डिजिटल युग में मीडिया
डिजिटल मीडिया तेजी से हमारे जीवन पर कब्जा कर रहा है - चाहे वह सोशल मीडिया हो, डिजिटल क्लासरूम हो या नेटफ्लिक्स जैसे ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म। यहां तक कि विश्व कप का प्रसारण भी न केवल टीवी बल्कि विभिन्न ऐप के माध्यम से भी किया जा रहा है।
आज के नौजवानों का अपने मोबाइल फोन के साथ एक भावनात्मक रिश्ता है, वे हमें केवल उनकी मोबाइल स्क्रीन के लोड होने तक के बीच ही समय देते हैं। डिजिटल मीडिया के उभार के साथ, हमें ताकतवर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का भी उभार देखने को मिलता है जो तेजी से यह तय करता है कि हम अपने समाचार और मनोरंजन कैसे हासिल करें और साथ ही यह दुनिया के सबसे बड़े एकाधिकारियों में से एक बने।
जबकि अक्सर इन डिजिटल प्लेटफॉर्म, जैसे कि गूगल और फेसबुक/मेटा, को मीडिया से अलग करते हुए सोशल मीडिया कहा जाता है, आज हमें यह पहचानने.. आगे पढ़ें
कोविड-19 : आईसीएमआर क्यों नहीं सार्वजनिक कर रही कोविड कार्यबल की बैठकों के मिनट्स
विद्या कृष्णन स्वास्थ्य मामलों की पत्रकार हैं और गोवा में रहती हैं. 20 अप्रैल 2020 को कारवाँ मैगजीन में उनका एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसका शीर्षक है— “कोरोनावायरस : कारवां के सवालों का आईसीएमआर ने नहीं दिया जवाब, क्यों नहीं सार्वजनिक कर रही कोविड कार्यबल की बैठकों के मिनट्स.” इस लेख में उन्होंने अपने 15 अप्रैल को कारवां में अंग्रेजी में छपे लेख का जिक्र भी किया है, जिसका शीर्षक है-- “मोदी सरकार ने कोरोना संबंधी जरूरी फैसलों से पहले आईसीएमआर द्वारा गठित कार्यबल से नहीं ली सलाह.” इन दोनों लेखों के चुनिन्दा अंशों को यहाँ दिया जा रहा है.
कोविड-19 के लिए गठित देश के 21 शीर्ष वैज्ञानिकों वाले राष्ट्रीय कार्यबल (टास्क फोर्स), जिसे महामारी के संबंध में नरेन्द्र मोदी सरकार को सलाह देनी थी, उसके चार सदस्यों का कहना है कि देशव्यापी तालाबंदी या लॉकडाउन को बढ़ाने की घोषणा करने से पहले कार्यबल की बैठक ही.. आगे पढ़ें