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संपादकीय
सर्जिकल स्ट्राइक और उसके बाद
भारतीय सेना ने 29 सितम्बर को लाइन ऑफ कन्ट्रोल से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ (लक्षित हमला) किया। इस घटना के बाद पक्ष–विपक्ष की पार्टियों में एक–दूसरे पर हवाई गोले दागने की होड़़ लग गयी। मीडिया का एक बड़़ा हिस्सा और सोशल मीडिया पर सक्रिय अतिउत्साही सरकार–समर्थक इस घटना को अभूतपूर्व बताते हुए सेना की बहादुरी की आड़़ में सरकार की छवि चमकाने, अपने विरोधियों को देशद्रोही बताने और युद्धोन्माद का माहौल बनाने में जुट गये। रक्षामंत्री ने सेना की तुलना हनुमान से की, जिसे इस कार्रवाई से पहले अपनी शक्ति का आभास ही नहीं था, जबकि भाजपा ने उत्तर प्रदेश (जहाँ जल्दी ही चुनाव होने हैं) में उनका सम्मान समारोह आयोजित किया। उस आयोजन का बैनर उन्मादी नारों और भाजपा नेताओं की तस्वीरों से भरा हुआ था, सेना की बहादुरी का वहाँ कोई उल्लेख नहीं था। भावी चुनाव को देखते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित देश के तमाम इलाकों में भाजपा नेताओं की बड़़ी–बड़ी तस्वीरों के साथ पाकिस्तान को धमकी और सरकार को बधाई देने वाले बैनर भी टंग गये। दूसरी तरफ सरकार बार–बार अपने विरोधियों को उपदेश देती रही कि सेना की इस कार्रवाई पर राजनीति न करें।
विख्यात युद्धविशारद कार्ल वॉन क्लॉजवित्ज ने... आगे पढ़ें