँह देखने लगे, इसलिए नहीं कि हमने क्यों उनकी आलोचना करने की जुर्रत की। वह हमारी तरफ भौंचक होकर शायद देख इसलिए रहे थे कि उन्होंने खुद अपनी किताब पढ़ी नहीं थी, इसलिए उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था। हमने टापिक बदला और बात दूसरी शुरू की। उनका खोया हुआ आत्मविश्वास लौटा। अब इसका अर्थ आप जो भी लगाना चाहें, लगाएँँ मगर आप मुझसे यह न कहलवाएँ कि वह किताब हालाँकि उनके नाम से छपी थी मगर उन्होंने लिखी नहीं थी… आगे पढ़ें

फेक न्यूज के शिकंजे में भारत

अजहर  14 Dec, 2018 | मीडिया

झूठी खबर फैलाने की शुरूआत भले ही भाजपा आइटी सेल ने की हो लेकिन अब इस मामले में कोई पार्टी किसी से पीछे नहीं है। कुछ घटनाएँ देखिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शिक्षा को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कई बार सवाल उठाया है। इसी से जुड़ी खबर को कांगे्रस ने विकृत किया–– यह काम कांगे्रस के आईटी सेल ने प्रधानमंत्री के दो दशक पुराने साक्षात्कार के वीडियो को तोड़–मरोड़ कर किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एक छोटी लड़की से राहुल गाँधी को पप्पू कहलवाया गया, कर्नाटक में मस्जिद तोड़ने पर मन्दिर निकाला गया। आम आदमी पार्टी द्वारा नीदरलैंड के ब्रिज को दिल्ली का सिग्नेचर ब्रिज बता कर शेयर किया गया, भाजपा सरकार द्वारा वर्ष 2015 से 2017 के बीच विश्व बैंक से एक रुपये भी कर्ज न लेने की खबर फैलायी गयी, भोजपुरी फिल्म के दृश्य को बीएसपी नेता द्वारा दलित महिला के साथ बदसुलूकी बता कर… आगे पढ़ें

फेक न्यूज, ट्रोलिंग और फोटो, वीडियो एडिटिंग : भाजपा की चुनावी रणनीति

अक्सर सोशल मीडिया के ‘फेक न्यूज’ (झूठ खबर) की पोल तो खुलती ही रही है, लेकिन जब सत्ता में शामिल कोई आदमी इस काम को सचेत रूप में करता है, तब हमें और भी ज्यादा सजग और होशियार हो जाना चाहिए और हर खबर को सच की कसौटी पर कसकर परखना चाहिए।  हम सभी जानते हैं कि 2014 के संसदीय चुनाव और उसके बाद कई राज्यों के चुनाव हुए और उनमें भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई। इसे भाजपा ने ‘मोदी लहर’ कहकर देशभर में प्रचारित किया। दरअसल यह ‘मोदी लहर’ नहीं थी, बलिक चुनाव को अपने पक्ष में करने की सोची–समझी रणनीति का नतीजा थी। यह रणनीति और कुछ नहीं, वर्षों से चली आ रही तीन–तिकड़मों का नयी तकनीक के माध्यम से नया अवतार है। एक समय भाजपा के डेटा विश्लेषक रहे शिवम शंकर सिंह का कहना है कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए देशभर में जातिवाद फैलाने और… आगे पढ़ें

मीडिया का असली चेहरा

 15 Mar, 2019 | मीडिया

किसी भी लोकतांत्रिक देश के तीन मुख्य आधार स्तम्भ माने गये हैं–– विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, इसके बाद चैथा स्तम्भ माना जाता है–– मीडिया, जो बाकी के स्तम्भों पर नजर रखता है। इसलिए इसे लोकतंत्र का प्रथम प्रहरी भी कहा जाता है। मीडिया किसी भी राष्ट्र के निर्माण में जनता को सक्रिय भागीदार बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है। यह समाज कल्याण के मुद्दों पर जनता को जागरूक कर सकता है। मीडिया सभ्यताओं और संस्कृतियों के बीच मेल–जोल बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में भी बढ़–चढ़ के हिस्सा ले सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत में मुख्य धारा का मीडिया अपनी जिम्मेदारी निभाता है? अगर नहीं निभाता है तो क्यों? भारत में मीडिया का जो स्वरूप आज है, वह किसी भी स्वस्थ लोकतांत्रिक देश के लिए चिन्ता का विषय है। अगर हम मीडिया के मौजूदा हालात पर सभी पहलुओं से… आगे पढ़ें