एक मज़दूर की बेटी ने पीएम मोदी को लिखी जवाबी चिट्ठी, पूछे पांच सवाल
मज़दूरों के हिस्से सिर्फ संवेदना ही आएगी क्या प्रधानमंत्री जी!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पत्र को पढ़ने के बाद मज़दूर की बेटी ने प्रधानमंत्री से पांच सवाल किए हैं।
शनिवार को पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा कर लिया है। इस मौके पर मोदी ने एक चिट्ठी लिखा था। इसमें उन्होंने मज़दूरों के दर्द के प्रति ‘गहरी संवेदना’ ज़ाहिर की है।
इस पत्र के जरिए उन्होंने प्रवासी श्रमिकों, मजदूरों और अन्य लोगों के प्रति संवेदना भी प्रकट की जिन्हें कोरोना संकट के दौरान जबरदस्त पीड़ा झेलनी पड़ी है।
उन्होंने भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि ‘भारत आर्थिक पुनरुथान में एक मिसाल कायम करेगा और दुनिया को आश्चर्यचकित कर देगा जैसे उसने कोरोना महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में किया था।’
अभी भी मज़दूरों के घर जाने का सिलसिला जारी है और उन्हें अभी भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जो पहुंच गए हैं उन्हें क्वारंटीन सेंटरों में बिना खाना-पानी के रखा जा रहा है।
जो चंद श्रमिक ट्रेनें चलाई गईं उनमें सैकड़ों मज़दूर भूख प्यास से मर चुके हैं और अभी तक उनके मरने का सिलसिला जारी है।
उधर पूरे देश में श्रम क़ानून ख़त्म किए जा रहे हैं, कां के घंटे बढ़ा कर 12 घंटे किए जा रहे हैं, जिन कंपनियों ने सैलरी नहीं दी, उन्हें छूट दे दी गई।
इन्हीं बातों को लेकर पांच सवाल ये हैं-
ट्रेनों में 80 मज़दूरों की मौत का जिम्मेदार कौन है ?
रेलेव पुलिस बल ने शनिवार को बताया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में अब तक 80 मज़दूरों की मौत हो चुकी है, ये आंकड़ा 9 से 27 मई के बीच का है।
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, अभी पूरे डेटा को साझा नहीं किया गया है। ये पहले चरण का ही डाटा है, यानी मज़दूरों के मौत का आंकड़ा अभी और भी बढ़ सकता है।
सरकार के एक साल पूरे करने पर आपने देश वासियों को पत्र लिखा, लेकिन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 80 मज़दूरों के मुआवज़े का ऐलान क्यों नहीं किया?
कोरोना काबू करने में आपकी सरकार सफल रही?
कोरोना को काबू में करने के लिए आप ने बिना योजना के लॉकडाउन की घोषणा कर दी, क्या आप की सरकार कोरोना को काबू में कर पाई है?
भारत में पहला कोरोना का मरीज 31 जनवरी को इटली से राजस्थान आए एक व्यक्ति में मिला।
जब पहला लॉकडाउन हुआ उस वक्त कोरोना के मामले केवल 500 ही थे। बावजूद इसके मरीजों की संख्या दो लाख पहुंच चुकी है। कृपया देशवासियों को बताएं कि लॉकडाउन से क्या हासिल हुआ है?
संवेदना देने के अलावा आपने क्या किया?
महाराष्ट्र के जालना रेल लाइन के पास रेल पटरी पर सो रहें 16 मज़दूरों को 8 मई को रेल हादसे में मौत हो जाती है।
इस पर आप ट्वीट के लिखते हैं, ‘महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेल हादसे में जानमाल के नुकसान से बेहद खौफजदा हूं। रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात कर हो चुके हैं और वह स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। आवश्यक सभी संभव सहायता प्रदान की जा रही है।’
फिर संवेदना को व्यक्त करते हुए आपने ट्वीट किया, ‘उत्तर प्रदेश के औरैया में सड़क दुर्घटना बेहद ही दुखद है। सरकार राहत कार्य में तत्परता से जुटी है। इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं, साथ ही घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’
हर बार मज़दूरों की मौत पर आप के खाते से संवेदना ही हमारे हिस्से में आती है।
हवाई जहाज, हवाई चप्पल वाले वादे को क्यों भूल गए?
आपने 27 अप्रैल 2017 में हिमांचल प्रदेश के शिमला में अपने एक भाषण के दौरान कहा था कि ‘जो व्यक्ति हवाई चप्पल पहनकर घूमता है, वह हवाई जहाज में भी दिखना चाहिए, यह मेरा सपना है।’
लेकिन इस लॉकडाउन की घड़ी में प्रवासी मज़दूरों को हवाई जहाज तो दूर साइकिल और पैदल चल रहे मज़दूरों की बर्बर पुलिसिया पिटाई की गई।
मज़दूरों की पिटाई पर संवेदना क्यों नहीं?
जिस समय मज़दूर पिट और मर रहे थे आपकी सरकार श्रम क़ानून ख़त्म करने के रोज़ नए नए फरमान जारी कर रही थी। आपकी ही सरकार यूपी में जिसने तीन साल के लिए श्रम क़ानूनों को रद्द कर दिया।
जिस राजस्थान सरकार ने काम के 12 घंटे कर दिए, उसकी आपने पीठ थपथपाई, ऐसा क्यों किया प्रधानमंत्री जी आपने?
(साभार वर्कर यूनिटी)