पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नदियाँ मौत परोस रही हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निवासी जल संकट और प्रदूषित नदियों से अपरिचित नहीं हैं। लेकिन यह संकट कितना भयावह रूप ले चुका है, इसकी उन्होंने शायद ही कल्पना की हो। गाजियाबाद आधारित ईटीएस लैब ने मुजफ्फरनगर के भोपा इलाके के पानी का परीक्षण करने पर पाया कि एक लीटर पानी में लेड 2.15 मिलीग्राम है, जिसकी अधिकतम मात्रा 0.01 मिलीग्राम होनी चाहिए। यानी पानी में लेड की मात्रा अधिकतम सीमा से 215 गुना अधिक है। इसी तरह अमोनिया 14 और लोहा 8.19 मिलीग्राम है जो अधिकतम 0.5 और 0.3 मिलीग्राम होने चाहिए।
इस इलाके का भूजल पीकर लोग तरह–तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इनमें त्वचा रोग और कैंसर के रोगी बड़ी संख्या में हैं। बच्चों में मानसिक बीमारियों का प्रकोप फैल रहा है। इस इलाके की काली नदी का पानी प्रदूषण के चलते इतना काला हो चुका है कि स्थानीय निवासी यह मानने लगे हैं कि काले पानी की वजह से ही इसका नाम काली नदी पड़ा है, लेकिन गाँव के बुजुर्ग बताते हैं कि उनके बचपन में काली का पानी इतना साफ होता था कि मछलियाँ तैरती हुई दिख जाती थीं और राहगीर अंजुली में उठाकर इसका पानी पीया करते थे।
जब हालात बद से बदतर हो गये तो 8 अगस्त 2018 को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने इलाके के 124 उद्योगों को बन्द करने और उनके खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया। ये उद्योग पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 6 नदियों में प्रदूषण घोलते हैं। इससे पहले जुलाई में केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक जाँच में पाया गया कि हिन्डन नदी के आस–पास के 168 इलाकों में से 93 इलाके का भूजल पीने लायक नहीं है। इन इलाकों के भूजल में फ्लोराइड, सल्फेट, तेल और ग्रीस तथा भारी धातुएँ घुली हुई हैं। इससे लीवर, किडनी, आंतों में इंफेक्शन तेजी से फैल रहा है। हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, लीवर कैंसर, आंतों के कैंसर, स्किन कैंसर और गुर्दे की बीमारियाँ लोगों को अपना शिकार बना रही हैं। इन इलाकों की 6 नदियाँ गाजियाबाद, गेटर नोएडा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर को सिंचती थीं। लेकिन अब ये इन इलाकों में जहर बोने का काम कर रही हैं। सीपीसीबी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इलाके की 195 फैक्ट्रियों में से 119 ने कचरा सफाई का कोई उपकरण नहीं लगा रखा है। ये फैक्ट्रियाँ अपना सारा कचरा सीधे इन नदियों में बहा देती हैं। इसके साथ ही रिपोर्ट यह भी दावा करती है कि 232 फैक्ट्रियाँ 65,646 केएलडी गन्दा पानी (एक केएलडी का अर्थ है–– 1000 लीटर गन्दा पानी रोज बहाना) बिना साफ किये हिन्डन में बहाती हैं। इस तथ्य से साफ पता चलता है कि रोज कितनी बड़ी मात्रा में नदियों को प्रदूषित किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने यूपी जल निगम को निर्देश दिया है कि इन इलाकों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करे। लेकिन उसका यह आदेश भी नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह गयी।
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