उत्तर प्रदेश : लव जेहाद की आड़ में धर्मान्तरण के खिलाफ अध्यादेश
25 नवम्बर को टाइम्स ऑफ इण्डिया के पहले पन्ने पर ‘जबरदस्ती धर्मान्तरण’ और ‘लव जेहाद’ से सम्बन्धित तीन खबरें हैं। पहली खबर विधायिका, दूसरी कार्यपालिका और तीसरी न्यायपालिका की कार्यवाही से सम्बन्धित है। जो हमारे देश में लोकतन्त्र को संचालित करने वाली शासन प्रणाली के तीन अंग हैं। देखें कि इन तीनों की गतिविधियों में कितना तालमेल है और व्यवस्था के तीनों अंग एक ही मुद्दे को किस तरह देखते हैं।
पहली खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की कैबिनेट ने 24 नवम्बर को एक मसविदा अध्यादेश स्वीकृत किया, जिसका उद्देश्य शादी लिए धर्मान्तरण से निपटना है। पिछले कुछ हफ्तों के भीतर भाजपा शासित राज्यों–– उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश में कथित रूप से शादी की आड़ में हिन्दू महिलाओं को इस्लाम में धर्मान्तरण करने की कार्रवाई को, जिसे हिन्दूवादी संगठन ‘लव जेहाद’ कहते है उसे रोकने के लिए कानून बनाने की चर्चा चल रही थी, सरकार के मुताबिक धोखाधड़ी, झूठ और जोरजबरदस्ती हिन्दू औरतों का धर्मान्तरण किया जा रहा है। इसके लिए इस नये कानून में एक से पाँच साल तक की सजा और 15,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। अगर लड़की नाबालिग या अनुसूचित जाति–जनजाति की हो तो तीन साल से दस साल तक की सजा और 25,000 रुपये जुर्माना का प्रावधान है। शादी के बाद धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए भी इस कानून के तहत जिला मजिस्ट्रेट से दो महीने पहले अनुमति लेना जरूरी होगा।
दूसरी खबर विशेष जाँच दल (एसआईटी) की है जिसे कानपुर में ‘लव जेहाद’ के 14 मामलों के तहकीकात की जिम्मेदारी दी गयी थी जिन मामलों में पुलिस ने अभियुक्तों पर मामले दायर किये थे। रिपोर्ट में उनमें से किसी भी मामले में विदेशी फण्डिंग या किसी गैंग के द्वारा संगठित षडयन्त्र का सबूत नहीं पाया गया।
अन्तर्धार्मिक विवाह के इन 14 मामलों में लड़कियों के माँ–बाप ने आरोप लगाया था कि उनकी लड़कियों के साथ मुस्लिम लड़कों ले धोखा किया। इनमें से 11 मामलो में आरोपियों को जेल भेजा गया था, जबकि तीन मामलों में लड़कियों ने अपने प्रेमियों के बचाव में बयान दिया था। इन तीनों मामलों में आगे जाँच नहीं की गयी। एसआइटी की रिपोर्ट के मुताबिक इन मामलों में चार आदमी एक दूसरे को जानते थे और तीन ने कथित रूप से अपना नाम दूसरे धर्म वाला बताया था। लेकिन इन मामलों की जाँच में किसी गिरोह की सक्रियता या सामुहिक षड़यंत्र का कोई प्रमाण नहीं मिला। जाहिर है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जाँच दल ने इन मामलों में कथित ‘लव जेहाद’ या ‘संगठित धर्मान्तरण’ के आरोपों को खारिज कर दिया।
तीसरी खबर इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले से सम्बन्धित है। कुशीनगर के सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार उर्फ आलिया के खिलाफ 25 अगस्त 2019 को प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, जिसे खारिज कराने के लिए उन्होंने हाई कोर्ट में अपील की थी। उनका कहना था कि विवाहित जोड़ी बालिग है और उन्हें अपनी पसन्द से शादी करने का अधिकार है। लड़की के पिता के वकील ने इस अपील के विरोध में तर्क दिया कि शादी के लिए धर्मान्तरण वर्जित है और ऐसी शादी को वैधानिक स्वीकृति नहीं है।
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश पंकज नकवी और विवेक अग्रवाल ने इस अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए कहा “किसी ऐसे व्यक्ति की पसन्द का अपमान करना न केवल एक वयस्क व्यक्ति के पसन्द की आजादी के खिलाफ है, बल्कि यह अनेकता में एकता की अवधारणा के लिए भी एक खतरा है। किसी व्यक्ति के बालिग होने पर उसे अपना जीवन साथी चुनने का संवैधानिक अधिकार हासिल है, जिससे इनकार करना न केवल उसके मानवाधिकार को प्रभावित करता है, बल्कि उसके जीने और व्यक्तिगत आजादी को भी प्रभावित करता है जिसकी संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारण्टी की गयी है।”
पीठ ने आगे कहा–– “हम प्रियंका खरवार और सलामत को हिन्दू और मुसलमान के रूप में नहीं, बल्कि प्रौढ़ व्यक्ति के रूप में देखते हैं जो लगभग एक साल से अपनी मुक्त इच्छा और पसन्द से शान्तिपूर्वक और खुशी–खुशी जीवन गुजार रहे हैं।”
“अपने पसन्द के किसी व्यक्ति के साथ जीवन बिताने का अधिकार, चाहे उनका धर्म कोई भी हो, उनके जीवन और व्यक्तिगत आजादी में अन्तर्निहित है। निजी सम्बन्धों में दखलअन्दाजी दो व्यक्तियों की आजादी के अधिकार में घुसपैठ करना है–––। यह संविधान के अनुच्छेद 21 में दिये गये पसन्द की आजादी का अधिकार और सम्मानजनक जीवन जीने का आधिकार जैसे मौलिक अधिकारों और व्यक्तिगत आजादी को रोकना है।”
“हम यह नहीं समझ पाये कि जब कानून दो समान लिंग वाले व्यक्तियों को भी एक साथ शान्तिपूर्वक रहने की इजाजत देता है तब किसी व्यक्ति या किसी परिवार को ही नहीं, बल्कि राज्य को भी दो बालिग लोगों के सम्बन्ध को लेकर एतराज क्यों होना चाहिए जो अपनी स्वतन्त्र इच्छा से एक साथ रह रहे हों।”
ऊपर की तीनों खबरों को एक साथ जोड़कर देखें तो यह स्पष्ट है कि ‘लव जेहाद’ के नाम पर धर्मान्तरण के खिलाफ कानून बनाने की कार्रवाई न सिर्फ संविधान के विरुद्ध है जैसा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में साफ–साफ बताया गया है, बल्कि जमीनी हकीकत से भी इसका कोई लेना–देना नहीं है, जैसा कि एसआईटी की जाँच रिपोर्ट में सामने आया है। सरकार जिनको ‘लव जेहाद’ और संगठित गिरोह द्वारा धर्मान्तरण के मामले मान रही थी, उसका जाँच दल को कोई सबूत नहीं मिला। दरअसल सत्ता की सीढ़ियाँ चढ़ने के लिए हिन्दू साम्प्रदायिक संगठनों ने मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत फैलाने, हिन्दुओं का वोट हथियाने और समाज में कलह पैदा करने के लिए जितने हथकण्डे अपनाये हैं, उन्हीं में से एक है ‘लव जेहाद’। अन्तरधार्मिक और अन्तर्जातीय विवाह के विरूद्ध लोगों को भड़काने और साम्प्रदायिक, जातीय विद्वेश पैदा करने का जो काम अब तक भीड़ के जरिये किया जाता रहा है, उसे ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कानूनी जामा पहनाने जा रही है। सरकार का यह कदम पूरी तरह संविधान विरोधी, सामाजिक विघटनकारी और सत्ता–स्वार्थ से प्रेरित है।
Leave a Comment
लेखक के अन्य लेख
- राजनीति
-
- 106 वर्ष प्राचीन पटना संग्रहालय के प्रति बिहार सरकार का शत्रुवत व्यवहार –– पुष्पराज 19 Jun, 2023
- इलेक्टोरल बॉण्ड घोटाले पर जानेमाने अर्थशास्त्री डॉक्टर प्रभाकर का सनसनीखेज खुलासा 6 May, 2024
- कोरोना वायरस, सर्विलांस राज और राष्ट्रवादी अलगाव के खतरे 10 Jun, 2020
- जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का तर्कहीन मसौदा 21 Nov, 2021
- डिजिटल कण्टेण्ट निर्माताओं के लिए लाइसेंस राज 13 Sep, 2024
- नया वन कानून: वन संसाधनों की लूट और हिमालय में आपदाओं को न्यौता 17 Nov, 2023
- नये श्रम कानून मजदूरों को ज्यादा अनिश्चित भविष्य में धकेल देंगे 14 Jan, 2021
- बेरोजगार भारत का युग 20 Aug, 2022
- बॉर्डर्स पर किसान और जवान 16 Nov, 2021
- मोदी के शासनकाल में बढ़ती इजारेदारी 14 Jan, 2021
- सत्ता के नशे में चूर भाजपाई कारकूनों ने लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से रौंदा 23 Nov, 2021
- हरियाणा किसान आन्दोलन की समीक्षा 20 Jun, 2021
- सामाजिक-सांस्कृतिक
-
- एक आधुनिक कहानी एकलव्य की 23 Sep, 2020
- किसान आन्दोलन के आह्वान पर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 20 Jun, 2021
- गैर बराबरी की महामारी 20 Aug, 2022
- घोस्ट विलेज : पहाड़ी क्षेत्रों में राज्यप्रेरित पलायन –– मनीषा मीनू 19 Jun, 2023
- दिल्ली के सरकारी स्कूल : नवउदारवाद की प्रयोगशाला 14 Mar, 2019
- पहाड़ में नफरत की खेती –– अखर शेरविन्द 19 Jun, 2023
- सबरीमाला मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश पर राजनीति 14 Dec, 2018
- साम्प्रदायिकता और संस्कृति 20 Aug, 2022
- हमारा जार्ज फ्लायड कहाँ है? 23 Sep, 2020
- ‘प्रतिरोध की संस्कृति’ पर केन्द्रित ‘कथान्तर’ का विशेषांक 13 Sep, 2024
- व्यंग्य
-
- अगला आधार पाठ्यपुस्तक पुनर्लेखन –– जी सम्पत 19 Jun, 2023
- आजादी को आपने कहीं देखा है!!! 20 Aug, 2022
- इन दिनों कट्टर हो रहा हूँ मैं––– 20 Aug, 2022
- नुसरत जहाँ : फिर तेरी कहानी याद आयी 15 Jul, 2019
- बडे़ कारनामे हैं बाबाओं के 13 Sep, 2024
- साहित्य
-
- अव्यवसायिक अभिनय पर दो निबन्ध –– बर्तोल्त ब्रेख्त 17 Feb, 2023
- औपनिवेशिक सोच के विरुद्ध खड़ी अफ्रीकी कविताएँ 6 May, 2024
- किसान आन्दोलन : समसामयिक परिदृश्य 20 Jun, 2021
- खामोश हो रहे अफगानी सुर 20 Aug, 2022
- जनतांत्रिक समालोचना की जरूरी पहल – कविता का जनपक्ष (पुस्तक समीक्षा) 20 Aug, 2022
- निशरीन जाफरी हुसैन का श्वेता भट्ट को एक पत्र 15 Jul, 2019
- फासीवाद के खतरे : गोरी हिरणी के बहाने एक बहस 13 Sep, 2024
- फैज : अँधेरे के विरुद्ध उजाले की कविता 15 Jul, 2019
- “मैं” और “हम” 14 Dec, 2018
- समाचार-विचार
-
- स्विस बैंक में जमा भारतीय कालेधन में 50 फीसदी की बढ़ोतरी 20 Aug, 2022
- अगले दशक में विश्व युद्ध की आहट 6 May, 2024
- अफगानिस्तान में तैनात और ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों की आत्महत्या 14 Jan, 2021
- आरओ जल–फिल्टर कम्पनियों का बढ़ता बाजार 6 May, 2024
- इजराइल–अरब समझौता : डायन और भूत का गठबन्धन 23 Sep, 2020
- उत्तर प्रदेश : लव जेहाद की आड़ में धर्मान्तरण के खिलाफ अध्यादेश 14 Jan, 2021
- उत्तर प्रदेश में मीडिया की घेराबन्दी 13 Apr, 2022
- उनके प्रभु और स्वामी 14 Jan, 2021
- एआई : तकनीकी विकास या आजीविका का विनाश 17 Nov, 2023
- काँवड़ के बहाने ढाबों–ढेलों पर नाम लिखाने का साम्प्रदायिक फरमान 13 Sep, 2024
- किसान आन्दोलन : लीक से हटकर एक विमर्श 14 Jan, 2021
- कोयला खदानों के लिए भारत के सबसे पुराने जंगलों की बलि! 23 Sep, 2020
- कोरोना जाँच और इलाज में निजी लैब–अस्पताल फिसड्डी 10 Jun, 2020
- कोरोना ने सबको रुलाया 20 Jun, 2021
- क्या उत्तर प्रदेश में मुसलमान होना ही गुनाह है? 23 Sep, 2020
- क्यूबा तुम्हारे आगे घुटने नहीं टेकेगा, बाइडेन 16 Nov, 2021
- खाली जेब, खाली पेट, सर पर कर्ज लेकर मजदूर कहाँ जायें 23 Sep, 2020
- खिलौना व्यापारियों के साथ खिलवाड़ 23 Sep, 2020
- छल से वन अधिकारों का दमन 15 Jul, 2019
- छात्रों को शोध कार्य के साथ आन्दोलन भी करना होगा 19 Jun, 2023
- त्रिपुरा हिंसा की वह घटना जब तस्वीर लेना ही देशद्रोह बन गया! 13 Apr, 2022
- दिल्ली उच्च न्यायलय ने केन्द्र सरकार को केवल पाखण्डी ही नहीं कहा 23 Sep, 2020
- दिल्ली दंगे का सबक 11 Jun, 2020
- देश के बच्चे कुपोषण की गिरफ्त में 14 Dec, 2018
- न्यूज चैनल : जनता को गुमराह करने का हथियार 14 Dec, 2018
- बच्चों का बचपन और बड़ों की जवानी छीन रहा है मोबाइल 16 Nov, 2021
- बीमारी से मौत या सामाजिक स्वीकार्यता के साथ व्यवस्था द्वारा की गयी हत्या? 13 Sep, 2024
- बुद्धिजीवियों से नफरत क्यों करते हैं दक्षिणपंथी? 15 Jul, 2019
- बैंकों की बिगड़ती हालत 15 Aug, 2018
- बढ़ते विदेशी मरीज, घटते डॉक्टर 15 Oct, 2019
- भारत देश बना कुष्ठ रोग की राजधानी 20 Aug, 2022
- भारत ने पीओके पर किया हमला : एक और फर्जी खबर 14 Jan, 2021
- भीड़ का हमला या संगठित हिंसा? 15 Aug, 2018
- मजदूरों–कर्मचारियों के हितों पर हमले के खिलाफ नये संघर्षों के लिए कमर कस लें! 10 Jun, 2020
- महाराष्ट्र के कपास किसानों की दुर्दशा उन्हीं की जबानी 23 Sep, 2020
- महाराष्ट्र में कर्मचारी भर्ती का ठेका निजी कम्पनियों के हवाले 17 Nov, 2023
- महाराष्ट्र में चार सालों में 12 हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की 15 Jul, 2019
- मानव अंगों की तस्करी का घिनौना व्यापार 13 Sep, 2024
- मौत के घाट उतारती जोमैटो की 10 मिनट ‘इंस्टेण्ट डिलीवरी’ योजना 20 Aug, 2022
- यूपीएससी की तैयारी में लगे छात्रों की दुर्दशा, जिम्मेदार कौन? 13 Sep, 2024
- राजस्थान में परमाणु पावर प्लाण्ट का भारी विरोध 13 Sep, 2024
- रेलवे का निजीकरण : आपदा को अवसर में बदलने की कला 23 Sep, 2020
- लोग पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए क्यों लड़ रहे हैं 17 Nov, 2023
- विधायिका में महिला आरक्षण की असलियत 17 Nov, 2023
- वैश्विक लिंग असमानता रिपोर्ट 20 Aug, 2022
- श्रीलंका पर दबाव बनाते पकड़े गये अडानी के “मैनेजर” प्रधानमंत्री जी 20 Aug, 2022
- संस्कार भारती, सेवा भारती––– प्रसार भारती 14 Jan, 2021
- सत्ता–सुख भोगने की कला 15 Oct, 2019
- सरकार द्वारा लक्ष्यद्वीप की जनता की संस्कृति पर हमला और दमन 20 Jun, 2021
- सरकार बहादुर कोरोना आपके लिए अवसर लाया है! 10 Jun, 2020
- सरकार, न्यायपालिका, सेना की आलोचना करना राजद्रोह नहीं 15 Oct, 2019
- सरकारी विभागों में ठेका कर्मियों का उत्पीड़न 15 Aug, 2018
- हम इस फर्जी राष्ट्रवाद के सामने नहीं झुकेंगे 13 Apr, 2022
- हाथरस की भगदड़ में मौत का जिम्मेदार कौन 13 Sep, 2024
- हुकुम, बताओ क्या कहूँ जो आपको चोट न लगे। 13 Apr, 2022
- कहानी
-
- जामुन का पेड़ 8 Feb, 2020
- पानीपत की चैथी लड़ाई 16 Nov, 2021
- माटी वाली 17 Feb, 2023
- समझौता 13 Sep, 2024
- विचार-विमर्श
-
- अतीत और वर्तमान में महामारियों ने बड़े निगमों के उदय को कैसे बढ़ावा दिया है? 23 Sep, 2020
- अस्तित्व बनाम अस्मिता 14 Mar, 2019
- क्या है जो सभी मेहनतकशों में एक समान है? 23 Sep, 2020
- क्रान्तिकारी विरासत और हमारा समय 13 Sep, 2024
- दिल्ली सरकार की ‘स्कूल्स ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सलेंस’ की योजना : एक रिपोर्ट! 16 Nov, 2021
- धर्म की आड़ 17 Nov, 2023
- पलायन मजा या सजा 20 Aug, 2022
- राजनीति में आँधियाँ और लोकतंत्र 14 Jun, 2019
- लीबिया की सच्चाई छिपाता मीडिया 17 Nov, 2023
- लोकतंत्र के पुरोधाओं ने लोकतंत्र के बारे में क्या कहा था? 23 Sep, 2020
- विकास की निरन्तरता में–– गुरबख्श सिंह मोंगा 19 Jun, 2023
- विश्व चैम्पियनशिप में पदक विजेता महिला पहलवान विनेश फोगाट से बातचीत 19 Jun, 2023
- सरकार और न्यायपालिका : सम्बन्धों की प्रकृति क्या है और इसे कैसे विकसित होना चाहिए 15 Aug, 2018
- श्रद्धांजलि
- कविता
-
- अपने लोगों के लिए 6 May, 2024
- कितने और ल्हासा होंगे 23 Sep, 2020
- चल पड़ा है शहर कुछ गाँवों की राह 23 Sep, 2020
- बच्चे काम पर जा रहे हैं 19 Jun, 2023
- अन्तरराष्ट्रीय
-
- अमरीका बनाम चीन : क्या यह एक नये शीत युद्ध की शुरुआत है 23 Sep, 2020
- इजराइल का क्रिस्टालनाख्त नरसंहार 17 Nov, 2023
- क्या लोकतन्त्र का लबादा ओढ़े अमरीका तानाशाही में बदल गया है? 14 Dec, 2018
- पश्चिम एशिया में निर्णायक मोड़ 15 Aug, 2018
- प्रतिबन्धों का मास्को पर कुछ असर नहीं पड़ा है, जबकि यूरोप 4 सरकारें गँवा चुका है: ओरबान 20 Aug, 2022
- बोलीविया में तख्तापलट : एक परिप्रेक्ष्य 8 Feb, 2020
- भारत–इजराइल साझेदारी को मिली एक वैचारिक कड़ी 15 Oct, 2019
- भोजन, खेती और अफ्रीका : बिल गेट्स को एक खुला खत 17 Feb, 2023
- महामारी के बावजूद 2020 में वैश्विक सामरिक खर्च में भारी उछाल 21 Jun, 2021
- लातिन अमरीका के मूलनिवासियों, अफ्रीकी मूल के लोगों और लातिन अमरीकी संगठनों का आह्वान 10 Jun, 2020
- सउ़दी अरब की साम्राज्यवादी विरासत 16 Nov, 2021
- ‘जल नस्लभेद’ : इजराइल कैसे गाजा पट्टी में पानी को हथियार बनाता है 17 Nov, 2023
- राजनीतिक अर्थशास्त्र
- साक्षात्कार
-
- कम कहना ही बहुत ज्यादा है : एडुआर्डो गैलियानो 20 Aug, 2022
- चे ग्वेरा की बेटी अलेदा ग्वेरा का साक्षात्कार 14 Dec, 2018
- फैज अहमद फैज के नजरिये से कश्मीर समस्या का हल 15 Oct, 2019
- भारत के एक बड़े हिस्से में मर्दवादी विचार हावी 15 Jul, 2019
- अवर्गीकृत
-
- एक अकादमिक अवधारणा 20 Aug, 2022
- डीएचएफएल घोटाला : नवउदारवाद की एक और झलक 14 Mar, 2019
- फिदेल कास्त्रो सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के हिमायती 10 Jun, 2020
- बायोमेडिकल रिसर्च 14 Jan, 2021
- भाषा और साहित्य के क्षेत्र में भारत को मुसलमानों का महान स्थायी योगदान 23 Sep, 2020
- सर्वोच्च न्यायलय द्वारा याचिकाकर्ता को दण्डित करना, अन्यायपूर्ण है. यह राज्य पर सवाल उठाने वालों के लिए भयावह संकेत है 20 Aug, 2022
- जीवन और कर्म
- मीडिया
-
- मीडिया का असली चेहरा 15 Mar, 2019
- फिल्म समीक्षा
-
- समाज की परतें उघाड़ने वाली फिल्म ‘आर्टिकल 15’ 15 Jul, 2019