8 जुलाई, 2024 (ब्लॉग पोस्ट)

इसराइल के खिलाफ लड़े जा रहे बीडीएस आन्दोलन का समर्थन करें

फिलिस्तीन की जनता पर इजरायल का साम्राज्यवादी हमला लगातार जारी है। आज के फिलिस्तीन की सच्चाई को जानने के लिए 1948 के फिलिस्तीन के हालात को समझना जरूरी है, जब ब्रिटेन जैसे साम्राज्यवादी देशों ने इजरायल के निर्माण का समर्थन किया था। इस जायोनी राज्य ने फिलिस्तीनियों की जमीन पर कब्जा करके यहूदियों के एक राष्ट्र का निर्माण किया, उन्हें जबरन उजाड़ा, कत्ल किया और उनके तमाम अधिकार छीने। आज फिलिस्तीनियों का जो कत्लेआम हो रहा है, वह 1948 के ‘नकबा’ के दौरान फिलिस्तीनियों के जातीय संहार की याद दिलाता है, जिसमें 7.5 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनियों को उनकी मातृभूमि से खदेड़ दिया गया था और जिसे  इजरायल अपनी स्वतंत्रता मानता है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे समय में साम्राज्यवाद सबसे विनाशकारी विचारधारा है जिसने फिलिस्तीनियों के सीधे नरसंहार को जन्म दिया है। गाजा पट्टी पर  इजरायल की भयावह बमबारी की तस्वीरें सामने आयी हैं, जिनमें  इजरायल की बमबारी से मारे गये हजारों बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की तस्वीरें हैं और यह आज भी जारी है। ये तस्वीरें फिलिस्तीनी आजादी की मांग के प्रति एक निराशावादी दृष्टिकोण पैदा करती हैं और आज का मीडिया और सोशल मीडिया वेबसाइटें विनाश के इन प्रतिबिम्बों को प्रसारित कर रही हैं और पराजयवादी मानसिकता को बढ़ावा दे रही हैं। यह हमारे युग की चेतना पर साम्राज्यवाद का हमला है तथा यह हमें प्रतिरोध और मुक्ति की राजनीति और संस्कृति से दूर करता है। 

फिलिस्तीनी जनता का जायोनी राज्य के खिलाफ प्रतिरोध आज सबसे ज़्यादा तीव्र है। फिलिस्तीनियों के सशस्त्र प्रतिरोध ने जंग के मैदान में हौसला दिखाया है और जियोनीवादियों को गाजा पट्टी पर और अधिक कब्जा करने से रोका है। युद्ध जारी है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि फिलिस्तीन और बड़े पैमाने पर पूरे मध्य-पूर्व के क्षेत्र को प्रभावित करने वाला बुनियादी अन्तर्विरोध साम्राज्यवाद बनाम जनता का है और इसका मुकाबला पूरे ज़ोर-शोर से किया जाना चाहिए। लेकिन फिलिस्तीनी नरसंहार का वित्तपोषण करने वाली साम्राज्यवादी पूंजी आज केवल अमरीका और ब्रिटेन जैसे कुछ साम्राज्यवादी देशों से ही नहीं आ रही है। यह साम्राज्यवादी पूंजी कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों, संस्थानों, सरकारों और विश्वविद्यालयों से आ रही है जो इजरायल का समर्थन करते हैं।

फिलिस्तीनियों ने इजरायल की हत्यारी पूंजी के स्रोत को पहचान लिया है और प्रतिरोध के एक आंदोलन के रूप में बीडीएस आंदोलन (बहिष्कार, विनिवेश, प्रतिबंध) खड़ा किया है। इसे 2005 में फिलिस्तीनी समाज द्वारा स्थापित किया गया था और यह इन निम्नलिखित लक्ष्यों के लिए काम करता है:

1. सारी अरब भूमि पर इजरायल के कब्जे का अंत और अवैध अपार्थेड दीवार को   ध्वस्त करना;

2. वर्तमान इजरायल में रह रहे फिलिस्तीनी नागरिकों को पूर्ण समानता; और

3. फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए मूल निवास वापसी का पूर्ण अधिकार।

यह आंदोलन इन लक्ष्यों को  पूरा करने के लिए उपभोक्ता बहिष्कार,  इजरायल को वित्तपोषित करने वाले संस्थानों जैसे बैंकों, विश्वविद्यालयों और किसी भी कंपनी के विनिवेश की मांग करता है जो इजरायली उपनिवेशवाद और हिंसा का समर्थन करते हैं। यह आंदोलन सरकारों द्वारा इजरायल को नरसंहार में सहायता करने से रोकने की कोशिश करता है और उन्हें  इजरायल के साथ व्यापार, जैसे सैन्य व्यापार को समाप्त करने के लिए दबाव डालता है। यह ओलम्पिक या फीफा जैसे खेलों में  इजरायल की भागीदारी को प्रतिबंधित करने का भी आह्वान करता है।

उपभोक्ता बहिष्कार तब प्रभावी होता है जब इसे बड़ी संख्या में लोग करते हैं। इसलिए बीडीएस आंदोलन ने उन कंपनियों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है जो इजरायल के साथ व्यापार कर रही हैं। भारत में, हमारे दैनिक जीवन के कई सामान बड़ी-बड़ी देशी-विदेशी कंपनियों  से आते हैं जो इज़राइल का समर्थन करती हैं। बहिष्कार करने वाले ब्रांडों की विस्तृत सूची इंटरनेट पर उपलब्ध है, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्न हैं:

  • नेस्ले (मैगी, नेस्कैफे कॉफी, किटकैट, सेरेलैक आदि) 
  • मोंडेलेज (सभी कैडबरी उत्पाद जैसे डेयरी मिल्क, 5 स्टार, ओरेओ आदि) 
  • पेप्सिको और कोका कोला सॉफ्ट ड्रिंक जैसे मिरिंडा, स्प्राइट, थम्ब्स अप, आदि 
  • फ्रिटोले (लेज़, कुरकुरे, आदि) 
  • यूनिलीवर (वैसलीन, सर्फ एक्सेल, सनसिल्क, ट्रेसमे जैसे कई उत्पाद) 
  • रिलायंस (रिलायंस फ्रेश, ट्रेंड्स, जियो मार्ट आदि)

आम आदमी इन कंपनियों के उत्पादों को खरीदना बंद करके इसका कोई विकल्प चुन सकते हैं, जैसे मैकडॉनल्ड्स या स्टारबक्स जाने के बजाय स्थानीय रेस्तरां में खाना खा सकते हैं, फ्रिटोले, नेस्ले या कैडबरी के उत्पाद न खरीद पार्ले, अमूल या सनफीस्ट के उत्पाद चुन सकते हैं।

बीडीएस आंदोलन ने कई मोर्चों पर सफलता हासिल की है। बीडीएस ने  इजरायल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को काफी हद तक कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मैकडॉनल्ड्स जैसी कंपनियों, जिन्होंने  इजरायली औपनिवेशिक सेनाओं को मुफ्त भोजन प्रदान किया था, उनको कंपनी के खिलाफ बहिष्कार अभियानों के कारण भारी घाटे झेलने पड़े है। बीडीएस की सफलता के उदाहरण दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं।

बीडीएस आंदोलन फिलिस्तीनियों द्वारा संचालित एक आंदोलन है और यह  इजरायल के उपनिवेश के खिलाफ साम्राज्यवाद-विरोधी संस्कृति का हिस्सा है, जैसे कि आज गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के सशस्त्र प्रतिरोध द्वारा दिखाया गया है। फिलिस्तीनी प्रतिरोध और बीडीएस आंदोलन अपने लक्ष्यों को दिन-ब-दिन हासिल कर रहे हैं  और एक अवैध, मारक और हिंसक दमन तंत्र जिसे इजरायली राज्य के नाम से जाना जाता है, चरमरा कर टूट रहा है। इसलिए, बीडीएस जैसे आंदोलन के माध्यम से समर्थन भी फिलिस्तीनी लोगों के मानवाधिकारों के प्रति सच्चे समन्वय का भाव व्यक्त करता है और इसका समर्थन किया जाना चाहिए।

इन्कलाब ज़िंदाबाद! साम्राज्यवाद मुर्दाबाद!

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