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संपादकीय
महान अक्टूबर समाजवादी क्रान्ति के सौ वर्ष : एक नये युग की शुरुआत
वर्ष 2017 महान अक्टूबर समाजवादी क्रान्ति का शताब्दी वर्ष है। दुनियाभर में मेहनतकश वर्गों के संगठन तथा न्याय और समता पर आधारित समाज का सपना देखने और उसे जमीन पर उतारने के लिए प्रयासरत लोग इस सौवीं वर्षगाँठ को अपने–अपने तरीके से याद कर रहे हैं।
1917 की बोल्शेविक क्रान्ति ने पूरी दुनिया में क्रान्तिकारी बदलाव के एक नये दौर का उद्घोष किया। इसने एक ऐसी दुनिया के सपने को साकार किया था जिसमें शहीद भगत सिंह के शब्दों में “एक वर्ग दूसरे वर्ग का और एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र का शोषण–उत्पीड़न न कर सके।” जहाँ न्याय और समता केवल सुहावने शब्द भर नहीं बल्कि जमीनी हकीकत हो।
1917 की रूसी क्रान्ति कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। यह मजबूत वैचारिक आधार पर संगठित एक योजनाबद्ध कार्रवाई थी। यह एक लम्बे वैचारिक तैयारी की परिणति थी जिसकी शुरुआत रूसी क्रान्ति के 70 साल पहले 1848 में मार्क्स–एंगेल्स द्वारा ‘‘कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणपत्र’’ के प्रकाशन के साथ हुई थी, इसके बाद से ही वैज्ञानिक समाजवाद की वैचारिक बुनियाद वाद–विवाद–संवाद के जरिये लगातार मजबूत होती गयी। मार्क्स–एंगेल्स ने जीवन भर मजदूर वर्ग के भीतर उठने वाले नाना प्रकार के अवसरवाद और वैचारिक भटकाव से संघर्ष किया और मार्क्सवाद के आर्थिक, राजनीतिक, वैचारिक, सांस्कृतिक... आगे पढ़ें