संपादकीय
पूँजी के हिमायती हैं नवउदारवादी दौर के मौजूदा शासक
देश-विदेश के
अक्टूबर 2019 अंक में
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सामाजिक-सांस्कृतिक
साम्राज्यवादी संस्कृति
भारत में 1991 से वैश्वीकरण की जो आँधी चलायी गयी, इसने देश की अर्थव्यवस्था के साथ–साथ सांस्कृतिक जीवन पर भी गहरा असर डाला। यहाँ के खान–पान, रहन–सहन, आदतों और पहनावों में व्यापक बदलाव आया। यहाँ तक कि भाषा... आगे पढ़ें
राजनीतिक अर्थशास्त्र
अमीर लोग सम्पदा के स्रष्टा हैं!
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से भाषण देते हुए हमारे देश के प्रधानमंत्री ने देश के आर्थिक संकट से जूझने के लिए अमीरों को हताशा के माहौल से उबारना जरूरी समझा। तमाम अमीरों को... आगे पढ़ें
राजनीति
कश्मीर निश्चित तौर पर बोलेगा
जम्मू–कश्मीर से धारा 370 खत्म करने के बाद यह लेख अरुंधति रॉय ने न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए लिखा था। भारत ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी की 73वीं वर्षगांठ मना रहा है और राजधानी दिल्ली के ट्रैफिक भरे चैराहों पर... आगे पढ़ें
कॉरपोरेट–हिन्दुत्व गँठजोड़ को कैसे समझें
उपनिवेशवाद–विरोधी राष्ट्रवाद के विपरीत हिन्दुत्व “राष्ट्रवाद” अर्थशास्त्र को नहीं समझता है। वजह साफ है। उपनिवेशवाद विरोधी राष्ट्रवाद के केन्द्र में औपनिवेशिक शोषण की समझ थी। यही कारण है कि यह सभी पिछले शासकों और औपनिवेशिक शासकों के बीच... आगे पढ़ें
यूएपीए : किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने वाला काला कानून
नया यूएपीए कानून सरकार को अभूतपूर्व शक्तियाँ देने वाला है, जो उसकी ताकत के साथ ही उसकी जवाबदेही भी बढ़ाता है। क्या सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं को ‘भले ही वे अमित शाह की तरह नैतिक रूप से ईमानदार... आगे पढ़ें
वन नेशन नो इलेक्शन
हाल ही में बहुत अधिक बहस हुई है – मेरी राय में पूरी तरह से गुमराह – वन नेशन, वन इलेक्शन के इस सुपर आइडिया पर। इस कॉलम के नियमित पाठकों को पता होगा कि मैं “गुमराह” जैसे... आगे पढ़ें
साहित्य
असरार उल हक ‘मजाज’ : ए गमे दिल क्या करूँ
(जन्म 19 अक्टूबर 1911 – निधन 5 दिसंबर 1955) मजाज का कवि व्यक्तित्व फूल और आग का मिश्रण है। इस मिश्रण में फूल अधिक हैं, जो दुनिया को मिले, लेकिन आग ने मजाज के दिल में ही घर... आगे पढ़ें
राहुल सांकृत्यायन का विकासमान व्यक्तित्व
देश–दुनिया के वर्तमान दौर में राहुल सांकृत्यायन, लेनिन के बहुत करीब लगते हैं। दोनों का व्यक्तित्व विकासमान है। दोनों अपनी रचनाओं से अपने–अपने देश को बदलने का बीड़ा उठाते हैं। “लेनिन” पुस्तक में राहुल जी ने लिखा है––... आगे पढ़ें
व्यंग्य
वे ईमान और न्याय क्या धर्म तक बेच देते हैं!
जिनके पास बेचने का अधिकार होता है, वे सबकुछ, सबकुछ, सबकुछ बेच देते हैं। हवा बेच देते हैं, पानी बेच देते हैं, धरती बेच देते हैं, जंगल बेच देते हैं, नमी बेच देते हैं, धूप–छाँव बेच देते हैं,... आगे पढ़ें
साक्षात्कार
कश्मीरी पण्डित घाटी के अपने मुसलमान भाइयों के बीच सुरक्षित हैं : पूर्व वाइस मार्शल कपिल काक
एजाज अशरफ : आप सहित छह लोगों ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है जबकि अधिकांश कश्मीरी पण्डितों ने जम्मू कश्मीर के संवैधानिक दर्जे पर किये गये बदलाव का... आगे पढ़ें
फैज अहमद फैज के नजरिये से कश्मीर समस्या का हल
(मशहूर शायर फैज अहमद फैज का कश्मीर से गहरा नाता रहा है। 1941 में जब उन्होंने एक अंग्रेज महिला ऐलिस जॉर्ज से शादी की तो शेख मुहम्मद अब्दुल्लाह ने श्रीनगर में उनका निकाहनामा पढ़ा। निकाहनामे पर बतौर गवाह... आगे पढ़ें
“चे ग्वेरा शानदार पिता और पति थे”, बेटी एलीडा ग्वेरा मार्च से बातचीत
क्यूबा के नये संविधान को देश की 86 प्रतिशत से अधिक आबादी ने समर्थन दिया है। एलीडा ग्वेरा मार्च क्यूबा क्रान्ति के नेता चे ग्वेरा की बेटी हैं जो पिता द्वारा स्थापित समाजवाद और वर्तमान समय के पूँजीवादी... आगे पढ़ें
पर्यावरण
अमेजन के जंगलों में भयावह आग
इन दिनों अमेजन वर्षावन धूँ–धूँ कर जल रहा है, यह आग बीते 15 अगस्त से ब्राजील के 9500 से अधिक नये जंगलों को राख में तब्दील करती जा रही है। हालत भयावह है और अमेजन घाटी से सटे... आगे पढ़ें
विचार-विमर्श
एजाज अहमद से बातचीत : “राजसत्ता पर अन्दर से कब्जा हुआ है”
प्रस्तुत साक्षात्कार के एक बड़े भाग का सम्बन्ध हिन्दुत्व की साम्प्रदायिकता, फासीवाद, धर्मनिरपेक्षता और भारतीय सन्दर्भ में वामपंथ के लिए मौजूद सम्भावनाओं से है। दूसरे हिस्सों में वे वैश्वीकरण, वामपंथ के लिए वैश्विक सम्भावनाओं, अन्तोनियो ग्राम्शी के विचारों... आगे पढ़ें