सरकार द्वारा लक्ष्यद्वीप की जनता की संस्कृति पर हमला और दमन
लक्ष्यद्वीप में प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को नया प्रशासक बनाकर सरकार ने वहाँ की जनता पर कई जनविरोधी कानून थोप दिये हैं। स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों से उनके अधिकार और ताकत छीनकर अपने हाथ में ले लिया, जिनमें शिक्षा–स्वास्थ्य, खेती–पशुपालन और मछुआरों के मामले आते हैं। पंचायत चुनाव के नियम बदल दिये जिसके तहत अब वही व्यक्ति पंचायत चुनाव लड़ सकता है जिसके दो या दो से कम बच्चे हों। पशु संरक्षण का हवाला देकर स्कूली छात्रों के दोपहर के पौष्टिक आहार से बीफ–माँस–मछली हटा दिया गया जबकि गाय–भैंस के मीट पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। शराब पर लगा प्रतिबन्ध हटाकर, शराब बिक्री को वैध कर दिया गया। तटरक्षक बल अधिनियम का हवाला देकर मछुआरों को समुन्द्र तट से बेदखल किया जा रहा है और उनकी झोपड़ियों को तोड़ दिया जहाँ वे मछली पकड़ने का अपना जाल रखते थे। संगठित, असंगठित क्षेत्र् के कर्मचारियों और कई सरकारी विभागों में ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है। गुण्डा एक्ट लगाकर जनता की आवाज को दबाया जा रहा है, उन्हें जेल में बन्द किया जा रहा है और बाहर से आने वालो के लिए कोरोना महामारी से सम्बन्धित नियमों को ढीला कर दिया गया है।
लक्ष्यद्वीप अपनी शान्तिप्रियता के लिए प्रसिद्ध है, यह हमारे देश का सबसे कम अपराध दर वाला प्रदेश है। यही कारण है कि यहाँ की जेल वीरान पड़ी रहती थी। प्रजनन दर पूरे देश की तुलना में सबसे कम (1.4 प्रतिशत) है और महिलाओं में शिक्षा दर भी पूरे देश के किसी भी राज्य से अधिक (96.5 प्रतिशत) है। यह मुस्लिम बहुल प्रदेश है। केरल और पश्चिम बंगाल की तरह ही गाय–भैंस का मीट यहाँ के लोगों के भोजन में शामिल रहा है। यहाँ लोगों का जीवन निर्वाह मुख्य रूप से समुन्द्र से मछली पकड़ने, नारियल की खेती और पशुपालन से होता है। लेकिन नये प्रशासक और सरकार को यहाँ के लोगों का शान्तिप्रिय और खुशहाल जीवन रास नहीं आया और देश के बाकि हिस्सों की तरह यहाँ भी अपने फर्जी राष्ट्रवादी एजेण्डे को जनता पर थोप रहे हैं।
सरकार द्वारा बनाये गये जन विरोधी कानूनों के कारण लोगों की परेशानियाँ काफी बढ़ गयी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मीट पर पाबन्दी लगाना हमारी संस्कृति पर हमला है और यह हमारे अपने तरीके से जिन्दगी जीने का अधिकार छीन लेता है, इसके कारण मीट का कारोबार करने वाले लोगों का काम–धन्धा ठप हो गया है और छोटे दुकानदारों के सामने रोजी–रोटी का संकट खड़ा हो गया है। शराब पर लगे प्रतिबन्ध हटाने से स्थानीय लोग चिंतित है, कि इससे प्रदेश में अपराध बढ़ेंगे।
लक्ष्यद्वीप विकास प्राधिकरण बनने के बाद सरकार विकास के नाम पर किसी को भी उसकी जमीन से उजाड़ रही है और जंगल, जमीन, पहाड़ और समुन्द्री तटों को बड़े–बड़े कार्पोरेट, भूमाफियाओं और उद्योगपतियों को कौड़ी के दाम बेचने की तैयारी कर रही है। सरकार जिस विकास के मॉडल को यहाँ थोपना चाहती है उससे यहाँ की जैव–विविधता और पारिस्थितिकी नष्ट हो जायेगी। पंचायत चुनाव में अधितम दो बच्चों की सीमा और स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार छिन जाने से स्थानीय लोगों में सरकार के प्रति नफरत और गुस्से का माहौल है। लक्ष्यद्वीप की बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम है और बहुसंख्या मछुआरों की है। सरकार द्वारा तटरक्षक बल अधिनियम का हवाला देकर उन मछुआरों को समुन्द्र तट से बेदखल किया जा रहा है जो कई पीढ़ियों से यही काम और तटों की रक्षा करते रहे हैं। उनकी झोपड़ियों को तोड़ा जा रहा है, जहाँ मछुआरे मछली पकड़ने का अपना जाल रखते हैं। उनके सामने रोजी का संकट खड़ा हो गया है। सरकार की क्रूरता का अन्त यहीं नहीं होता। विभिन्न सरकारी विभागों से अनियमित, अनुबन्ध कर्मचारी, पर्यटन विभाग और इससे सम्बद्ध शिक्षण संस्थान में कार्यरत कई कर्मचारियों और पशु कल्याण विभाग, कृषि विभाग के साथ–साथ कई ऐसे श्रमिकों की छँटनी कर दी गयी है जो विभिन्न सरकारी संस्थाओं में ठेका मजदूर थे और आँगनबाड़ी केन्द्रों पर ताला लगा दिया गया है।
प्रदेश की जनता जब प्रशासक और सरकार की नीयत को जान गयी तो इन जनविरोधी कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतर आयी और लोग जगह–जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन जहाँ मुख्य धारा की बिकाऊ मीडया से यह खबर गायब है वहीं सोशल मीडिया पर प्रफुल्ल खोड़ा पटेल की क्रूरता और इन जनविरोधी कानूनों की जमकर निन्दा हो रही है। जो इन जनविरोधी कानूनों को वापस लेने के बजाय बौखलाया हुआ है। एक ऐसे प्रदेश में गुण्डा एक्ट लगाकर जनता की आवाज दबाना चाहता है जो शान्तिप्रिय प्रदेश है और यह हमारे देश का सबसे कम अपराध दर वाला प्रदेश है, जिस कारण यहाँ की जेल भी वीरान पड़ी रहती थी।
प्रदेश की जनता के साथ–साथ, जनता के प्रतिनिधि, कई संगठन, फिल्म निर्देशक, छात्र संगठन और राजनीतिक पार्टियों के नेता (जिनमें भाजपा के नेता भी शामिल है) राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री को इस बारे में कई बार चिट्ठी लिख चुके हैं। उन्होंने माँग की है कि इन जनविरोधी कानूनों को रद्द किया जाये और प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को तुरन्त हटाया जाये। लेकिन राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। उनके द्वारा कोई कार्रवाई न करने के पीछे क्या कारण है इसे समझना कठिन नहीं।
केन्द्र की भाजपा सरकार अपने हिन्दू राष्ट्रवादी एजेण्डे को किसी भी कीमत पर पूरे देश पर थोपना चाहती है। इसका भारी नुकसान पूरे देश की जनता को उठाना पड़ रहा है। फिर चाहे गुजरात का नरसंहार हो या फरवरी 2020 देश की राजधानी दिल्ली में प्रायोजित कराये गये साम्प्रदायिक दंगे, जिनमें दोनों तरफ से लोगों को जान गँवानी पड़ी, घरों और दुकानों में आग लगा दी गयी। पूर्वोत्तर और कश्मीर भी भाजपा और आरएसएस के हिन्दू राष्ट्रवादी एजेण्डे का दंश झेल रहा है। जिस तरह कश्मीर में धारा 370 हटाकर और जबरन कर्फ्यू लगा कर पूरे राज्य को अघोषित जेल में तब्दील कर दिया है, वैसे ही मुस्लिम बहुल होने कारण सरकार लक्ष्यद्वीप को अलग–थलग करके, जनता का दमन कर रही हैं।
यह भी सम्भव है कि प्रदेश की जनता को इन जनविरोधी कानूनोंं में उलझाकर भाजपा सरकार कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है। पिछले वर्षों के दौरान भाजपा सरकार द्वारा की गयी कार्रवाइयाँ, जैसे देश की जनता को साम्प्रदायिक दंगों में उलझाकर सरकारी निगमों को बेच देना या लव जेहाद का मुद्दा उठाकर शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसी सुविधाओंं का निजीकरण कर देना। इसकी पुष्टि इस बात से भी हो जाती है कि हाल ही में फ्रीडम ऑफ नेविगेशन का हवाला देकर अमरीकी नौसेना ने भारत के एक्सक्लूसिव इकोनोमिक जोन यानी लक्ष्यद्धीप के समुन्द्री तट में प्रवेश किया। किसी भी देश के एक्सक्लूसिव इकोनोमिक जोन में प्रवेश करने के लिए उस देश से सहमति लेना जरूरी होता है, क्योंकि यह उस देश की आन्तरिक सुरक्षा का मामला होता है, लेकिन अमरीकी नौसेना को भारत से सहमति लेना नागवार गुजरा और भारत को अपनी बपौती मानकर अपने जहाज लक्ष्यद्धीप के समुन्द्री तट पर खड़े कर दिये। अमरीकी चैधराहट की गुलाम हमारे देश की सरकार और बिकाऊ मीडिया ने फजीहत से बचने के लिए अब तक इस खबर को लीक नहीं होने दिया, लेकिन अमरीकी नौसेना के एक कमाण्डर ने अपनी इस पूरी कार्रवाई को सार्वजनिक कर दिया।
लक्ष्यद्वीप की सामाजिक कार्यकर्ता और फिल्मकार आयशा सुल्ताना के खिलाफ आईपीसी की ध्ाारा 124 ए तहत इसलिए राजद्रोह का मुकदमा लगाया क्योंकि उन्होंनें प्रदेश की जनता का समर्थन करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को प्रदेश की जनता के खिलाफ ‘जैविक हथियार’ के रूप में इस्तेमाल कर रही है। केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा लक्ष्यद्वीप की शान्तिप्रिय जनता पर थोपे गये प्रशासक की इन कार्रवाई के खिलाफ और आयशा सुल्ताना के समर्थन में प्रदेश की जनता प्रदर्शन कर रही है। यहाँ तक कि भाजपा स्थानीय इकाई के कई नेता और कार्यकर्ताओं ने इन जनविरोधी कार्रवाइयों की खिलाफत करते हुए पार्टी से नाता तोड़ लिया है।
केन्द्र सरकार ने पुराने नियमों को ताक पर रख कर प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को लक्ष्यद्वीप का प्रशासक बनाया। वह प्रधानमन्त्री मोदी और गृहमन्त्री अमित शाह का बहुत करीबी है और उसका पिता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सदस्य था। वह गुजरात में 2007 से 2012 तक एमएलए रहा और 2010 में अमित शाह की गिरफतारी के बाद 2010 से 2012 तक गुजरात का गृहराज्य मन्त्री रहा। 2016 से 2020 तक वह दमन दिऊ और दादरा नगर हवेली का प्रशासक रहा। उस समय के सेवा में रहे पूर्व आईआरएस कनन गोपीनाथन ने प्रधानमन्त्री को लिखा कि “प्रिय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी, आपने पहले दादरा नगर हवेली में प्रफुल्ल पटेल को प्रशासक बनाकर वहाँ के लोगों को प्रताड़ित किया। यहाँ तक कि इसके चलते एक सांसद की खुदकुशी भी हुई। अब लक्ष्यद्वीप उनकी सनक झेल रहा है। गुजरात बीजेपी के अन्दरूनी झगड़े और पार्टी के अन्दर बनाये रखने की मजबूरी का मतलब यह नहीं है कि नागरिकों को प्रताड़ित किया जाये।”
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