दिसंबर 2018, अंक 30 में प्रकाशित

चे ग्वेरा की बेटी अलेदा ग्वेरा का साक्षात्कार

“बहुत कुछ किया जाना बाकी है”

––रॉन ऑगस्टिन

(अर्नेस्टो चे ग्वेरा और अलेदा मार्च की बेटी अलेदा ग्वेरा मार्च ने हाल ही में यूरोप की यात्रा की, जहाँ उन्होंने देश के प्रस्तावित संवैधानिक सुधारों के लिए क्यूबा में होने वाले लोकप्रिय परामर्शों को समझाते हुए कई विचार–विमर्शों में भाग लिया। उन्होंने अपने देश पर लगे अमरीकी प्रतिबन्धों के खिलाफ भी अभियान चलाया। हवाना में विलियम सोलर चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में अपने काम पर लौटने से पहले, हमने उनके साथ निम्नलिखित बातें की।)

रॉन ऑगस्टिन : अलेदा, आप स्ट्रैसबर्ग में यूरोपीय संसद के पूूरे वाम समूह के साथ बैठक करके आयी हैं। क्या हम इस संसद से उस आर्थिक और वित्तीय नाकाबन्दी के खिलाफ एक प्रस्ताव की उम्मीद कर सकते हैं जिसे संयुक्त राज्य अमरीका ने लगभग 60 वर्षों से क्यूबा के खिलाफ बरकरार रखा है और बढ़ाया है?

अलेदा ग्वेरा : दरअसल, कुछ समय से उन्होंने एक प्रस्ताव पर काम करना शुरू कर दिया है जिसमें कई ठोस उपाय शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूरोपीय संघ ने पिछले कुछ सालों से हर साल अमरीकी हमले के खिलाफ सर्वसम्मति से मतदान किया है। यह मुख्य रूप से यूरोपीय उद्यमों के दबाव के कारण है, क्योंकि अमरीकी प्रतिबन्ध को उन संस्थानों के साथ होने वाले हर लेन–देन तक बढ़ाया गया है जिनका हमारे देश के साथ न्यूनतम सम्बन्ध भी था और ऐसे उद्यम भी हैं जिनकी पहले से ही क्यूबा की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी है, जैसे पर्यटन उद्योग में मेलिया।

रॉन ऑगस्टिन : संयुक्त राष्ट्र  की क्यूबा पर नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार अमरीकी नाकाबन्दी के कारण क्यूबा की अर्थव्यवस्था को अब तक 134 अरब डॉलर की क्षति हो चुकी है, केवल इसी साल चार अरब डॉलर की क्षति हुई है। क्या आप हमें क्यूबा के लोगों को हुए नुकसान के बारे में कुछ बता सकती हैं जिसका लेखा–जोखा नहीं लिया जा सकता है?

अलेदा ग्वेरा : सच है, नाकाबन्दी से हुए सभी मानवीय नुकसान की कीमतों का कोई आँकड़ा दे पाना असम्भव है। ऐसी तकनीकें हैं जिनकी पहँुच हम तक नहीं है, और लोग विकल्प खोजने के लिए काफी समय लगाते और प्रयास करते हैं। नाकाबन्दी के कारण, यूरोप हमें दूध पाउडर बेचने से इनकार कर देता है, जो हमें न्यूजीलैंड से खरीदना पड़ता है। क्यूबा तक की लम्बी यात्रा से इस दूध पाउडर की लागत ही नहीं बढ़ जाती है, बल्कि प्रतिबन्धों से लड़ने की बड़ी कठिनाई के चलते वहाँ पहुँचने में महीनों–महीनों की देर हो जाती है, जहाँ हमें इसकी आवश्यकता होती है। एक डॉक्टर के रूप में मुझे कभी–कभी घटिया उत्पादों या कामचलाऊ (जुगाड़) समाधान के साथ काम करना पड़ता है क्योंकि हमें सही दवा नहीं मिल सकती या हम इसे समय पर प्राप्त नहीं कर पाते हैं। सभी क्यूबावासियों के लिए, यह रोजमर्रा का संघर्ष है।

नाकाबन्दी मौजूद है क्योंकि संयुक्त राज्य अमरीका दूसरे लातिन अमरीकी देशों को बता रहा है कि यदि आप क्यूबा की तरह काम करेंगे तोे यही परिणाम होंगे। वास्तव में जितना उन्हांेनेे सोचा था हमने उससे कहीं अधिक विकास कर लिया। यही कारण है कि हम नाकाबन्दी से लड़ना जारी रखते हैं, क्योंकि हम चाहते हैं कि लातिन अमरीका के अन्य लोगों को यह एहसास हो कि हाँ, जीवन का एक और तरीका सम्भव है। लेकिन जीवन के एक और तरीके से जीने के लिए हमें जो भी उत्पादन होता है, उसका स्वामी बनना होगा। यही वह कारण है जिसके लिए अमरीका हमें माफ नहीं करना चाहता और यही कारण है कि नाकाबन्दी बनी रहती है। वे जानते हैं कि एक बार नाकाबन्दी खत्म हुई तो क्यूबा की क्रान्ति बढ़ेगी और बढ़ती ही चली जायेगी।

रॉन ऑगस्टिन : आज करीब एक करोड़ क्यूबावासी नये क्यूबा के संविधान की परियोजना पर चर्चा कर रहे हैं। कुल मिलाकर, राष्ट्रीय असेंबली द्वारा प्रस्तावित 224 धाराओं पर चर्चा के लिए तीन महीने की अवधि में 1,35,000 सभाओं की योजना बनायी गयी है। यह पहली बार नहीं है कि व्यापक लोकप्रिय परामर्श के बाद संविधान में संशोधन किया जायेगा। इसमें नया क्या है?

अलेदा ग्वेरा : आर्थिक मॉडल और निर्णय लेने वाली संरचनाओं को फिर से गतिशील करने के लिए पिछले दो या तीन दशकों के प्रयासों के बाद, जिसे ‘सुधार’ और ‘यथार्थीकरण’ कार्यक्रम के रूप में भी जाना जाता है, संविधान को इन सबके द्वारा तैयार नयी सच्चाइयों को स्वीकार करना भी आवश्यक था। मुझे लगता है कि हमने पिछले साक्षात्कार में इनके बारे में बात की थी। सामान्य परिषद के प्रस्तावों में ऐसे पैराग्राफ होते हैं जिन्हें मार्ती, फिदेल और चे के विचारों में पाया जा सकता है या जैसा कि हम उन्हें कहते हैं, ‘आर्टिकोलोस मार्टियानोस, फिडेलिस्टस वाई ग्वेवारिस्टस’। लेकिन जिनकी आज चर्चा है उन संशोधनों में मुख्य रूप से सम्पत्ति के कई रूपों की स्वीकृति शामिल है, जिसमें लोगों की सम्पत्ति, मिश्रित सम्पत्ति और निजी सम्पत्ति शामिल है। निजी पूँजी के संचय को सीमित करने के प्रावधान हैं। बाजार की भूमिका को स्वीकार किया जाता है, लेकिन राज्य ने इस पर नियन्त्रण की ऐसी कार्य प्रणाली अपनायी है जिसमें सार्वजनिक हितों के लिए बाजार का इस्तेमाल हो। विवाह को दो व्यक्तियों के मिलन के रूप में परिभाषित किया जाता है, एक आदमी और एक महिला के बीच के मामले से अधिक नहीं। राज्य की संरचनाओं और इसकी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भी बदलाव आयेंगे। मिसाल के तौर पर, समुदायों की जरूरतों के प्रति अधिक कुशलता हासिल करने और नागरिकों की भागीदारी को मजबूत करने के लिए नगरपालिका की स्वायत्तता में सुधार किया जायेगा।

रॉन ऑगस्टिन : सुधार और यथार्थीकरण अभियानों ने राज्य और अर्थव्यवस्था की प्रबंधन संरचनाओं को बदल दिया है। करीब 5 लाख नौकरियों का निजीकरण किया गया है। कृषि क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा है?

अलेदा ग्वेरा : मेरी सबसे बड़ी बेटी एक अर्थशास्त्री है और कृषि अनुसंधान में काम करती है, इसलिए मुझे इस विषय पर बहुत अच्छी तरह से जानकारी पाने का मौका मिला है। हम किसी भी माध्यम से जो करने की कोशिश करते हैं, वह उत्पादकता में वृद्धि है। कृषि उत्पादों के लिए बेहतर पारिश्रमिक नीति स्थापित की गयी है। हम न केवल कटाई प्रौद्योगिकियों के विकास में निवेश कर रहे हैं, बल्कि प्रौद्योगिकियों को संशोधित करने में भी निवेश कर रहे हैं। मिसाल के तौर पर, हमारे पास बहुत सारे आम हैं, इसलिए डिब्बाबन्द आमों, आमों की चाशनी आदि के लिए बहुत अधिक गुंजाइश है। हम बुनियादी खाद्य पदार्थों के लिए आत्मनिर्भरता की आकांक्षा रखते हैं, इसलिए हम स्थायी कृषि, जैव प्रौद्योगिकी और शहरी कृषि को प्रोत्साहित कर रहे हैं। भूमि को संरक्षित करने के लिए, हम फसल चक्र का प्रयोग करते हैं और ऐसी फसलों का उपयोग करते हैं जो खाद या कीटनाशकों के इस्तेमाल के बिना अन्य फसलों की रक्षा में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए, चावल के रोपण के लिए हम एक छोटी मछली का उपयोग कर रहे हैं जो उन बैक्टीरिया और परजीवी पर जिन्दा रहती है जो चावल की फसलों को प्रभावित कर सकते हैं। कुल मिलाकर, हम उत्पादों के जैविक घटकों का लक्ष्य साधते हैं जो स्वास्थ्य के लिए यथासम्भव लाभदायक है।

रॉन ऑगस्टिन : आपके पिता की बौद्धिक विरासत की देखभाल आपकी माँ द्वारा निर्देशित संस्था सेंट्रो डी एस्टूडियो चे ग्वेरा करती है। पिछले बीस वर्षों से, यह केन्द्र चे के लेखन और उन संघर्षों के इतिहास से सम्बन्धित ग्रंथों के प्रकाशन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसमें उन्होंने भाग लिया था। क्या आप केन्द्र की वर्तमान स्थिति के बारे में कुछ कह सकती हैं?

अलेदा ग्वेरा : सेंट्रो का प्रबन्धन अभी भी मेरी माँ द्वारा किया जा रहा है, हालाँकि वह मुझे इसकी जिम्मेदारी देना चाहती हैं। मेरे भाई और मैं उनकी मदद कर रहे हैं, लेकिन मैं अब उस जिम्मेदारी को नहीं लेना चाहती क्योंकि मुझे बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में बहुत कुछ करना है। लगभग हर मामले में मेरी माँ अभी भी बहुत सक्रिय हैं, वह एक अद्भुत तेज इनसान हैं, इस उम्र में भी उनकी आय बताने की मुझे अनुमति नहीं है (हँसी), वह आश्चर्यजनक रूप से मजबूत और तेज हैं। 2014 के बाद से, केन्द्र के अभिलेखागार को विश्व रजिस्टर के यूनेस्को के समृति खण्ड में शामिल किया गया है। ओशन सुर एंड ओशन प्रेस जैसे प्रकाशकों के साथ हमने 20 किताबें प्रकाशित की हैं, और इससे अधिक किताबें तैयारी में हैं। भविष्य में, हम विभिन्न क्षेत्रों में चे के विचारों के प्रभाव पर ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करेंगे। इस साल जून में चे की 90 वीं वर्षगाँठ पर हमने चे के विचारों की वर्तमान प्रासंगिकता पर चर्चा करने के लिए सान्ता क्लारा विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एक सम्मेलन आयोजित किया। इस विषय पर पहले से ही अध्ययन की तैयारी हो रही है जिसके लिए सम्मेलन के निष्कर्ष एक तरह से भूमिका का काम कर सकते हैं।

रॉन ऑगस्टिन : आप पूँजीवादी देशों में काफी यात्रा कर रही हैं। जब आप यूरोप में होती है, तब उदाहरण के लिए, आपको सबसे ज्यादा किस चीज से झटका लगता है?

अलेदा ग्वेरा : ओह! इसकी एक पूरी सूची है। उन चीजों में से एक जो मुझ पर सबसे ज्यादा चोट करती है, यह देखना है कि कैसे ‘पुराना यूरोप’ ध्वस्त हो रहा है–– एक–एक करके, व्यावहारिक रूप से सदियों के संघर्षों के दौरान हासिल की गयी सभी उपलब्धियाँ। काम के दौरान सुरक्षा की भारी कमी, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों का निजीकरण, भत्ते और पेंशन में कमी और लोग शायद ही कभी प्रतिक्रिया करते हैं! उन सभी चीजों पर जिनका सरोकार समाज के भविष्य से है। लोगों की स्वतंत्रता के लिए, उन्हें संस्कृति, शिक्षा की आवश्यकता होती है, ताकि उनके अलावा कोई भी उनकी सोच को तोड़–मरोड़ न सके और उसका उपयोग न कर सके। समाज को स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं की जरूरत होती है, इसलिए स्वास्थ्य एक ऐसा मानवाधिकार है जिस पर कोई समझौता नहीं हो सकता। ये बातें मायने रखती हैं जो मेरे लिए बहुत चैंकाने वाली हैं, क्योंकि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लोग मुझे तत्पर दिखायी नहीं देते हैं। यह समझ में नहीं आता है क्योंकि यूरोप के लोगों में पुस्तैनी संस्कृति, संघर्ष की संस्कृति और एक प्रतिरोध की संस्कृति रही है, जो इस महाद्वीप में मानवता के विकास का सबसे सुन्दर अनुभव है। और इनमें से क्या बचा हुआ है?

दो चीजें हैं जो भयावह हैं जिन्हें मैं कभी स्वीकार नहीं करूँगी–– उपनिवेशवाद और नस्लवाद। ज्यादातर लोगों को यह एहसास नहीं है कि यूरोप की सम्पत्ति पाँच शताब्दियों के दौरान तीसरी दुनिया के लोगों के शोषण से तैयार हुई है और क्षतिपूर्ति के ऐतिहासिक दायित्व की तरह कुछ है, जैसे–– कम से कम उनके साथ एकजुटता। सभी लोग कभी न कभी प्रवासी रहे हैं। यदि कोई यूरोप की ओर वर्तमान विस्थापन को कम करना चाहता है, तो उसे प्रवासी क्षेत्रों के भीतर नौकरियाँ पैदा करनी होंगी आतंकवादियों के समर्थन पर रोक लगानी होगी, सीरिया में युद्ध को रोकना होगा। लेकिन अधिकांश लोग ऐसा कर नहीं पाते हैं या करना नहीं चाहते हैं।

ऐसी चीजें हैं जो मुझे आश्चर्यचकित करती हैं। अन्तरराष्ट्रीय प्रेस, टेलीविजन इसी तरह का एक जहर है। जब मैं यूरोप आती हूँ, तो मुझे मुस्कुराना पड़ता है, जब वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सामान्य रूप से स्वतंत्रता के बारे में मुझसे बात करते हैं। जैसे ही मैं टेलीविजन की तरफ मुखातिब होती हूँ, तो मैं खुद से ‘स्वतंत्रता क्या है’ पूछती हूँ, मुझे बताया जा रहा है कि कौन से कपड़े खरीदने हैं, कौन सी कार चुननी है, भोजन में क्या खाना है, उपभोग करने के लिए क्या है, आदि बकवास। लोगों को बूचड़खाने के जानवरों की तरह समझा जाता है, जो झूठे प्रचार द्वारा स्थायी रूप से मूर्ख बना दिये गये हैं। इस प्रकार, लोग अब उनके आसपास क्या हो रहा है, इसके बारे में और ज्यादा लापरवाह हो गये हैं। उपभोग करने और थोड़ा बेहतर जीने के अलावा किसी भी चीज के बारे में वे शायद ही चिन्तित होते हैं, बिना यह देखे कि उनकी विलासिता, लाखों मनुष्यों के शोषण पर निर्भर है। तो जब मैं यहाँ आती हूँ और वे आजादी और लोकतंत्र के बारे में बात करना शुरू करते हैं, तो मुझे मुस्कुराना पड़ता है। पहले, यह मुझे परेशान किया करता था। अब, मैं हँस सकती हूँ, लेकिन अक्सर मैं खुद से पूछती हूँ, लोगों को यह कब समझ में आयेगा कि स्वतंत्र होने का अर्थ है शिक्षा के इस्तेमाल की स्वतंत्रता और प्रतिक्रिया देने की अनुमति होना। तो, बहुत कुछ किया जाना बाकी है। मुझे लगता है कि फिर भी, लोगों के साथ भलाई, संवेदनशीलता का एक हिस्सा होता है, और यह कि इस संवेदनशीलता को सीखना और स्पर्श करना हमारे ऊपर है।

जब मैं बच्ची थी, मैंने कुछ बुनियादी अवधारणाएँ सीखी थीं। मैं क्रान्ति के बिना नहीं रह सकती। उदाहरण के लिए, मुझे क्यूबा के बाहर एक बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में नौकरी का प्रस्ताव मिला, लेकिन मैंने कहा कि यह उपयोगी नहीं होगा, क्योंकि काम करने के मेरे तरीके का उद्देश्य यह है कि रोगियों को हर समय मेरे पास दुबारा आने की जरूरत नहीं पड़े। काम करने का मेरा तरीका उन्हें स्थायित्व देना है। मुझे सिखाया गया है कि इलाज कोई व्यापार नहीं हो सकता, यह मानव अधिकार होना चाहिए। मुझे यह सिखाया गया है कि मंै बोलूँ जो मैं सोचती हूँ और अपने सिद्धान्तों की रक्षा करूँ, जहाँ भी मैं हूँ, जहाँ भी हो सकता हो। मैं किसी और तरीके से नहीं जी सकती। एक दिन किसी ने मुझसे पूछा–– ‘डॉक्टर, अगर आपको चीजों को सन्तुलन में रखना पड़ा तो आप पहले क्या करेंगी, क्रान्ति या आपकी बेटियाँ?’ और मैंने जवाब दिया – क्रान्ति, क्योंकि मैं चाहती हूँ कि मेरी बेटियाँ भी उसी गरिमा के साथ बड़ी हों जिसके साथ मैं बड़ी हुई हूँ। सभी को हमेशा विचारधारा पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जो बहुत सी गन्दी बातें हमारे ऊपर बरसाती रहती है। और मैं हमेशा कहती हूँ, मैं एक कम्युनिस्ट हूँ, मैं कोई छल नहीं करती, आप समझ रहे हैं न? अगर मैं कम्युनिस्ट हूँ, तो मैं बेवकूफ नहीं हूँ। मंै भी खुशी चाहती हूँ, अच्छी चीजें चाहती हूँ, लेकिन सभी के लिए। मंै किसी ऐसी चीज से लाभ नहीं उठा सकती अगर मुझे पता है कि इससे मेरे सहयोगियों को बिल्कुल लाभ नहीं हो रहा है, ऐसा मैं नहीं कर सकती। हमें चीजों को साझा करना होगा और हमें निश्चित रूप से आगे बढ़ना होगा, लेकिन उन आदर्शों को खोये बिना जिनके साथ हम बड़े हुए हैं।

अनुवाद : ईशान

(मंथली रिव्यू से साभार)

 
 

 

 

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