फिदेल कास्त्रो: सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के हिमायती
यह लेख 21 दिसम्बर 2016 को डाउन-टू-अर्थ की वेबसाइट पर छप चुका है। लेकिन कोरोना महामरी के मौजूदा दौर में क्यूबा, फिदेल कास्त्रो और उनकी सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था फिर से चर्चा के केंद्र में आ गयी है। इसी को ध्यान में रखते हुए उस लेख के हिंदी अनुवाद को यहाँ फिर से साभार प्रस्तुत किया जा रहा है।
फिदेल एलेजांद्रो कास्त्रो रूज़ का निधन वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। लगभग आधी सदी तक फिदेल क्यूबा के नेता रह। उन्होंने न केवल देश के भीतर स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के अनुकरणीय पहल का नेतृत्व किया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय क्यूबा के डॉक्टर विकासशील देशों में पहुंचकर वहाँ की जनता को अपनी सेवाएं दे सकें। फिदेल के नेतृत्व में क्यूबा के चिकित्सा वैज्ञानिकों ने बहुत सारी बीमारियों, जिनमें मेनिन्जाइटिस से लेकर कैंसर तक शामिल थे, उनके इलाज़ और बचाव के लिए अत्याधुनिक उपायों का विकास किया।
राजनीतिक घेरे से अलग, कुछ लोग क्यूबा की हेल्थकेयर प्रणाली की उत्कृष्ट सफलताओं पर विवाद करेंगे क्योंकि फिदेल और उनके साथियों ने 1959 में देश की क्रांति का नेतृत्व किया था। देश के राष्ट्रपति के रूप में, फिदेल ने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के विकास को लगातार बढ़ावा दिया। इसमें सार्वजनिक अस्पतालों और समुदाय आधारित क्लीनिकों का व्यापक नेटवर्क स्थापित करना, निवारक और प्रचारक स्वास्थ्य उपायों पर जोर देना और डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण के लिए एक अनूठी प्रणाली का निर्माण करना शामिल है।
फिदेल ने 1980 के दशक से ही ‘परिवार के डॉक्टर और नर्स’ कार्यक्रम के सृजन का समर्थन किया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि क्यूबा के हर इलाके में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा दी गयीं। देश की शिशु मृत्यु दर प्रति 1,000 में 4.2 है जो लातिन अमेरिकी देशों में सबसे कम है और यहां तक कि अमेरिका की शिशु मृत्यु दर से भी कम है, जबकि इसकी प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य देखभाल का खर्च अमेरिकी खर्च के केवल एक छोटे अंश के बराबर है।
1963 से क्यूबा अपने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को विकासशील देशों में आपातकालीन स्थिति पड़ने पर वंचित आबादी की मदद के लिए सीमा से बाहर भेजता रहा है। आज भी, 30,000 से अधिक क्यूबाई स्वास्थ्य सेवाकर्मी, जिन्हें "सफेद कोट की सेना" कहा जाता है, वे 60 से अधिक देशों में काम कर रहे हैं। वे 2005 के भूकंप के दौरान उत्तरी पाकिस्तान के उन सुदूर क्षेत्रों में पहुंचनेवाले पहले स्वास्थ्यकर्मी थे, जहाँ बहुत बड़ी क्षति हुई थी। 2,500 से अधिक क्यूबाई स्वास्थ्यकर्मियों ने बेहद कठिन परिस्थितियों में भी घायलों का इलाज़ और ऑपरेशन किया तथा उनकी जान बचाई। जब पश्चिमी अफ्रीका में इबोला महामारी फैली, उस समय क्यूबा की चिकित्सा टुकड़ी सभी देश की चिकित्सा टीम में सबसे बड़ी विदेशी टीम थी, जिसने सिएरा लियोन, गिनी और लाइबेरिया में लोगों की देखभाल और इलाज़ किया। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने क्यूबा के डॉक्टरों के बारे में कहा था, “वे आनेवालों में हमेशा पहले और छोड़नेवालों में आखिरी होते हैं। वे संकट खत्म होने के बाद भी बने रहते हैं। क्यूबा अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर गर्व कर सकता है, जो कई देशों के लिए एक मॉडल है।”
फिदेल के नेतृत्व में क्यूबा ने 1999 में ‘लैटिन अमेरिकन स्कूल ऑफ मेडिसिन’ की स्थापना की, जिसने सौ से अधिक देशों के लगभग 30,000 चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया है। अगर देखें तो आज दुनिया में क्यूबा ही ऐसा विकासशील देश है जिसने वैश्विक स्वास्थ्य के विकास में विशिष्ट योगदान देकर अपनी अलग छवि बनायी है। अब जबकि फिदेल हमारे बीच नहीं हैं, हमें विश्वास है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए उन्होंने जो नींव रखी है, वह लंबे समय तक चलेगी और जनता के स्वास्थ्य के लिए प्रतिबद्ध लोगों को प्रेरित करती रहेगी।
अनुवाद -- परिवा डोबरियाल