जुलाई 2019, अंक 32 में प्रकाशित

सत्ता–सुख भोगने की कला

तेलगु देशम पार्टी के चार सांसद वीईएस चैधरी, सीएम रमेश, जी मोहन राव, और टीजी वेंकटेश भाजपा में शामिल हो गये।

अब इसे आप अवसरवाद कहिए या सीबीआई का डर या सत्ता सुख भोगने की कला। कल तक जिन्हें आंध्रा का माल्या कहा जाता था अब वे देशभक्त हैं!

बहुत पुरानी नहीं, केवल एक साल पहले की बात है जब भाजपा सांसद और प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने सीएम रमेश और वाईएस चैधरी को ‘आंध्रा का माल्या’ कहा था और राज्यसभा की आचार समिति को पत्र लिखकर उनके खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई शुरू करने की माँग की थी। सच्चाई तो यह है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना में उठापटक के समय रमेश का नाम भी उछला था। रमेश से जुड़ी एक कम्पनी को लेकर इनकम टैक्स विभाग जाँच कर रहा है। दूसरी तरफ वाईऐस चैधरी एक कथित बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में सीबीआई और ईडी के रडार पर हैं।

ये सांसद के साथ–साथ उद्योगपति भी हैं। कितना खुशनशीब होता होगा न, सांसद के साथ उद्योगपति होना। संसद में बैठकर अपने लिए नियम बनाना।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 28 नवम्बर को आचार समिति को लिखे पत्र को पोस्ट करते हुए राव ने ट्वीट किया, “मैंने दो तेदेपा सांसदों वाईएस चैधरी और सीएम रमेश की अयोग्यता के लिए आचार समिति से शिकायत की, जिन्होंने बड़े पैमाने पर वित्तीय घोटालों के साथ ‘आंध्रा का माल्या’ की संदिग्ध उपाधि हासिल की है।”

द वायर ने लिखा है कि “तेदेपा द्वारा पिछली बार मोदी सरकार से समर्थन वापस लेने से पहले केन्द्र में राज्य मंत्री रहे चैधरी के खिलाफ सीबीआई तीन एफआईआर पर जाँच कर रही है। इन एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि विद्युत उपकरण निर्माता ‘बेस्ट एंड क्रॉम्पटन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (बीसीईपीएल) ने धोखाधड़ी करके बैंकों के एक कंसोर्टियम से 360 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लिया और फिर इसे डिफॉल्ट कर दिया। सीबीआई का दावा है कि ये कम्पनी चैधरी से जुड़ी हुई है। सीबीआई की एफआईआर के आधार पर, ईडी ने चैधरी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच शुरू की और उनकी 315 करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति जब्त की। जब्त की गयी सम्पत्तियों में महँगी गाड़ियाँ हैं जिनमें फेरारी, एक बीएमडब्ल्यू और एक रेंज रोवर भी शामिल है।”

जिन नेता, सांसद और अधिकारियों के हाथ में हम देश को सुरक्षित समझते हैं या विश्व गुरु बनने का भ्रम पालकर रखते हैं, वास्तव में वे देश के खनिज संसाधनों की, मानव संसाधनों की हो रही चैतरफा लूट के हिमायती हैं, सच्चे सहयोगी हैं, एक दूसरे से नालिबद्ध हैं। असलियत खुलने से सारे डरते हैं इसलिए एक दूसरे को पूरी ताकत से बचाते हैं और सत्ता सुख भोगने की कला में माहिर हैं।

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