जून 2021, अंक 38 में प्रकाशित

कोरोना और कुम्भ मेला

हाल ही में मध्यप्रदेश के विदिशा में हरिद्वार कुम्भ से लौटे 83 लोगों में से 60 कोरोना संक्रमित पाये गये। जबकि इनमें से 5 गम्भीर से रूप से संक्रमित हो गये। इनके अतिरिक्त 22 लोगों की अभी कोई जानकारी नहीं मिली है जो कुम्भ में शामिल हुए थे। देशभर से कुम्भ में शामिल हुए लोगों ने कुम्भ समाप्त होने पर अपने घरों की और लौटना शुरू कर दिया। विदिशा की यह घटना स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा पूर्व में कुम्भ को लेकर जतायी जा रही चिन्ताओं में से एक है।

पहले स्वास्थ से जुड़े विशेषज्ञों ने कोरोना के तेजी से फैलते संक्रमण को देखते हुए सरकार से कुम्भ को रद्द किये जाने की अपील की थी, लेकिन उत्तराखण्ड सरकार ने कुम्भ को रद्द किये जाने के बजाय कहा कि “कोविड–19 के नाम पर किसी को भी मेले में आने से नहीं रोका जायेगा। ईश्वर में आस्था वायरस को खत्म कर देगी। मुझे इसका पूरा भरोसा है।” इसके साथ ही उन्होंने कोविड से जुड़े सभी दिशा–निर्देशों का पालन किये जाने की झूठी हामी भी भरी थी।

उत्तराखण्ड सरकार ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाहों और चिन्ताओं को दरकिनार कर अप्रैल माह में कुम्भ मेले का आयोजन किया। सरकारी आँकड़ांे के अनुसार मेले में 91 लाख लोगों आये। यह वह समय था जब देशभर में रोजाना 2 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमितांे की संख्या दर्ज हो रही थी और 2 हजार से ज्यादा लोग इस बीमारी से मारे जा चुके थे। आज हालत और भी भयावह हो चुकी है।

कुम्भ मेले के दौरान बढ़ने वाले संक्रमण को इसी से समझा जा सकता है कि मेले से पूर्व उतराखण्ड में प्रतिदिन दर्ज संक्रमितों की संख्या 500 थी, जो कुम्भ खत्म होते–होते 28 अप्रैल को 6054 हो गयी।

कोविड दिशानिर्देशों के अनुसार 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और 65 वर्ष से अधिक के बुजुर्ग मेले में शामिल नहीं हुए। इसके साथ ही मेले में शामिल होने वाले लोगों को मास्क लगाना और सामाजिक दूरी का पालन करना जरूरी था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

उत्तराखण्ड सरकार ने दावा किया था कि वह कुम्भ मेले में कोरोना नियमों का पालन न करने वालांे पर सैकड़ों कैमेरों से निगाह रखेगी, लेकिन कुम्भ मेले के दौरान सरकार के उन सभी बड़े–बड़े दावों की धज्जियाँ उड़ गयी। जब देशभर में लोग कोरोना नियमों का पालन न करने के चलते भारी भरकम जुर्माना भर रहे थे, उस समय कुम्भ मेले में हजारों लोग बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के शामिल हुए। मेला निरीक्षक संजय गुंज्याल ने भी हार मानकर कहा कि कोविड नियमों का पालन करवाना यहाँ मुश्किल था।

पहले शाही स्नान के बाद विभिन अखाड़ों के 68 शीर्ष साधु संक्रमित हुए। जिनमें निर्वानी अखाड़े के महामण्डलेश्वर का कोरोना से निधन हो गया। कुम्भ मेले के दौरान लोगों की कोरोना जाँच से यह सामने आया कि 1 अप्रैल से 30 अप्रैल में कुम्भ के दोरान 15 हजार से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए। यह सब धर्म के नाम पर जारी ढोंग–पाखण्ड का पर्दाफाश करने के लिए काफी है, लेकिन उत्तराखण्ड सरकार इसके बाद भी नहीं चेती।

एक तरफ सरकार के फैसले से आज लाखों लोग कोरोना संक्रमण का सामना कर रहे हैं, वहीं मीडिया जिसे कुम्भ आयोजन और सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाना चाहिए था, उसने कुम्भ को लेकर अपनी आँखें बन्द कर मँुह पर पट्टी बाँध ली। यह वही मीडिया है, जिसे पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के दौरान तबलीगी जमात में शामिल लोगों को सुपर स्प्रेडर, कोरोना जिहादी, कोरोना आतंकवाद, कोरोना बम जैसे नामों से बदनाम किया था। मीडिया ने उनके खिलाफ नफरत का माहौल बनाया और केन्द्र सरकार के कई बड़े नेताओं ने उनके खिलाफ भड़काऊ बयान दिये। इससे गलियों में सब्जी बेचने वालांे, जरूरत का अन्य सामान बेचने वाले मुस्लिमों को पीटा जाने लगा था।

देशभर में तबलीगी जमात से जुड़े लोगों पर एफआईआर दर्ज की गयी और मुकदमे कायम हुए। मुकदमे की सुनवाई के दौरान बाम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने तबलीगी जमात से जुड़े लोगों पर की गयी एफआईआर रद्द की और कहा की “दिल्ली में मरकज में आये लोगों के खिलाफ मीडिया में गलत प्रोपागेण्डा चलाया गया। भारत में फैले कोरोना संक्रमण के लिए इन लोगों को ही जिम्मेदार बनाने की कोशिश की गयी। तबलीगी जमात को बलि का बकरा बनाया गया।”

 मौजूदा तेज संक्रमण की तुलना पिछले वर्ष तबलीगी जमात पर की गयी कार्रवाई से की गयी तो उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री का बयान था कि “वे (मरकज में आये लोग) एक बिल्डिंग में जमा थे, जबकि कुम्भ में आये लोग खुले में रह रहे हैं और यहाँ तो गंगा बह रही है। माँ गंगा के प्रभाव और आशीर्वाद से कोरोना दूर ही रहेगा। माँ गंगा इसे फैलने नहीं देंगी। तबलीगी जमात के जमावड़े से इसकी तुलना करने का सवाल ही पैदा नहीं होता।”

कोरोना के बढ़ते मामलों और संक्रमण से होने वाली मौतों के लिए उत्तराखण्ड सरकार जिम्मेदार है, उतनी ही जिम्मेदार केन्द्र सरकार भी है, जो इस पूरे आयोजन के दौरान उत्तराखण्ड सरकार की सहयोगी बनी रही। साथ ही बंगाल में हजारों लोगों की रैलियों का आयोजन करने में खुद प्रधानमंत्री दूसरी पाटियों से भी आगे निकल गये।

लेख लिखे जाने तक देश भर में कोरोना संक्रमण के 2 लाख से ज्यादा मामले रोजाना दर्ज होते रहे। जब कुम्भ मेले में शामिल लोग अपने–अपने घरों की और लोटे, तो कोरोना वायरस भी इनके घरों में पहँुच गया और लाखों लोग संक्रमित हुए। आज लोग लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में स्थिति को और बुरा होने से कैसे रोका जायेगा, जब सरकार महामारी को रोकने में नहीं बढ़वा देने में लगी हुई है। 

 
 

 

 

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