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संपादकीय
देश किधर जा रहा है
30 अगस्त को कन्नड के प्रख्यात विद्वान एम एम कुलबर्गी की धारवाड़ शहर में गोली मारकर हत्या कर दी गयी। कन्नड़ वचना साहित्य के विद्वान साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कुलबर्गी को अंधविश्वास की तीखी आलोचना के कारण दक्षिणपंथी हिन्दूवादी संगठनों ने जान से मारने की धमकी दी थी। उनकी हत्या के ठीक बाद बजरंग दल और राम सेना से जुड़े दो स्थानीय नेताओं ने ट्वीटर पर लिखा कि अलगा निशाना के एस भगवान हैं। पुलिस ने उन दोनों को गिरफ्तार कर जमानत पर छोड़ दिया। वैचारिक असहमति के लिए मौत के घाट उतारे जानेवाले कुलबर्गी पहले विद्वान नहीं हैं। इससे पहले 2013 में हिन्दूवादियों ने अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के तर्कशील लेखक नरेन्द्र दाभोलकर की पुणे में हत्या कर दी थी। इसी वर्ष महाराष्ट्र के जाने–माने जुझारू कार्यकर्ता गोविन्द पानसारे की हत्या भी इसी सिलसिले की कड़ी है। इन तीनों मामलों में हत्यारे मोटरसाइकिल पर सवार थे, तीनों प्रगतिशील जनपक्षधर और अंधविश्वास के विरोधी थे। नरेन्द्र दाभोलकर और गोविन्द पानसारे के हत्यारे अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। हमारे देश में पिछले कुछ वर्षों से एक तरफ वैचारिक असहमति को लेकर दक्षिणपंथी संगठनों की असहिष्णुता, कट्टरता और हिंसक हमले तेजी से बढ़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर प्रगतिशील तार्किक... आगे पढ़ें