जून 2020, अंक 35 में प्रकाशित

सरकार बहादुर कोरोना आपके लिए अवसर लाया है!

यह बात विवादों से परे है कि अब तक इस कोरोना महामारी का सबसे अधिक फायदा सरकारों ने उठाया है, दूसरे स्थान पर पूँजीपति/उद्योगपति हैं। खुद प्रधानमन्त्री मोदी जी ने स्वीकार किया कि यह हमारे लिए एक अवसर है। प्रवासी मजदूर पैदल चलते–चलते भूख, प्यास और थकावट के चलते मर रहे हैं। कुछ ट्रेनों से कटकर मर गये। कुछ कुएँ में कूदकर, तो कुछ बस और ट्रकों से कुचलकर मारे गये। लेकिन कोरोना सरकार बहादुर के लिए ऐसा शानदार अवसर लाया है, जिसका दर्शन सरकार ने पहले कभी नहीं किया था।

बात आगे बढ़ाने से पहले कोरोना के ताजा मामले का विश्लेषण देखिये। 5 जून तक कोरोना के 227 हजार मामले सामने आ चुके थे, लेकिन इससे क्या नतीजा निकलता है? अगर देश में मात्र 227 हजार मामले ही होते, जिनके बारे में पता चल चुका है और जिन्हें इलाज के लिए क्वेरेनटाइन किया जा चुका है। तो डरने की कोई बात नहीं होती और इसके बाद नये मामले मिलने बन्द हो जाते। लेकिन। इससे अधिक संख्या में वे मामले हैं, जिनका पता नहीं चल पाया है, यह बात दावे से कही जा सकती है, क्योंकि ऐसे लोग ही चुपचाप बाहर लोगों को संक्रमित कर रहे हैं और मरीजों की संख्या न केवल बढ़ रही है बल्कि उनके बढ़ने की रफ्तार भी तेज हो रही है।

यह हम सबके लिए चिंता की बात है और सरकार के लिए अवसर की बात। सरकार को यह अवसर अपने आप नहीं मिल गया, बल्कि उसने इसके लिए काफी प्रयास किया। जैसे––

––सही कोरोना जाँच के बिना विदेश से लोगों को आने दिया गया।

––समय रहते पीपीई किट और मास्क आदि सुरक्षा के उपायों की व्यवस्था नहीं की गयी।

––ताली, थाली, दिया, मोबाइल करके अंधविश्वास फैलाया गया और लोगों का ध्यान भटकाया गया।

––कोरोना के खिलाफ देशव्यापी टास्क फॉर्स की कोई व्यवस्था नहीं की गयी।

––वैज्ञनिकों के कार्यदल की सलाह नहीं ली गयी/नहीं मानी गयी।

––करोड़ों की संख्या वाले प्रवासी मजदूरों को इधर–उधर भटकने दिया गया।

इन सब बेशकीमती प्रयासों से सरकार को सकारात्मक नतीजे मिले। 25 मार्च यानी लॉकडाउन की शुरुआत में जो मामले सैकड़ों में थे, दो महीने बाद अब वे लाख में पहुँच गये। सरकार की अनन्त सफलता पर बधाई।

मुझे नहीं पता कि सरकार ने यह सफलता बकायदा योजना बनाकर हासिल की या यह उसके निकम्मेपन की फसल है। फिलहाल, अब काटने के लिए वह फसल तैयार हो गयी है, जिसका बीज उन्होंने पहले लॉकडाउन के समय बोया था। सरकार को मिलने वाले चार फायदे यानी 4 एल इस तरह हैं–– लैंड, लेबर, लिक्विडिटी, एंड लॉ। इसे खुद सरकार बहादुर ने स्वीकार किया है। अब इसका मतलब भी समझ लेते हैं।

लैंड–– किसानों से जमीन का अधिग्रहण करके सहोदरों को देने में मदद मिलेगी।

लेबर–– मजदूरों के अधिकारों को कम करके उनसे अधिक से अधिक काम कराके तिजोरियाँ भरी जायेंगी।

लिक्विडिटी–– रूपये–पैसे रसूखदार लोगों की झोली में बहते हुए आ जायेंगे।

लॉ–– ऐसे कानून पास कराने में मदद मिलेगी जो जनविरोधी होगा और जनता का शोषण और दमन बढ़ा देगा।

सरकार ये सारे अवसर भुना पाने में सफल होगी, क्योंकि लॉकडाउन के चलते ‘पुलिस राज’ कायम किया जा चुका है, विरोध कर नहीं सकते। इसलिए सरकारें मनमाना काम करती रहेंगी। आगे भी लॉकडाउन जारी रहने की सम्भावना है, बशर्ते, जनता बगावत न कर दे।

लेकिन उसका भी उपाय किया जा चुका है। लॉकडाउन को हल्का किया जाएगा, लेकिन धारा 144 कायम रहेगी। यानी आप विरोध प्रदर्शन के लिए संगठित नहीं हो सकते।

आप भुखमरी के शिकार न हों, इसलिए पुलिस वालों से ऑफिस/काम पर जाने की गिड़गिड़ाते हुए अनुमति माँगेंगे। रहमदिल पुलिस वाले आपको जाने देंगे। कभी–कभी दिखावे के लिए दो–चार डंडे फटकार देंगे। इस तरह लॉकडाउन का पालन भी होगा और जरूरत के लगभग सभी कारोबार चालू हो जाएगा। गैर–जरूरी कारोबार से जुड़े लोगों को आराम से भूखों मरने दिया जाएगा, उसी तरह जैसे प्रवासी मजदूरों को सड़कों पर भटकने और मरने के लिए छोड़ दिया गया।

 
 

 

 

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