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सामाजिक-सांस्कृतिक

गैर बराबरी की महामारी

––शालू पंवार आज की दुनिया में गैर बराबरी एक महामारी का रूप धारण कर चुकी है। दुनिया के किसी भी हिस्से में जीवन का कोई भी पहलू ऐसा नहीं है जिसने इसे संक्रमित ना किया हो। इसका फैलाव... आगे पढ़ें


साम्प्रदायिकता और संस्कृति

–– प्रेमचंद साम्प्रदायिकता सदैव संस्कृति की दुहाई दिया करती है। उसे अपने असली रूप में निकलते शायद लज्जा आती है, इसलिए वह गधे की भाँति जो सिंह की खाल ओढ़कर जंगल में जानवरों पर रोब जमाता फिरता था,... आगे पढ़ें


राजनीतिक अर्थशास्त्र

दुनिया में चैथे नम्बर का अमीर अडानी समूह, देश के बैंकों का सबसे बड़ा कर्जदार भी है।

–– विजय शंकर सिंह यह भी एक विडंबना है कि अपने साठवें जन्मदिन पर 60,000 करोड़ रुपये दान करने की घोषणा करने वाले गौतम अडानी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 14,000 करोड़ रुपये का ऋण माँगा है।... आगे पढ़ें


राजनीति

अग्निपथ योजना : नौजवानों की बर्बादी पर उद्योगपतियों को मालामाल करने की कवायद

अग्निपथ योजना : नौजवानों की बर्बादी पर उद्योगपतियों को मालामाल करने की कवायद

14 जून 2022 को भारत सरकार ने सेना में भर्ती की प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव करते हुए ‘अग्निपथ’ नामक योजना की घोषणा की है। इस योजना से भर्ती होने वाले नौजवानों को सरकार ने ‘अग्निवीर’ नाम दिया... आगे पढ़ें


बेरोजगार भारत का युग

–– माया जॉन तथ्यों के ऐसे बहुत से सूचक मौजूद है जो भारत में रोजगार सृजन के लम्बे चैड़े वादों का खण्डन करते हैं। रेलवे नौकरी के अभ्यर्थियों के हालिया विरोध प्रदर्शन के सामने आये दृश्यों और रिपोर्टों... आगे पढ़ें


ये मौसमे गुल गरचे, तरब खेज बहुत है–––– (अर्थव्यवस्था की तबाही, बेरोजगारी और मजदूरों की बर्बादी के समय अमृत महोत्सव का खटराग)

कोरोना महामारी की तीन लहर गुजर जाने के बाद भारत सरकार हमें राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने का शुभ सन्देश दे चुकी हैं। यानी अर्थव्यवस्था की स्थिति अब कमोबेश कोरोना–पूर्व हालत में पहुँच चुकी है, मानो पतझड़... आगे पढ़ें


‘आपरेशन कमल’: खतरे में लोकतंत्र

–– सीमा श्रीवास्तव महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबन्धन की सरकार गिरा दी गयी। भाजपा शासित राज्यों गुजरात, असम और गोवा में लगभग 10 दिनों तक विधायकों की बाड़ेबन्दी कर, भाजपा ने जो खेल खेला, वह सबने देखा।... आगे पढ़ें


साहित्य

खामोश हो रहे अफगानी सुर

खामोश हो रहे अफगानी सुर

–– प्रो. कृष्ण कुमार रत्तू वतन इश्के तूं इछतेखारम उपरोक्त फारसी गीत का अर्थ है, “अपने प्यारे देश पर मुझे मान है।” 1970 के दशक में जब फारसी भाषा–भारत के सुप्रसिद्ध गायक अब्दुल वहाब मदादी ने इसे लिखा तो... आगे पढ़ें


जनतांत्रिक समालोचना की जरूरी पहल – कविता का जनपक्ष (पुस्तक समीक्षा)

–– रामकिशोर मेहता सुप्रसिद्ध कवि–आलोचक शैलेन्द्र चैहान की एक महत्वपूर्ण आलोचना पुस्तक ‘कविता का जनपक्ष’ प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक में जनपक्षीय आलोचना और इस परम्परा के कवियों पर गम्भीरता से विवेचन किया गया है। आलोचक बहुत बार... आगे पढ़ें


मिर्ज़ा ग़ालिब : फिर मुझे दीद–ए–तर याद आया

मिर्ज़ा ग़ालिब : फिर मुझे दीद–ए–तर याद आया

मिर्ज़ा ग़ालिब का ख़्ायाल आते ही हाथ सलाम के लिए उठता है और सिर अदब से झुक जाता है। उन्हें पढ़ते और गुनते हुए हर्फ़ की रौशनी से दिल–दिमाग़ रौशन हो उठता है। शब्द–लोक का जादू धीरे–धीरे खुलता... आगे पढ़ें


व्यंग्य

आजादी को आपने कहीं देखा है!!!

–– अनूप मणि त्रिपाठी रात को सुरक्षाकर्मी ने आकर बताया कि सर आजादी आयी हुर्इं हैं। नेता कुछ सोच में पड़ गया। पूछा, ‘आजादी!!! कौन आजादी!’ अब सुरक्षाकर्मी इसका क्या जवाब देता। वह हाथ बाँधे खड़ा रहा। नेता... आगे पढ़ें


इन दिनों कट्टर हो रहा हूँ मैं–––

–– अनूप मणि त्रिपाठी आजकल मैं बहुत हीन भावना में जी रहा हूँ। सामान्य तौर पर मैं सामान्य मनुष्य के जैसा जीवन ही जीना चाहता रहा हूँ। मगर अब देख रहा हूँ कि ऐसा सोचना भी मेरा असामान्य... आगे पढ़ें


साक्षात्कार

कम कहना ही बहुत ज्यादा है : एडुआर्डो गैलियानो

–– जोनाह रस्किन (एडुआर्डो गैलियानो ने बड़ी, मोटी–मोटी किताबें लिखी हैं। लातिन अमरीका के रिसते जख्म(1973), जो वेनेजुएला के ह्यूगो शावेज ने मई में बराक ओबामा को इस उम्मीद से दी थी कि इससे वह कुछ इतिहास सीख... आगे पढ़ें


पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन के चलते लू के थपेड़ों से आयी दुनिया की सामत

जलवायु परिवर्तन के चलते लू के थपेड़ों से आयी दुनिया की सामत

1992 ब्राजील के रियो दी जनेरियो में हुए पृथ्वी सम्मेलन में फिदेल कास्त्रो ने कहा था कि “कल बहुत देर हो जायेगी” जो कि हो गयी है। अब गलतियाँ दोहराने का वक्त नहीं है। बल्कि दुनिया के सभी... आगे पढ़ें


विचार-विमर्श

पलायन मजा या सजा

–– मनीषा खाली होते गाँव, गाँव वालों के लिए मजा या सजा यह कह पाना अपने आप में एक बहुत ही मुश्किल बात है। ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तराखण्ड के घोस्ट विलेजेस का विषय इतना प्रसिद्ध होने लगा है,... आगे पढ़ें


पेट्रोलियम और कोयला संकट के पीछे का खेल

जून के महीने में देश के कई राज्यों से पेट्रोल की कमी की खबरें आयीं। निजी कम्पनियों ने अपने सभी पेट्रोल पम्प पर आपूर्ति बन्द कर दी और सरकारी कम्पनियों ने आपूर्ति घटा दी। ऐसे समय में, जब... आगे पढ़ें


अन्तरराष्ट्रीय

समाचार-विचार

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