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सामाजिक-सांस्कृतिक

दिल्ली के सरकारी स्कूल : नवउदारवाद की प्रयोगशाला

पिछले 4 सालों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों की दसवीं और बारहवीं की नियमित कक्षाओं में क्रमश: 43,540 और 53,431 छात्रों की कमी आयी है। यानी, दसवीं में हर चैथे और बारहवीं में हर तीसरे छात्र को स्कूलों... आगे पढ़ें


राजनीति

पूँजीवाद के खात्मे के बाद उसकी जगह कैसी व्यवस्था होगी?

आज दुनिया कई तरह के संकटों का सामना कर रही है। इनमें सबसे प्रमुख है पर्यावरण की आसन्न तबाही, जिसे तेजी से बढ़ता धरती का तापमान और समुद्र का जल स्तर, बड़े पैमाने पर प्रजातियों का विलोप और... आगे पढ़ें


मोदी सरकार का आखिरी बजट : चुनावी जुमलों का जखीरा

जाती हुई सरकार का बजट अन्तरिम बजट या लेखा अनुदान माँग (वोट ऑफ एकाउंट) होता है, ताकि नयी सरकार के गठन होने तक अगले वित्तवर्ष के कुछ महीनोें का खर्च चल जाये। लेकिन मोदी सरकार ने अपने अन्तरिम... आगे पढ़ें


सीबीआई विवाद : तोता से कारिन्दा बनाने की कथा

2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को ‘पिंजरे का तोता’ कहा था। पिछले दिनों सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच चले विवाद और वर्मा की सीबीआई से विदाई के दौरान... आगे पढ़ें


साहित्य

मातीगारी : वह देशभक्त जिसने गोलियाँ झेली हैं।

‘मातीगारी’ उपन्यास न्गुगी वा थ्योंगो द्वारा गिकूयू भाषा में पहली बार 1986 में प्रकाशित हुआ। इस उपन्यास के चलते केन्या में एक तूफान खड़ा हो गया। इसे पढ़ने के बाद जो सवाल इस उपन्यास का नायक ‘मातीगारी’ दुहराता... आगे पढ़ें


कहानी

भेड़िया

बहुत देर से मैंने एक दरख्त में पनाह ले रखी है और मेरी यह ख्वाहिश है कि नीचे उतरूँ। लेकिन कम्बख्त भेड़िया मुझे उतरने नहीं देता। वह नीचे खड़ा मुझे खौफनाक नजरों से लगातार देख रहा है और... आगे पढ़ें


व्यंग्य

चरण पखारो कुम्भ : इन ‘पानी परात को हाथ छुयो नहीं’ स्टाइल

कुम्भ मेले में सफाई कर्मियों की बस्ती के पास से गुजरते हुए आप की निगाहें फटी हुई चादरों या अखबारों पर पड़ी सूखी रोटियों या पूरियों पर चली जाती है। जी, यह सफाई कर्मियों की बस्ती का सबसे... आगे पढ़ें


विष्णु नागर के दो व्यंग्य

(1) देशद्रोही हम यह सार्वजनिक घोषणा करते हैं कि हम भी बहुतों की तरह आजकल ‘देशद्रोही’ हैं। हमारे वश में श्मोदीछाप देशभक्त’ होना नहीं है, इसलिए ‘देशभक्ति’ इनके और ‘देशद्रोह’ हमारे हवाले है। ‘देशभक्त’ ही ऐसे मोदी जी... आगे पढ़ें


पर्यावरण

कोप–24 में जलवायु समस्या पर समझौतावादी रवैया

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कांफ्रेन्स का 24वाँ (कोप–24) सम्मेलन पर्यावरण संकट का हल निकाल पाने में सफल न हो सका। यह सम्मेलन 2 से 15 दिसम्बर 2018 को पोलैण्ड के केटोवाइस शहर में आयोजित किया गया था। दुनियाभर... आगे पढ़ें


मीडिया

जनता की निगरानी : क्यों और कैसे?

सन्देशवाहकों, दूतों, पक्षियों–कबूतरों के सहारे शुरू हुई सन्देश भेजने की प्रक्रिया चिट्ठी, डाक, पोस्ट और टेलीग्राफ से विकसित होते हुए तार और लैंडलाइन फोन तक पहुँची। जो आज कृत्रिम उपग्रह के माध्यम से मोबाइल और इंटरनेट के रूप... आगे पढ़ें


फेक न्यूज, ट्रोलिंग और फोटो, वीडियो एडिटिंग : भाजपा की चुनावी रणनीति

अक्सर सोशल मीडिया के ‘फेक न्यूज’ (झूठ खबर) की पोल तो खुलती ही रही है, लेकिन जब सत्ता में शामिल कोई आदमी इस काम को सचेत रूप में करता है, तब हमें और भी ज्यादा सजग और होशियार... आगे पढ़ें


विचार-विमर्श

अस्तित्व बनाम अस्मिता

–– मनोरंजन ब्यापारी कुछ दिन पहले कोलकाता पुस्तक मेले में हुए एक विवाद के सम्बन्ध में ‘टेलीग्राफ’ में खबर छपी, जिसे देख कर बहुतों ने मुझे फोन किया। यह टिप्पणी उसी के बारे में मेरा स्पष्टीकरण है। हर... आगे पढ़ें


राजनीति में आँधियाँ और लोकतंत्र

 –– आनन्द कुमार पाण्डेय पिछली रात की आँधी के बाद घर बिखरा पड़ा है। जो सामान अपनी जगह होना चाहिए, वहाँ नहीं है। पड़ोसी की चादर मेरे घर में है और मेरे कपड़े सड़क पर। आँधियाँ ऐसी ही... आगे पढ़ें


अन्तरराष्ट्रीय

समाचार-विचार

अवर्गीकृत