दिसंबर 2018, अंक 30 में प्रकाशित

एरिक्सन की सर्वोच्च न्यायालय से अपील : अनिल अम्बानी को देश से बाहर न जाने दें

अनिल अम्बानी के देश छोड़कर भागने की आशंका जताते हुए एरिक्सन कम्पनी ने सर्वोच्च न्यायालय में एक अपील दायर करके कहा कि अम्बानी पर कड़ी नजर रखी जाये। अनिल अम्बानी की कम्पनी रिलायंस कम्युनिकेशन (आरकॉम) पर लगभग 45 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। देश के पूँजीपतियों द्वारा बैंकों के कर्ज न चुकाने और देश छोड़कर भाग जाने के सिलसिले को देखते हुए अनिल अम्बानी के देश छोड़कर भाग जाने की सम्भावना चिन्ता का विषय है। अब तक नीरव मोदी 12 हजार करोड़, विजय माल्या 9 हजार करोड़ और ललित मोदी 7 हजार करोड़ रुपये लेकर नौ–दो–ग्यारह हो चुके हैं। देश के ऐसे कई और कारोबारी भी बैंकों के हजारों करोड़ रुपये लेकर रफ्फू–चक्कर हुए हैं।

स्वीडन की टेलिकॉम उपकरण निर्माता कम्पनी एरिक्सन ने 2014 में आरकॉम के टेलिकॉम नेटवर्क के परिचालन और प्रबंधन के लिए 7 साल का करार किया गया था। जिसके चलते आरकॉम पर एरिक्सन का 978 करोड़ रुपये बकाया था जो बढ़कर 1600 करोड़ हो गया। आरकॉम ने 30 सितम्बर 2018 तक 550 करोड़ रुपये चुकाने का वादा किया था लेकिन पैसे नहीं चुका पायी। जिसे लेकर एरिक्सन ने 1 अक्टूबर 2018 को सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की और अनिल अम्बानी और आरकॉम के दो वरिष्ठ अधिकारियों को देश से बहार न जाने देने की माँग की।

क्या अनिल अम्बानी की हैसियत नहीं है कि वे पैसे चुका सकें? क्या अनिल अम्बानी कंगाल हो गये हैं या फिर ये उनकी बदनीयती है?

पूँजीपतियों द्वारा बैंकों के कर्ज चुकाने में मनमानी करने या देश छोड़ कर भाग जाने की घटनाएँ आये दिन की बात हो गयी हें उन्हें भगाने में सरकार की साँठ–गाँठ के किस्से भी सामने आ रहे हैं। इसके चलते खुद बैंक ही दिवालिया होने की कगार पर पहुँच चुके हैं। बैंकों का दस लाख करोड़ से भी अधिक पैसा एनपीए में चला गया है। मार्च 2015 से मार्च 2018 के बीच 6.2 लाख करोड़ रुपये एनपीए में चले गये। बैंकों की खस्ता हालत होने के बावजूद अति लघु, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को कर्ज देने के लिए सरकार द्वारा रिजर्व बैंक पर दबाव बनाया जा रहा है और सरकार रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 7 को लागू करके रिजर्व बैंक के क्रियाकलाप में हस्तक्षेेप करना चाहती है ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ है। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा है कि यदि सरकार रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 7 लागू करती है तो वे इस्तीफा दे देंगे।

आज पूँजीपतियों और सरकार के बीच साँठ–गाँठ हो गयी है। वे सरकार से अपने मन मुताबिक नीतियाँ पारित करवाते हैं जिससे उनका मुनाफा अधिक से अधिक बढ़ सके और बैंकों से अधिक से अधिक कर्ज लिया जा सके।

अनिल अम्बानी की कम्पनी आरकॉम पर 45 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के विजया बैंक ने अनिल अम्बानी ग्रुप की अगुवाई वाली रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग के कर्ज को एनपीए में डालना पड़ा है। इसके अलावा कम्पनी पर आईडीबीआई बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के समूह का 9000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था। कर्ज देने वाले बैंकों में अधिकतर सरकारी बैंक थे। इस हालत में एरिक्सन की चिन्ता वाजिब है। कौन जाने अनिल अम्बानी कब उसका रुपया मारकर भाग जाये या सरकार ही उसे भगा दे। हाल ही में अमरीकी संसद की रिपोर्ट में भी सामने आया है कि हजारों भारतीय उससे राजनीतिक शरण माँग रहे हैं।

 
 

 

 

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