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संपादकीय
गहराता आर्थिक–सामाजिक संकट : दवा के नाम पर जहर
5 अक्टूबर को विश्व आर्थिक मंच के भारत सम्मेलन में एयरटेल कम्पनी के मालिक भारती मित्तल ने कहा कि “200 सबसे बड़ी कम्पनियों द्वारा छँटनी किया जाना और आनेवाले समय में वहाँ कोई नयी नौकरी पैदा न होने की सम्भावना गम्भीर चिन्ता का विषय है। इस तरह सम्पूर्ण बिजनेस समुदाय के लिए समाज को साथ लेकर चलना कठिन से कठिनतर हो जायेगा। इस तरह आप करोड़ों लोगों को पीछे छोड़ देंगे।” उनका यह भी कहना था कि “पिछले कुछ साल हमारे लिए अच्छे नहीं रहे हैं। धन का बँटवारा समाज के स्तर तक नहीं पहुँचा है। इसके चलते राजनीतिक व्यवस्था के ऊपर भी भारी दबाव बढ़ रहा है।”
जिस बेरोजगारी और छँटनी पर मित्तल ने चिन्ता जाहिर की, उसके बारे में उसी सम्मेलन में बोलते हुए केन्द्रीय रेलवे और कोयला मंत्री पियूष गोयल ने बड़े ही बेफिक्री भरे लहजे में कहा कि “कम्पनियों द्वारा नौकरियों में कटौती किया जाना तो शुभ संकेत है। इसका मतलब यह कि अब आनेवाले कल के नौजवान नौकरी पानेवाला नहीं, बल्कि नौकरी देनेवाला बनना चाहते हैं। नयी पीढ़ी नौकर नहीं, उद्योगपति बनना चाहती है।”
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