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सामाजिक-सांस्कृतिक

अप्रवासी कामगार और उनके बच्चों का असुरक्षित भविष्य

एक ओर तो अप्रवासी मजदूरी का काम उनके परिवार के लिए जीवन निर्वाह के साधन मुहैया करता है, वहीं उनके लिए भारी जोखिम भी पैदा कर देता है। इस जोखिम का सबसे अधिक असर अप्रवासी मजदूरों के बच्चों... आगे पढ़ें


हाथरस गैंगरेप की पाशविक बर्बरता को सत्ता का साथ

उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए बलात्कार और हत्या के मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दायर कर दी है। सीबीआई ने चारों आरोपियों पर सामूहिक बलात्कार और हत्या की धाराएँ लगायी हैं। इससे उत्तर प्रदेश प्रशासन का सच... आगे पढ़ें


जीवन और कर्म

रामवृक्ष बेनीपुरी का बाल साहित्य : मनुष्य की अपराजेय शक्ति में आस्था

–– सुधीर सुमन बेनीपुरी की लेखनी को जादू की छड़ी कहा जाता रहा है। अपने प्रवाहपूर्ण लालित्य से युक्त गद्यशिल्प के कारण वे हिन्दी साहित्य में बेहद चर्चित रहे। लेकिन अपने अद्भुत शिल्प के साथ ही अपने साहित्य... आगे पढ़ें


राजनीतिक अर्थशास्त्र

गिग अर्थव्यवस्था का बढ़ता दबदबा

अर्थव्यवस्था का एक नया रूप है–– गिग अर्थव्यवस्था। यह शब्द भले ही नया है, पर इस तरह की अर्थव्यवस्था से हम सब किसी न किसी रूप में परिचित हैं। आज गिग अर्थव्यवस्था दुनियाभर में तेजी से पैर पसार... आगे पढ़ें


छोटे दुकानदारों की बदहाली के दम पर उछाल मारती ऑनलाइन खुदरा कम्पनियाँ

गिरती अर्थव्यवस्था और कंगालीकरण के दौर में भी ऑनलाइन माफिया खूब कमाई कूट रहे हैं जबकि साधारण दुकानदार या रेड़ी–खोमचे और सब्जी बेचने वालों की चिन्ता यह है कि कौन–सा सामान, फल और सब्जी लायी जाये, जिससे ग्राहक... आगे पढ़ें


नोबेल पुरस्कार : नीलामी का सिद्धान्त या सिद्धान्त का दिवाला ?

पॉल मिल्ग्रोम और रॉजर विल्सन को इस साल के अर्थशास्त्र के नोबेल स्मारक पुरस्कार से नवाजा गया है। अर्थशास्त्र के जिस खास धारा में इन्हें महारत हासिल है वह है “ऑक्शन थ्योरी” यानी नीलामी का सिद्धान्त। इससे पहले... आगे पढ़ें


लक्ष्मी विलास बैंक की बर्बादी : बीमार बैंकिंग व्यवस्था की अगली कड़ी

पीएमसी (पंजाब एण्ड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव) और यश बैंक के बाद अब बर्बाद होने वाले बैंकों की सूची में लक्ष्मी विलास बैंक का नया नाम जुड़ गया है। 94 साल पुराना यह प्राइवेट बैंक अब अपने अन्त की ओर... आगे पढ़ें


राजनीति

कृषि कानून के चाहे–अनचाहे दुष्परिणाम

  –– अमित भादुड़ी प्लासी की निर्णायक लड़ाई जिसमें ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भारत में अपना पैर जमाया और अपनी कम्पनी के शासन को स्थापित किया, उसमें हमारी हार युद्ध के मैदान में नहीं, बल्कि एक सेनापति के... आगे पढ़ें


नये श्रम कानून मजदूरों को ज्यादा अनिश्चित भविष्य में धकेल देंगे

–– माया जॉन संसद में तीन नये श्रम कानून पारित किये गये हैं जो पहले से चले आ रहे 25 श्रम कानूनों की जगह लेंगे। इन तीनों कानूनों का मेल आधिकारिक तौर पर उन श्रम कानूनों के अन्त... आगे पढ़ें


मोदी के शासनकाल में बढ़ती इजारेदारी

–– रविकान्त मुकेश अम्बानी और कुछ मुट्ठीभर अरबपतियों ने राजनीतिक साँठ–गाँठ से चलने वाले इस पूँजीवाद को मोदी शासन के दम पर अपने हाथों का खिलौना बना लिया है। एक बार जॉन डी रॉकफेलर ने कहा था, “खुद... आगे पढ़ें


साहित्य

केन सारो–वीवा : संघर्ष और बलिदान गाथा

केन सारो–वीवा : संघर्ष और बलिदान गाथा

रंगभेद और उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ने वाले दक्षिण अफ्रीका और अफ्रीकी महाद्वीप के नेता, नेल्सन मण्डेला जेल से रिहा होने के बाद पहली बार 1995 में न्यूजीलैण्ड के ऑकलैण्ड शहर में राष्ट्रमण्डल देशों के सम्मेलन को सम्बोधित कर... आगे पढ़ें


फिराक गोरखपुरी : जिन्दा अल्फाजों का शायर

(28 अगस्त 1896 – 3 मार्च 1982) फिराक गोरखपुरी जिन्दा अल्फाजों के महान शायर हैं। अल्फाज उन्हें रचते हैं और वह अल्फाजों को गढ़ते हैं। रचने और गढ़ने की अद्भुत जादूगरी ही कविता है। कविता या शायरी बैठे–ठाले... आगे पढ़ें


श्रद्धांजलि

माराडोना ने एक ऐसी व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह किया, जो हमें कानून की बेड़ियों से गुलाम बनाती है

–– पीटर रोनाल्ड डिसूजा (यह लेख महान फुटबाल खिलाड़ी माराडोना की मौत पर द इण्डियन एक्सप्रेस में श्रद्धांजलि के रूप में प्रकाशित किया गया था। इसमें माराडोना के व्यक्तित्व के जुझारूपन के बारे में उन्हीं के एक मशहूर... आगे पढ़ें


अन्तरराष्ट्रीय

समाचार-विचार

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