संपादकीय
सरकार की बेपरवाही ने लाखों लोगों की जान ले ली
देश-विदेश के
जून 2021 अंक में
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सामाजिक-सांस्कृतिक
किसान आन्दोलन के आह्वान पर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा
किसान आन्दोलन ने जनता के विभिन्न तबकों की चेतना उन्नत करने और आन्दोलन में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए नए–नए सृजनशील तौर तरीके विकसित किये हैं। संघर्ष के उन्हीं रूपों में एक है–– मिट्टी सत्याग्रह यात्रा, जो नमक... आगे पढ़ें
राजनीतिक अर्थशास्त्र
खेती–किसानी पर साम्राज्यवादी वर्चस्व
खेती के आधुनिकीकरण करने के नाम पर फार्म मशीनीकरण, उर्वरकों–कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग, सिंचाई तकनीकों में सुधार, जेनेटिक मोडीफाइड बीज, गरीब और मध्यम किसानों की तबाही और ऋण की आसान उपलब्धता जैसी चीजें साम्राज्यवादी ढंग की खेती की... आगे पढ़ें
गहरे संकट में फँसी भारतीय अर्थव्यवस्था सुधार की कोई उम्मीद नहीं
हाल ही में देश कोरोना की दूसरी लहर का गवाह बना जिसमें सरकार की लापरवाही और अव्यवस्था ने लाखों लोगों की जिन्दगी छीन ली। कोरोना महामारी की दूसरी लहर तो अब घटती नजर आ रही है लेकिन एक... आगे पढ़ें
भारत के मौजूदा कृषि संकट की अन्तरवस्तु
दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों में किसान आन्दोलन निरन्तर जारी है। यह आन्दोलन सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है और सरकार की लोकप्रियता को लगातार कम करता जा रहा है। ऐसे माहौल में देश के कृषि... आगे पढ़ें
राजनीति
हरियाणा किसान आन्दोलन की समीक्षा
-– उदय चे ऐतिहासिक किसान आन्दोलन पिछले छह महीने से दिल्ली की सरहदों पर चल रहा है। छह महीने पहले जब आन्दोलन शुरू हुआ था, उस समय 26 नवम्बर को जब किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे... आगे पढ़ें
साहित्य
किसान आन्दोलन : समसामयिक परिदृश्य
(समय इस तरह का आ गया है) –– सुरजीत पातर पद्मश्री सम्मान वापिस करते समय मन में कई तरह की उधेड़बुन होती है। सम्मान प्राप्त करते समय के पूर्व–दृश्य मन में चलते हैं। मन में दुख और रोष... आगे पढ़ें
जोश मलीहाबादी : अंधेरे में उजाला, उजाले में अंधेरा
शब्बीर हसन खाँ के जोश मलीहाबादी बनने की कहानी एक भरे–पूरे, आसमान छूते पहाड़ के टूटने और बिखरने की कहानी है। जिन्दगी के आखिरी दिनों के असह्य दु:ख, उपेक्षा और जानलेवा एकान्त के बीच जब जोश अतीत के... आगे पढ़ें
विश्व साहित्य में महामारी का चित्रण
पिछले एक वर्ष से अधिक समय से कोविड–19 महामारी ने जीवन, समाज, साहित्य दर्शन और व्यापार सभी पर असर डाला है। बहुत सी चीजें, परिस्थितियाँ और मुद्दे पूरी तरह से बदल चुके हैं। व्यापारी अपने धंधे और मुनाफे... आगे पढ़ें
विचार-विमर्श
कोरोना महामारी : सच्चाई बनाम मिथक
मौजूदा महामारी के चलते बहुत से पूँजीवादी मिथकों की सच्चाई आज हम सबके सामने उजागर हुई है। यह वही झूठ का गुब्बारा है जिसे पूँजीवादी व्यवस्था रोज हवा देकर फुलाती है। इसका मकसद होता है जनता की दुर्दशा... आगे पढ़ें
कोरोना महामारी और जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था
डॉक्टरों के सामने अपने मरते पिता के लिए एक महिला बेड की गुहार लगाती रही लेकिन कहीं भी उसके पिता को बेड नहीं मिला। कुछ ही देर में ऑक्सीजन की कमी से उसके पिता ने दम तोड़ दिया।... आगे पढ़ें
कोविड संकट : जनता पर चैतरफा कहर
कोविड–19 की दूसरी लहर भारत की जनता पर कहर बनकर टूटी है। इस वक्त देश में चारों ओर जो नजारे दिखायी दे रहे हैं, वे दिल दहलाने वाले हैं। ऑक्सीजन की कमी से जान गँवाते मरीज, अस्पतालों के... आगे पढ़ें
निजीकरण ने ऑक्सीजन की कमी से जनता को बेमौत मारा
ताजा सूरत–ए–हाल कोरोना की दूसरी लहर के आगे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था ताश के पत्तों की तरह ढह गयी। डॉक्टरों और अस्पतालों की तो बात ही क्या, दवाईयों, ऑक्सीजन और शवों के अन्तिम संस्कार तक के लिए जानता... आगे पढ़ें