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संपादकीय
किसान और किसानी की तबाही : जिम्मेदार कौन?
खेती किसानी का संकट आज अचानक मीडिया और राजनीति के गलियारे में गर्मागर्म चर्चा का विषया बन गया है। लेकिन यह सब गलत मुद्दे के इर्द–गिर्द और गलत मंशा से किया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में दिल्ली के जंतर मंतर पर आम आदमी पार्टी की किसान रेली में गजेन्द्र सिंह की पेड़ से लटककर मौत की दु:खद घटना के बाद राजनीतिक पार्टियों के बीच आरोप–प्रत्यारोप, तू–तू–मैं–मैं और खोखली बयानबाजी का जो सिलसिला चल पड़ा उसने भारतीय राजनीति की विदू्रपता और घिनौनेपन को सतह पर ला दिया। इसने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि इन राजनीतिक पार्टियों के लिए किसी का मरना–जीना राजनीतिक हानि–लाभ से अधिक कोई मायने नहीं रखता। लोकसभा में इस मुद्दे पर शोर सराबे के बीच अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने ठीक ही कहा कि किसानों के सरोकारों से किसी को कोई मतलब नहीं, सब अपनी–अपनी राजनीति कर रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम पर यह एकदम सही टिप्पणी है।
गजेन्द्र सिंह की मौत की घटना से ठीक पहले लगभग एक महीने तक बेमौसम बरसात और ओला वृष्टि के चलते रबी की फसल को भारी नुकसान हुआ था। इससे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश और राजस्थान सहित ग्यारह राज्यों के किसान प्रभावित हुए। गेहँू के... आगे पढ़ें