पद्म श्री के नाम पर वन संरक्षक आदिवासियों के साथ भद्दा मजाक
पृथ्वी एक मात्र ऐसा ग्रह है जहाँ पर जीवन सम्भव है। यहाँ जीवों की उत्पत्ति और वृद्धि के लिए एक बेहतर पारिस्थितिकीय तंत्र है। मानव इस तंत्र का सबसे श्रेष्ठ जीव है जो धरती पर और उसके पारिस्थितिकीय तंत्र पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव डालता है। हमारे बीच ही ऐसे बहुत से लोग मौजूद है, जो पारिस्थितिकीय तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव के लिए अपना पूरा जीवन लगा देते हैं। वे मानवता के सच्चे सेवक हैं।
वे बिना किसी लोभ–लालच के यह काम करते रहते हंै, लेकिन सरकारें उनकी इस निस्वार्थ सेवा को भी भुनाने के लिए तत्पर रहती हैं। सरकारें धुर–विरोधी सोच के ऐसे लोगों को बड़े–बड़े सम्मानों से नवाज कर अपने पर्यावरण विरोधी कुकर्मों की कालिख कम करने की कोशिश करती हैं।
हाल ही में भारत सरकार ने तुलसी गोडा को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। तुलसी गोडा कर्नाटक के अंकोला तालूका जिले के.. आगे पढ़ें
सीबीआई और इडी के निदेशकों का सेवा विस्तार
वर्ष 2021 के संसद के शीतकालीन सत्र से ठीक पहले केन्द्र सरकार द्वारा दो अध्यादेश पारित किये गये। 9 दिसम्बर को इन्हें संसद मेंे ध्वनि मत से पास भी करा लिया गया। पहला अध्यादेश केन्द्रीय सर्तकता आयोग संशोधन (2021) और दूसरा अध्यादेश दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन (2021) है।
केन्द्रीय सर्तकता आयोग संशोधन में इडी प्रवर्तन विभाग और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन में सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल 5 साल तक बढ़ाने का प्रावधान है। जिसमें गत वर्षों के रिकॉर्ड के आधार पर निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाया जायगा। जब अध्यादेशों को पास किया गया, तब लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने बताया कि यह अध्यादेश सीबीआई और इडी के निदेशकों का कार्यकाल 5 साल तक सीमित करने के लिए है। इन अध्यादेशों से पहले सीबीआई और इडी के निदेशकों का कार्यकाल 2 साल का था।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भ्रष्टाचार और घुसखोरी की जाँच के.. आगे पढ़ें
बेरोजगारों पर प्रयागराज में बरसी पुलिस की लाठियाँ
(प्रयागराज में तैयारी कर रहे छात्रों की आपबीती पर ग्राउंड रिपोर्ट)
24 जनवरी 2022 को पुलिस द्वारा बेरोजगारी का दंश झेल रहे छात्रों की बर्बर पिटाई पूरे देश ने देखी। देश भर में इसके लिए शासन–प्रशासन तंत्र की भर्त्सना की गयी। नौजवान देश के कर्णधार कहे जाते हैं। देश की प्रगति में सार्थक ऊर्जा लगा सकते हैं। वे नौकरी के लिए ही आन्दोलन कर रहे थे, जिसके लिए उनके साथ आतंकवादियों जैसा बर्ताव किया गया। उन्हें मां–बहन की गालियाँ दी गयीं। जब गालियाँ देने पर भी वे हॉस्टल से बाहर नहीं आये तो उनके हॉस्टल के दरवाजे–खिड़कियाँ तोड़कर उन्हें बाहर निकाला गया। सड़क पर दौड़ा–दौड़ा कर बेरहमी से पीटा गया। यह कोई अंग्रेजी राज की घटना नहीं, बल्कि आजादी का अमृत महोत्सव मनाने और विश्व गुरु का दावा करने वाले समय की घटना है। इस घटना की कल्पना मात्र ही सहमा देने वाली है। सोचिए, अगर उन छात्रों की जगह.. आगे पढ़ें
‘रोही’ विकास पर कुर्बान एक गाँव की दास्तान
(फोटो साभार गूगल से)
“अपनी मिट्टी को छिपाएँ आसमानों में कहां, उस गली में भी न जब अपना ठिकाना हो सका”
25 नवम्बर को मुझे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जेवर रैली में जाने का मौका मिला। इसी दिन प्रधानमंत्री ने नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट जेवर का शिलान्यास किया। हमेशा की तरह ही प्रधानमंत्री की इस रैली की चकाचौन्ध भी निराली थी और हमेशा की तरह ही उन्होने अपने भाषण में विकास, समृद्धि, रोजगार के लम्बें चौड़े दावे भी किये।
रैली से वापस लौटते हुए, रैली स्थल से बामुश्किल एक किलोमीटर दूर मुझे एक डरावना मंजर नजर आया। मैं जेवर हवाई अड्डे पर कुर्बान हो गये रोही गाँव के पास से गुजर रहा था। सड़क के किनारे खड़े होकर देखने से ऐसा लगता है जैसे खुदाई में निकली कोई बस्ती हो। धीरे–धीरे आप इसके नजदीक जायेंगे तो आपको गलियाँ, कुएँ, चौराहें, मकानों की अदखुदी नींवे, ढहे–फूटे मकान और इनका समुच्चय एक उजडा.. आगे पढ़ें
बुद्धि को भ्रष्ट कर रहा फेसबुकी प्रेत
एनएन नेटवर्क पर एसएसआरएस प्लेटफॉर्म द्वारा किये गये एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि चार में से तीन अमरीकी वयस्कों का कहना है कि फेसबुक अमरीकी समाज को तबाह कर रहा है। 55 फीसदी लोगों ने इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों को ही इसका दोषी माना है। जबकि 45 फीसदी का कहना है कि यह सब फेसबुक के काम करने के तरीके का ही परिणाम है। 49 फीसदी अमरीकियों ने बताया है कि वे कम से कम एक ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो फेसबुक पर उपलब्ध सामग्री के कारण साजिश के सिद्धान्त में विश्वास करने लगा है। ऐसी सोच रखने वालों में युवा लोगों की संख्या अधिक है। 35 साल से कम उम्र के 61 फीसदी वयस्कों का कहना है कि फेसबुक पर परोसी गयी सामग्री के कारण उनकी पहचान का कोई न कोई व्यक्ति इस तरह की साजिश का शिकार हुआ है।
सूचनाओं के आदान–प्रदान.. आगे पढ़ें
कनाडा: कोविड टीका की अनिवार्यता के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों का प्रदर्शन, राजधानी ओटावा को घेरा
“फ्रीडम कॉन्वॉय” आंदोलन में हजारों कनाडाई नागरिक भी शामिल हैं,घबड़ाई सरकार ने आपातकाल की घोषणा कर दी है तो कोर्ट ने 10 दिनों के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
मांग पूरी होने तक वापस न लौटने पर अडिग हैं आंदोलनकारी
कोविड प्रतिबंधों और ड्राइवरों को अनिवार्य तौर पर कोविड टीका लगाने के फरमान के खिलाफ कनाडा के ट्रक ड्राइवरों का अमेरिकी सीमा से लगी राजधानी ओटावा में प्रदर्शन लगातार जारी है। आंदोलन को तमाम देशों के लोगों का समर्थन मिल रहा है।
इससे घबड़ाई कनाडा की सरकार ने रविवार को राजधानी में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। जबकि सोमवार को कनाडा की एक अदालत ने ओटावा शहर में वाहनों के हार्न के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए 10 दिनों के लिए अस्थायी रूप से निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शनकारी कनाडा संसद के बाहर जमे हुए हैं। हाथों में काले झंडे लिए आजादी के.. आगे पढ़ें
जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का तर्कहीन मसौदा
सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक विकास के क्षेत्र में काम करने वाले हम जैसे कई लोग हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित-- उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक, 2021-- को देखकर पूरी तरह भयभीत भले ही ना हो लेकिन आश्चर्यचकित हैं। यह मुख्यतः दो बच्चे पैदा करने पर केन्द्रित है, जिसमें उल्लंघन के लिए दंड और कानून का पालन करने के लिए कई तरह के प्रोत्साहनों का उल्लेख किया गया है। इसके खिलाफ तेजी से बढ़ रही नकारात्मक प्रतिक्रिया का कारण इसमें निहित विभिन्न खतरें हैं, और साथ ही यह भी कि अधिकतर विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि ‘विकास सबसे अच्छा गर्भनिरोधक है' और यह भी कि प्रोत्साहन के द्वारा जनसख्ंया स्थिरीकरण की बात बहुत पहले ही अतार्किक साबित हो चुकी है।
1994 के शुरू में इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन पॉपुलेशन एंड डेवलपमेंट (यूएन 1994) का कार्रवाई का मसौदा, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर.. आगे पढ़ें
मोदी के प्रति हमारी अंधभक्ति से विकराल हुआ कोविड संकट
26 अप्रैल को दिल्ली के एक श्मशान का दृश्य। हर दिन यह कोविड मामलों का नया रिकॉर्ड बना रहा है। 25 अप्रैल को भारत में 352951 नए कोविड के मामले सामने आए थे और 2812 लोगों की मौत हुई थी। (दाएँ फोटो, अदनान आबिदी)
फिलहाल भारत एक जीता-जागता नरक बना हुआ है। हर दिन यह कोविड मामलों का नया रिकॉर्ड बना रहा है। 25 अप्रैल को भारत में 3,52,951 नए कोविड के मामले सामने आए थे और 2812 लोगों की मौत हुई थी। अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मरीज मर रहे हैं। 21 अप्रैल को महाराष्ट्र के नासिक के एक अस्पताल में तकरीबन 24 मरीज ऑक्सीजन की कमी से मर गए और उसके दो दिन बाद दिल्ली में इसी कारण से 25 लोगों की जान गई। लेकिन अगले दिन 24 अप्रैल को सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला कि “यह सुनिश्चित किया जा रहा है.. आगे पढ़ें
एक मज़दूर की बेटी ने पीएम मोदी को लिखी जवाबी चिट्ठी, पूछे पांच सवाल
मज़दूरों के हिस्से सिर्फ संवेदना ही आएगी क्या प्रधानमंत्री जी!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पत्र को पढ़ने के बाद मज़दूर की बेटी ने प्रधानमंत्री से पांच सवाल किए हैं।
शनिवार को पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा कर लिया है। इस मौके पर मोदी ने एक चिट्ठी लिखा था। इसमें उन्होंने मज़दूरों के दर्द के प्रति ‘गहरी संवेदना’ ज़ाहिर की है।
इस पत्र के जरिए उन्होंने प्रवासी श्रमिकों, मजदूरों और अन्य लोगों के प्रति संवेदना भी प्रकट की जिन्हें कोरोना संकट के दौरान जबरदस्त पीड़ा झेलनी पड़ी है।
उन्होंने भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि ‘भारत आर्थिक पुनरुथान में एक मिसाल कायम करेगा और दुनिया को आश्चर्यचकित कर देगा जैसे उसने कोरोना महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में किया था।’
अभी भी मज़दूरों के घर जाने का सिलसिला जारी है और उन्हें अभी भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जो पहुंच गए हैं.. आगे पढ़ें
96 प्रतिशत प्रवासी श्रमिकों को सरकार से राशन नहीं मिला, 90 प्रतिशत को लॉकडाउन के दौरान मजदूरी नहीं मिली: एक सर्वेक्षण
विभिन्न राज्यों में फंसे 11,159 प्रवासी श्रमिकों के सर्वेक्षण में पाया गया कि 8 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच, 90 प्रतिशत से अधिक श्रमिकों को सरकार से कोई राशन नहीं मिला। इनमें से लगभग 90 प्रतिशत को उनके नियोक्ताओं ने कोई भुगतान नहीं किया है। 27 मार्च से 13 अप्रैल के बीच हुए सर्वेक्षण में शामिल 70 प्रतिशत श्रमिकों के पास 200 से भी कम रूपये बचे थे।
भोजन और धन में गिरावट
चार्ट में उन प्रवासी श्रमिकों का प्रतिशत दिखाया गया है, जिन्हें सरकार या अन्य स्रोतों से, राशन या पका हुआ भोजन नहीं मिला और जिन्हें 8 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच नियोक्ताओं ने कोई भुगतान नहीं किया। जबकि इस दौरान जिन श्रमिकों को सरकार या अन्य स्रोतों से पका हुआ भोजन मिला उनके प्रतिशत में मामूली सुधार हुआ, इनमें से अधिकांश को सरकार से राशन या अपने नियोक्ताओं से मजदूरी नहीं मिली।
क्या फंसे हुए.. आगे पढ़ें
भगवानपुर खेड़ा, मजदूरों की वह बस्ती जहाँ सूरज की रोशनी भी नहीं जाती!
(कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है। जिन्दगी अस्त-व्यस्त हो गयी है। इस लॉकडाउन की सबसे बुरी मार मजदूर वर्ग पर पड़ रही है। जमीनी हालात का पता लगाने के लिए और राहत देने के लिए विकल्प मंच, शाहदरा के कुछ सदस्य 40 किराये के मकानों में गये, जहाँ बड़ी संख्या में मजदूर रहते हैं। वहां जिस तरह के हालात देखने को मिले, वह कल्पना से परे तो हैं ही। साथ ही उसने हमें झकझोर कर रख दिया। यहाँ उसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग दी जा रही है। उम्मीद है कि पाठक इससे काफी जानकारी हासिल करेंगे। हमारी आपसे गुजारिश है कि हमें अपनी प्रतिक्रिया से जरुर अवगत कराएं।)
गरीबी, कंगाली, जहालत भारी जिंदगी, भिखारी तो देखे थे। मगर मजदूर जो दुनिया का सृजनकर्ता है जिस के दम पर सारी फैक्ट्रियां, नगर निगम के काम, सार्वजनिक साफ़-सफाई, हॉस्पिटल के तमाम काम चलते हैं। उसकी सबसे बुरी दुर्दशा हो.. आगे पढ़ें
कोरोना महामारी से दुनिया में भय का माहौल : मुनाफ़ा नहीं, इंसानियत ही दुनिया को बचा सकती है
अमरीका आर्थिक, तकनीकी और सामरिक मामले में दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अमरीका धरती का स्वर्ग माना जाता है और वह ऐसा दावा भी करता है. इस दावे की हवा निकलती दिख रही है. किसने यह सोचा था कि कोरोना के मरीजों की संख्या 80 हजार से ऊपर पहुँच जायेगी. उसके हर अस्पताल के सामने मृतकों का ढेर लग जाएगा. केवल न्यूयार्क में 385 लोगों की मौत हो चुकी है और 37 हजार से अधिक बीमार हैं. कोरोना महामारी के आगे अमरीका की ऐसी दुर्दशा हो रही है कि दुनिया भर के लोग दाँतों टेल ऊँगली दबा ले रहे हैं. यह ट्रम्प प्रशासन की असफलता नहीं है, बल्कि अमरीकी पूँजीवाद की असफलता है, जिसका मॉडल इस तरह विकसित किया गया है कि वह सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के आगे लाचार नजर आ रहा है. मुनाफे पर केन्द्रित अमरीकी पूँजीवादी व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी.. आगे पढ़ें
जेफ बेजोस का भारत दौरा और पीयूष गोयल का विवादास्पद बयान
नई दिल्ली में आयोजित वैश्विक संवाद सम्मेलन ‘रायसीना डायलॉग’ में पीयूष गोयल ने कहा, “अमेजन एक अरब डॉलर निवेश कर सकती है... इसलिए ऐसा नहीं है कि वे एक अरब डॉलर का निवेश कर भारत पर कोई एहसान कर रहे हैं।” इस बयान पर कारोबारी जगत में हलचल मच गयी है। इसे जहां एक ओर विदेशी निवेश के लिए घातक माना जा रहा है वहीँ दूसरी ओर, आनलाइन कंपनियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे छोटे दुकानदार को लुभानेवाला बताया जा रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कहना है कि ‘सरकार का यह बयान भारत के कारोबारी हित में नहीं है। यह भारत में होने वाले विदेशी निवेश पर बुरा असर डालेगा और इससे विदेशी निवेशक देश से पूँजी लेकर जा सकते हैं।’
सरकार का यह बयान देश के हालात के बारे में एक तस्वीर पेश करता है। इस तस्वीर में एक त्रिभुज है— जिसके तीन कोनों पर क्रमश: विदेशी पूँजी.. आगे पढ़ें