ब्लॉग

फासीवाद का भविष्य: कार्लो गिन्ज़बर्ग से जोसेफ कन्फावरेक्स की बातचीत

(यह बातचीत ‘मीडियापार्ट’ में सबसे पहले 20 सितम्बर, 2022 में फ्रेंच में- ‘Le fascisme a un futur’ शीर्षक से प्रकाशित हुई, जिसका अनुवाद ‘वर्सोबुक्स’ के लिए डेविडफर्नबाख ने अंग्रेजी में किया और जिसे 4 नवम्बर, 2022 को प्रकाशित किया गया। यहीं से इसका अनुवाद हिंदी में समालोचन के लिए सौरव कुमार राय ने किया है। अपनी ओर से... आगे पढ़ें

देश-विदेश के इस अंक में

सामाजिक-सांस्कृतिक

सामाजिक न्याय की अवधारणा

एक विचार के रूप में सामाजिक न्याय की बुनियाद सभी मनुष्यों को समान मानने के आग्रह पर आधारित है। इसके मुताबिक किसी के साथ सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। हर किसी के... आगे पढ़ें

सामाजिक बदलाव और संस्कृति

(प्रस्तुत लेख जनपक्षधर पत्रकार, अफ्रीका, नेपाल समेत तीसरी दुनिया के विशेषज्ञ और ‘समकालीन तीसरी दुनिया’ पत्रिका के सम्पादक आनन्द स्वरूप वर्मा जी के व्याख्यान का संक्षिप्त रूप है। उन्होने यह व्याख्यान... आगे पढ़ें


राजनीति

नया वन कानून: वन संसाधनों की लूट और हिमालय में आपदाओं को न्यौता

–– अखर शेरविन्द, संसद के मानसून सत्र में 26 जुलाई को लोकसभा ने महज 15 मिनट की चर्चा के बाद एक ऐसा विधेयक पारित कर दिया गया तो पूरे हिमालयी ही नहीं बल्कि अन्तरराष्ट्रीय सीमा से लगे देश के सभी इलाकों... आगे पढ़ें

हमें मासूम फिलिस्तीनियों के कत्ल का भागीदार मत बनाइये, मोदी जी

हमास के हमले के बाद जब इजराइल फिलिस्तीन की जनता पर अँधाधुंध बम बरसा रहा था, हजारों आम नागरिकों और बच्चों का कत्ल कर रहा था, उस समय  भारत के प्रधानमन्त्री मोदी ने इजराइल को शाबाशी देते हुए ट्वीट किया कि भारत... आगे पढ़ें


साहित्य

हसरत मोहानी : उर्दू अदब का बेमिसाल किरदार

हसरत ‘मोहानी’ उर्दू के मकबूल शायर होने के साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बड़े योद्धा थे। उन्होंने ऐशो–आराम की ज़िन्दगी छोड़ कर क्रान्ति की कठिन और जलती हुई राह चुनी। अपना सब कुछ होम किया और देशवासियों... आगे पढ़ें


विचार-विमर्श

धर्म की आड़

–– गणेश शंकर विद्यार्थी, इस समय देश में धर्म की धूम है। उत्पात किये जाते हैं तो धर्म के नाम पर और जिद की जाती है तो धर्म के नाम पर। रमुआ पासी और बुद्धू मियाँ धर्म और ईमान को जानें या ना जानें, परन्तु... आगे पढ़ें

पश्चिमी देशों में दक्षिणपंथी और फासीवादी पार्टियों का उभार

पिछले चार दशकों के दौरान पूरी दुनिया में दक्षिणपंथी विचारधारा और फासीवादी राजनीति का जबरदस्त उभार हुआ है। अगर हम पश्चिमी देशों पर नजर डालें तो पिछले एक दशक से इन देशों में इस विचारधारा का प्रसार काफी बढ़ गया है।... आगे पढ़ें

बीसवीं सदी : जैसी, मैंने देखी

(प्रसिद्ध इतिहासकार एरिक हाब्सबाम बीसवीं सदी को ‘अतियों का युग’ कहते हैं। एक भारतीय के लिए बीसवीं सदी के क्या मायने हैं? इसी सदी में हम उपनिवेश से मुक्त हुए। पर उससे पहले सामाजिक और सांस्कृतिक मुक्ति... आगे पढ़ें

लीबिया की सच्चाई छिपाता मीडिया

–– जोनाथन कुक, पिछले दो दशकों से ‘सुरक्षा का उत्तरदायित्व’ सिद्धान्त के तहत चलने वाली पश्चिम की जानीमानी मौजूदा विदेश नीति की हकीकत लीबिया के बाढ़ के मलबे में साफ दिखायी पड़ रही है। भारी बारिश... आगे पढ़ें


अन्तरराष्ट्रीय

समाचार-विचार