संपादकीय
रूस–यूक्रेन युद्ध की विनाशलीला : युद्ध नहीं, शान्ति! लूट नहीं, क्रान्ति!! लेकिन कैसे ?
देश-विदेश के
अप्रैल 2022 अंक में
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राजनीतिक अर्थशास्त्र
क्रिप्टो करेंसी –– साम्राज्यवादी ताकतों के शोषण का हथियार
क्रिप्टो करेंसी छद्म, आभासी और डिजिटल मुद्रा है। यह कानूनी रूप से स्वीकार्य (लीगल टेंडर) नहीं है। हाल ही में, पहली क्रिप्टो करेंसी बिटक्वाइन जो 2009 में आयी थी, उसका मूल्य 51 लाख रुपये तक पहुँच गया है,... आगे पढ़ें
निजीकरण की राह पर रेलवे
भारतीय रेल प्रतिदिन ऑस्ट्रेलिया की पूरी आबादी के बराबर यानी ढाई करोड़ लोगों को एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचाती है। 34 लाख मीट्रिक टन माल की प्रतिदिन ढुलाई करती है। यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित... आगे पढ़ें
स्मार्ट फोन : पूँजीवादी लूट का औजार
बोलचाल की आम भाषा में श्रम करने का अर्थ शारीरिक परिश्रम करने वाले काम से लिया जाता है। आम जनता श्रम के अन्य रूपों पर बहुत कम ध्यान देती है। लूट का अर्थ है–– श्रमिकों से अधिक काम... आगे पढ़ें
राजनीति
चुनावी ढकोसले के पीछे सत्ता का जन विरोधी चेहरा
पूरे फरवरी महीने और मार्च के पहले सप्ताह तक पाँच राज्यों के चुनाव का आठ चरणों में होना कोई अचरज की बात नहीं है और न ही चार राज्यों में भाजपा की सरकार बनना ही कोई अचरज की... आगे पढ़ें
नागालैंड में मजदूरों का बेरहम कत्लेआम
लम्बे समय से उत्पीड़न का शिकार भारत के उत्तर–पूर्वी राज्य नागालैंड में एक और दिल दहला देने वाली घटना घटी है। 4 दिसम्बर 2021 की शाम 21वीं पैरा कमांडो की फौजी टुकड़ी ने काम से लौट रहे मजदूरों... आगे पढ़ें
श्रद्धांजलि
एजाज अहमद : एक प्रतिबद्ध बुद्धिजीवी का जाना
एक उत्कृष्ट जनपक्षधर, अन्तरराष्ट्रीय बुद्धिजीवी एजाज अहमद का 9 मार्च को इरविन, कैलिफोर्निया में निधन हो गया। उन्होंने न केवल समकालीन दुनिया की विभिन्न घटनाओं का मार्क्सवादी दृष्टिकोण से विश्लेषण किया, बल्कि मार्क्सवाद पर किये जानेवाले हमले और... आगे पढ़ें
व्यंग्य
चरणों में कैसे आ गये ?
–– विष्णु नागर आप तो जी, ‘मास्टरस्ट्रोक पर मास्टरस्ट्रोक’ मार रहे थे न, फिर अचानक क्या हुआ गुरूपर्व के दिन सुबह–सुबह आपने तो तीनों काले कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी! अकड़े हुए थे तो... आगे पढ़ें
विचार-विमर्श
उत्तर–आधुनिकतावाद और मौजूदा व्यवस्था के कुतर्क
(पूंजीवादी राजनीतिक प्रबन्धकों का तिकड़म, साम्राज्यवादी तबाही पर पर्दा डालने की एक घिनौनी कोशिश) उत्तर आधुनिकतावादी विचारों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि मध्य युग में सामन्तवादी शोषण से पीड़ित जनता ने सामन्तवाद के विरुद्ध विद्रोह की अलख जगा दी... आगे पढ़ें
वैज्ञानिकों की गहरी खामोशी
भारत के पहले खगोल भौतिकविज्ञ और निर्वाचित सांसद मेघनाद साहा ने दिसम्बर 1954 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को लिखा था–– “मेरा आपसे निवेदन है कि आप बिलकुल इयागो’ जैसे लोगों की बातों में आकर अपनी डेसडेमोनाओं का गला... आगे पढ़ें