सितम्बर 2024, अंक 46 में प्रकाशित

अयोध्या में सेना की जमीन की बन्दरबाँट

अदानी समूह की सहायक कम्पनी ने नवम्बर 2023 में भाजपा के पूर्व विधायक सी पी शुक्ला से अयोध्या के माझा जमथरा गाँव में 1–4 हेक्टेयर जमीन खरीदी। इस जमीन को विधायक महोदय ने करीब एक साल पहले खरीदा था। इसी कड़ी में जुलाई 2023 में बाबा रामदेव की सहयोगी कम्पनी ने 3–035 हेक्टेयर, फरवरी 2022 में श्री श्री रवि शंकर की मालिकाना वाली कम्पनी ने 5–31 हेक्टेयर जमीन उसी इलाके में खरीदी। यह गाँव सैन्य क्षेत्र से बिल्कुल सटा हुआ है। यह सैन्य सुरक्षा की दृष्टि से बहुत संवेदनशील क्षेत्र है। इसे सेना के शिक्षण–प्रक्षिशण और बम गिराने जैसे प्राणघातक युद्धाभ्यास के लिए छोड़ा गया था। ऐसी कार्रवाइओं में जान–माल का खतरा बना रहता है। इसी के चलते इस जगह को खाली रखा गया था और किसी भी तरह के निर्माण कार्य, व्यावसायिक गतिविधि, आदि पर पाबन्दी थी जिससे जरूरत पड़ने पर पूरी जगह को खाली कराकर सैन्य अभ्यास की कार्रवाई की जा सके।

गवर्नर के कार्यालय से जारी सूचना के अनुसार, अगस्त 2020 से जुलाई 2024 तक 14 गाँवों की 5419 हेक्टेयर (13,391 एकड़) जमीन को डी–नोटिफाई किया गया। यह एक कानूनी प्रकिया है जिसके जरिये प्रतिबंधित, संरक्षित आदि सरकारी जमीनों पर कार्रवाई की इजाजत दिया जाता है। सरकारी जमीनों को, विशेष रूप से माझा जमथरा गाँव की जमीन को डी–नोटिफाई करना भी इसी कार्रवाई का एक छोटा सा हिस्सा है।

उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने 30 मई 2024 को माझा जमथरा गाँव की 2219 एकड़ जमीन को डी–नोटिफाई किया। इसकी मुख्य वजह इस जगह का भावी विकास बताया गया। मतलब अब यहाँ अमीरों के बड़े–बड़े भवन निर्माण कार्य, बड़े–बड़े व्यापारियों–पूँजीपतियों के दुकान–मॉल खुल सकेंगे, और भी बहुत सारी व्यावसायिक गतिविधियाँ की जा सकेंगी।

यह वही जमीन है जहाँ कुछ गरीब लोग अपनी जीविका के साधन जुटाने, जैसे–– लकड़ी बटोरने, पशुओं को चराने, कुछ साग–सब्जी उगाने के लिए उपयोग में लेते थे। इस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए, इसे गैर कानूनी बताते हुए इसे अतिक्रमण कहा और जगह को फौरन खाली करवाने के आदेश दिये थे।

इस जमीन की खरीद–बिक्री इसके डी–नोटिफाई होने से चार साल पहले राम मन्दिर के निर्माण के साथ–साथ ही शुरू हो गयी थी। यही भाजपा का राम–राज्य है जहाँ एक तरफ मन्दिर की आड़ में जमीन की बन्दर–बाँट होती है तो दूसरी तरफ सैकड़ों सालों से रह रहे लोगों को उनके घर से बेघर कर दिया जाता है। आम लोगों के लकड़ी बटोरने, पशुओं को चराने, कुछ साग–सब्जी उगाने पर उच्च न्यायालय स्वत: संज्ञान लेती है और उसे गैर कानूनी कहती है। अमीरों को सरकारी जमीन की बिना इजाजत खरीद–बिक्री को जायज ठहराने के लिए कानूनी फेर–बदल करती है। यही है राम राज्य की न्याय व्यवस्था।

इस हिसाब से भाजपा का तथाकथित राम–राज्य कॉर्पाेरेट, छोटे–बड़ेे पूँजीपतियों और सनातन धर्म के ठेकेदारों के साँठ–गाँठ का राज्य है जो मेहनतकश जनता की तबाही पर टिका हुआ है और जिसमें सरकारी जमीन पर निजी कब्जा गलत नहीं है।

–– अजहर

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