22 दिसंबर, 2020 (ब्लॉग पोस्ट)

विश्वविख्यात फुटबाल खिलाड़ी माराडोना की वापसी

बीते महीने  25 नवम्बर 2020 को हार्ट अटैक के चलते  दुनिया के एक महानतम फुटबाल खिलाड़ी डियागो माराडोना की मृत्यु हो गयी।

डियागो अरमाण्डो माराडोना ने अपनी आत्मकथा अल डियागो में लिखा है कि जब उसने ब्यूनस आयर्स के विला फायोरिटो जैसे गरीब इलाके में फुटबाल खेलना शुरू किया, उसके सपनों की स्थिति लिबेरो (मुक्ति–योद्धा) जैसी थी। माराडोना बताता है, “पूरी पिच मेरे सामने होती थी, मैं समग्रता में पूरे मैच को महसूस कर सकता था, रणनीति बनाता था और पूरे मैदान में दौड़ता था।” एक फुटबाल खिलाड़ी के रूप में अपने 20 साल के शुरुआती जीवन को मेक्सिको में विश्वकप जीतकर शिखर पर पहुँचाने के बाद वह अपने जीवन के दूसरे चरण में प्रवेश कर गया है-- अपनी जोशीली खेल भावना और उसी पवित्र दृष्टिकोण के साथ, जिसने उसे अपने जीवन के पहले भाग में दुनिया के इस सबसे प्रसिद्ध खेल का सबसे प्रसिद्ध खिलाड़ी बनाया, आज वह एक अमरीका विरोधी कार्यकर्ता है।

माराडोना : जीवन की प्रमुख घटनाएँ

1960, 30 अक्टूबर :    ब्यूनस आयर्स (अर्जेण्टीना) की झोंपड़पट्टी में जन्म।

1982 : ब्राजील के खिलाफ वर्ल्ड कप में टीम से निकाला गया, स्पेनी दानव बारसीलोना क्लब के लिए खेलने का अनुबन्ध किया।

1986 : मेक्सिको में हुए वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया जिसमें अर्जेण्टीना की शानदार जीत हुई।

1989 : क्लोडिया बिलाफाने से शादी।

1990 : इटली में वर्ल्ड कप के लिए हुए फाइनल मुकाबले में अर्जेण्टीना जर्मनी के हाथों पराजित हुआ।

1991 : कोकीन का नशा करने के कारण 15 महीने के लिए टीम से बाहर कर दिया गया।

1994 : वर्ल्ड कप में खेला लेकिन नशीले पदार्थों के लिए जाँच में एफेड्रिन पाये जाने पर घर भेज दिया गया।

1997 : फुटबाल से सन्यास ले लिया।

2000 : फिदेल कास्त्रो ने उसे क्यूबा आमन्त्रित किया। फीफा ने उसे लोगों का पसंदीदा ‘‘सहस्राब्दी का खिलाड़ी’’ चुना।

2003 : पत्नी से तलाक।

2004 : दिल का दौरा पड़ा, मृत्यु के कगार पर।

2005 : पेट पर धातु की चादर लगना, टीवी शो की शुरुआत, नवम्बर में मार डेल प्लाटा में जार्ज बुश का विरोध।

2006 : इराक पर अमरीकी हमले की भर्त्सना।

2020, 25 नवम्बर : हार्ट अटैक के चलते मृत्यु


आलोचनाएँ

अर्जेण्टीना के इस महान फुटबाल खिलाड़ी ने अपने पूँजीवाद–विरोधी, अमरीका–विरोधी रुख का इजहार अपने टीवी धारावाहिक कार्यक्रम ‘ला नोचे डेल टेन’ (नम्बर दस की रात) के एक भाग में किया। उसके बाद मार डेल प्लाटा में हुई रैली में उसने बुश को चुनौती दी। यह रैली अमरीका की व्यापारिक नीति के खिलाफ थी और अर्जेण्टीना के शहर में कुछ लातिन अमरीकी देशों के नेताओं के साथ शिखर वार्ता के लिए आ रहे बुश का विरोध् करने के लिए इसका आयोजन किया गया था।

न्यूयार्क टाइम्स के कॉलम लेखक जॉन टायर्ने ने माराडोना को एक पाखण्डी बताते हुए उस पर आरोप लगाया है कि उसने अपने खेल जीवन में दुनिया के निगमों से लाभप्रद सौदे करके खूब धन बटोरा और अब गरीबों के मुक्तिदाता का छद्मवेश धारण कर लिया है।

टायर्ने दूसरे तमाम रुढ़िवादियों की तरह फुटबाल के इस दिग्गज को बाड़ की “दूसरी” ओर से देख रहा है। माराडोना के फुटबाल की तरह उसका निजी जीवन भी एक विद्रोही का जीवन है। 1986 में पश्चिमी जर्मनी के खिलाफ फाइनल मैच में विजयी गोल दागने वाले माराडोना के एक साथी फुटबाल खिलाड़ी जार्ज वल्डानो ने लिखा है कि अर्जेण्टीना की झोंपड़पट्टी में पल–बढ़ रहे लोगों के जीवन को समझने में गेम्बेटा की अवधारणा की केन्द्रीय भूमिका हैं। गेम्बेटा की अवधारणा में दो तत्व शामिल हैं-- सर्वोच्च दक्षता, सृजनात्मकता और चतुराई। 1986 के मेक्सिको विश्वकप में क्वार्टर फाइनल में इंग्लैण्ड के खिलाफ दूसरा “चमत्कारिक गोल” गेम्बेटा का ही एक भाग था। उसी तरह से पहला विवादास्पद “खुदा के हाथ” वाला गोल भी। “मैंने महसूस किया यह गोल अवैध् है। लेकिन रेफरी ने उसे सही गोल मान लिया था। मैंने अपने साथी खिलाड़ियों से कहा कि यदि कोई चोर को लूटे, तो वह 100 साल के लिए क्षमा का पात्र होता है।” यह बात माराडोना ने अपने टीवी धारावाहिक में बतायी। यह स्पष्ट है कि अभिजात अंग्रेजी स्कूलों में तैयार किये गये मॉडलों के नजरिये से खेल भावना को नापने वाले महानुभावों और एक विला फायोरिटा में पले–बढ़े व्यक्ति के बीच बहुत बड़ा फर्क है।

माराडोना खुद को गरीबों का प्रतिनिधि मानता है। अपनी आत्मकथा में वह लिखता है, “इन लोगों को किसी ने कभी अवसर नहीं दिया। अपनी दक्षता और कड़ी मेहनत के बल पर ही उन्हें ऊपर चढ़ना होता है। मैं गूँगों की आवाज हूँ। मेरे मुँह के सामने माइक्रोफोन रखे गये हैं और मुझे उनके लिए बोलने का मौका मिला है। मैं टीवी का इस्तेमाल धनिकों को सावधान करने के लिए कर रहा हूँ कि दुनिया में दूसरे इन्सानों का भी अस्तित्व है। मैं दुनिया को बदल तो नहीं सकता लेकिन सच बोलकर एक इन्सान तो बन सकता हूँ।

निजी समस्याएँ

अपनी बचपन की दोस्त और पत्नी क्लॉडिया से माराडोना का सम्बन्ध् विच्छेद 2002–2004 के बीच उस समय हुआ जब वह कोकीन के नशे की समस्या से बुरी तरह ग्रस्त था और अप्रैल 2004 में नशे के चलते ही दिल का दौरा पड़ने के बाद मरने के कगार पर पहुँच गया था। लेकिन यही क्लॉडिया आज उसकी प्रबन्धक और एजेण्ट है। 2005 के शुरू में मोटापे पर काबू पाने के लिए उसके पेट पर धातु की चादर लगायी गयी थी लेकिन अगस्त के टीवी कार्यक्रम में वह अपेक्षाकृत दुबला नजर आया। इस कार्यक्रम का पहला भाग उसके प्रसिद्ध फुटबाल खिलाड़ी पेले के बारे में था जिसे वह पसंद नहीं करता था।

1987 में माराडोना ने आईएमजी के साथ 10 करोड़ डालर के करार पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया क्योंकि प्रबन्धक समूह उसे दोहरी नागरिकता देना चाहता था-- अर्जेण्टीना, और घबराइये मत, अमरीका की भी। उसने यह सुनिश्चित किया कि उसकी दोनों बेटियाँ अर्जेण्टीना में पैदा हों।

आत्मकथा अल डियागो में माराडोना लिखता है कि उसे कोकीन की लत अपने खेल जीवन में उस समय लगी थी जब वह खिलाड़ियों का शोषण करने वाले शक्तिशाली स्वार्थों से संघर्ष करते हुए अवसादग्रस्त हो गया था। यही वह समय था जब शक्तिशाली लोग जैसे-- फुटबाल क्लबों के डॉयरेक्टर, इटली की लीग के प्रमुख (जो उस समय दुनिया की सबसे शक्तिशाली लीग थी) और अन्तरराष्ट्रीय फुटबाल एशोसिएशन परिसंघ (फीफा) के पदाधिकारी उसके दुश्मन बन गये थे। उसने इटली के क्लबों के आय–व्यय के खुलासे के लिए एक सफल संघर्ष का नेतृत्व किया ताकि खिलाड़ियों का वेतन बढ़ाया जा सके। वह इस खेल की शानदार अनिश्चितताओं पर फलने–फूलने की, कोशिश में लगे शक्तिशाली व्यावसायियों और सट्टेबाजों के खिलाफ लड़ा। 1990 के विश्वकप सेमीफाइनल में उसकी टीम ने मेजबान इटली को हरा दिया और प्रायोजकों और विज्ञापन करने वालों के उस ख्वाब को गड़बड़ा दिया कि फाइनल मैच इटली और जर्मनी के बीच हो। और इसके दण्डस्वरूप, लगभग धार्मिक दण्ड की तरह, अर्जेण्टीना के खिलाफ एक गलत पेनाल्टी देकर फाइनल में उसे हरा दिया गया। माराडोना ने बताया कि “खेल के बाद मैदान में ही मेरी रुलाई फूट पड़ी, इसलिए नहीं कि हम हारे थे बल्कि इस सरासर अन्याय के कारण।”

1994 के बाद

माराडोना गरीबी और दमन का वैश्विक चेहरा था। 1994 में नशीली दवा के परीक्षण में एफेड्रिन पाये जाने के कारण उसे विश्व कप में खेलने के अयोग्य घोषित कर दिया गया। बीबीसी के मुताबिक इससे दुखी होकर बंग्लादेश के 100 से ज्यादा गरीब फुटबाल प्रेमियों ने आत्महत्या कर ली थी। माराडोना ने नेपोली के गरीब दक्षिण इटली के क्लब के साथ उत्तर के अमीरों द्वारा भेदभाव किये जाने पर भी प्रहार किया। उसने 1990 के इटालियन सेमीफाइनल के समय कहा था, “इसमें कुछ भी गलत नहीं है अगर नेपोली के लोग अर्जेण्टीना और मेरा समर्थन करते हैं।” जब मिलान की भीड़ इटली वर्ल्डकप में अर्जेण्टीना की पहली विरोधी टीम कैमरून को शाबासी दे रही थी तो माराडोना ने कहा था, “मैं खुश हूँ कि डियागो माराडोना की वजह से वे नस्लवाद भूल गये हैं।”

माराडोना​ पर फिल्में

El camino de San Diego (2006)

Maradona, the Hand of God (2007)

Maradona by Kusturica (2008)

I Am Diego Maradona (2015)

Maradona (2018)

Maradona (2019)

Maradona in Mexico (2019)

2006 में प्रवेश करने पर माराडोना यह महसूस करता है कि जार्ज बुश की शक्ल फीफा और इटालियन लीग के सरगनाओं की जगह ले चुकी है। (आखिर आज का राष्ट्रपति बुश पहले एक बेसबाल की टीम का मालिक ही तो था।) पहले राउण्ड में माराडोना की जीत हुई है-- बुश को बिना व्यापारिक समझौते के खाली हाथ मारडेल प्लाटा से लौटना पड़ा। उसके दूसरे जीवन की शुरुआत हो चुकी है।

(द हिन्दू मैगजीन, 12 फरवरी 2006 से साभार।)

देश-विदेश अंक 1 में प्रकाशित

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