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संपादकीय
कृषि संकट का गोलियों से समाधान!
अगर अंग्रेजों का राज होता तो खबर कुछ ऐसे लिखी जाती, “अंग्रेज सरकार ने भारत के 6 किसानों की गोली मरवाकर हत्या कर दी।” फिर देशभक्त अखबारों का आह्वान होता, “ऐसी लुटेरी और अत्याचारी सरकार के खिलाफ भारतवासी एकजुट हो!” दरअसल ऐसी कोई भी खबर अखबारों में नहीं है। खबर यह आयी कि गोली लगने से मध्य प्रदेश के 6 किसान मारे गये। मंदसौर या मध्य प्रदेश के किसान ही नहीं देशभर में अलग–अलग जगहों के किसान आज आन्दोलन कर रहे हैं। वे शौक के चलते आन्दोलन नहीं कर रहे हैं और न ही किसी उन्माद के चलते पुलिस की गोली खा रहे हैं। उनकी जिन्दगी नारकीय बन गयी है। एक महीना गाँव के किसी मध्यम या गरीब किसान के घर रुककर देख लीजिए। आपको पता चल जाएगा कि किसानों की जिन्दगी कैसे गुजर रही है। खेती की लागत आसमान छू रही है और फसल का दाम धराशाही हो गया है। मंदसौर के किसान फसल के वाजिब दाम और कर्ज माफी के लिए आन्दोलन कर रहे थे। इस सिलसिले में किसानों ने सरकार के सामने 32 सूत्रीय माँग रखी थी। इसमें प्रमुख माँगें इस तरह हैं–– 1– मध्य प्रदेश की सरकार ने एक कानून बनाकर किसानों की जमीन हथियाने का... आगे पढ़ें