पेरू में तख्तापलट
सम्पदा है जहाँ, अमरीका की गन्दी चाल है वहाँ–––
7 दिसम्बर, 2022 को अमरीका ने पेरू में चुनी हुई सरकार का तख्तापलट करवा दिया। 2021 में लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुने गये राष्ट्रपति पेद्रो कास्तियो को उनके राष्ट्रपति भवन से गिरफ्तार करके 18 महीने की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। इससे पहले उन्हें दो बार पद से हटाने की असफल कोशिशें की गयी थीं। अब उनकी जगह पूर्व उप–राष्ट्रपति दिना बेलुरते को गद्दी पर बैठाया गया है।
पेद्रो कास्तियो, पहले देहात के एक स्कूल में शिक्षक थे। उन्होंने देश के संसाधनों के जनहित में इस्तेमाल के मुद्दों पर आन्दोलन चलाया। इससे राष्ट्रीय राजनीति में उनकी जगह बन गयी। अपने राजनीतिक जीवन में आगे बढ़ते हुए पेद्रो एक वामपंथी पार्टी ‘पेरू लिब्रे’ के नेतृत्व के पद पर पहुँच गये। इसी पार्टी की तरफ से उन्होंने जून 2021 में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा। चुनाव में पेद्रो ने ताम्बे की खदानों समेत इसके पूरे कारोबार का राष्ट्रीयकरण करने का वादा किया। इसके अलावा उन्होंने रोटी–कपडा–मकान जैसी जनता की बुनियादी जरूरतों और कोविड महामारी के प्रभाव में कंगाल हुए लाखों गरीब लोगों की मदद को भी मुद्दा बनाया और चुनाव में भारी बहुमत से जीत हासिल की।
इस चुनाव में उनका मुकाबला ‘फुएरजा पॉपुलर पार्टी’ की प्रमुख किको फुजीमोरी से था। यह 1992 में पेरू में सैन्य तख्तापलट करने तथा नरसंहार करने जैसे संगीन जुर्म में 25 साल की कैद काट रहे अल्बेर्ताे फुजीमोरी की बेटी हैं। मजेदार बात यह है कि पेद्रो कास्तियो के खिलाफ मौजूदा संसद ने भ्रष्टाचार तथा दूसरे आरोपों के साथ ही अल्बेर्ताे फुजीमोरी जैसा तख्तापलट करने का आरोप भी लगाया है। पश्चिम देशों का साम्राज्यवादी मीडिया इसे खूब उछाल रहा है।
जून 2021 में सत्ता सम्हालते ही पेद्रो कास्तियो ने पेरू के ताम्बे के भण्डारों का राष्ट्रीयकरण करना शुरू कर दिया। इससे पहले की सरकारों ने इन्हें निजी पूँजीपतियों को सौंप दिया था। इसके साथ ही उन्होंने नवउदारवादी नीतियों को पलट दिया और जन कल्याणकारी नीतियाँ लागू करने की शुरुआत कर दी।
सत्ता में आने के बाद से ही फुएरजा पॉपुलर पार्टी पेद्रो कास्तियो की सरकार के काम में लगातार बाधा डाल रही थी। यह पार्टी अमरीकापरस्त है। फुएरजा पॉपुलर पार्टी ने अमरीकी साम्राज्यवादियों के साथ मिलकर पहले तो पेरू लिब्रे पार्टी के साथ गठबन्धन में शामिल छोटे दलों को उससे अलग होने पर मजबूर किया और बाद में, जुलाई 2022 में खुद पेद्रो को पार्टी से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। उनका असली मकसद था–– ताम्बे की खदानों का राष्ट्रीयकरण और जन कल्याणकारी नीतियों को रोकना। इसके लिए पेद्रो और उनके परिजनों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये। अपनी पार्टी को विशेष सुविधा देने का आरोप लगाकर जाल में फँसाया गया। पेरू के मीडिया पर अमरीकी साम्राज्यवादियों और देशी पूँजीपतियों का कब्जा है, इसके दम पर जनता के एक अच्छे–खासे हिस्से को पेद्रो की सरकार का विरोधी बना दिया गया।
पेरू दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ताम्बा निर्यातक देश है। इसके निर्यात आय का 60 प्रतिशत हिस्सा ताम्बे से आता है और इसका जीडीपी में योगदान 10 प्रतिशत है, लेकिन इस कारोबार का पूरा मुनाफा निजी पूँजीपतियों की जेब में चला जाता है। इससे साम्राज्यवादी देशों की कम्पनियाँ मालामाल होती रही हैं।
जिस तरह साम्राज्यवादियों ने बोलीविया में स्थानीय निवासियों की पक्षधर इवो मोरालेस की सरकार का तख्तापलट करवाया जिनका मकसद वहाँ के लिथियम भण्डार पर कब्जा करना है। उसी तरह पेरू में पेद्रो कास्तियो की सरकार के तख्तापलट का उद्देश्य ताम्बे के भण्डार पर कब्जा करना है। इसके बारे में मुख्यधारा का मीडिया पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है।
दिसम्बर में तख्तापलट से पहले पेद्रो कास्तियो ने एक खुली चिट्ठी जारी की थी। इसमें उन्होंने साफ बताया था कि किको फुजीमोरी के नेतृत्व में पेरू के पूँजीपतियों ने अमरीकी सरकार और कम्पनियों के साथ जन विरोधी गठबन्धन कायम किया है। इस गठबन्धन का मकसद ताम्बे के भण्डार को हथियाना है।
अमरीकी खुफिया संस्था सीआईए में 9 साल तक अधिकारी रहे लिसा किएना को 2022 में अमरीकी राजदूत बनाकर पेरू भेजा गया था। उसी समय जाहिर हो गया था कि अमरीका मौजूदा सरकार में तोड़फोड़ की कार्रवाई करेगा। 7 दिसम्बर को तख्तापलट से ठीक पहले दिन अमरीकी राजदूत ने पेरू के नव–नियुक्त रक्षामन्त्री के साथ वार्ता की थी। इस दौरान रक्षा मन्त्री अपनी तरफ से ट्विटर और सोशल मीडिया के दूसरे माध्यमों से लगातार सेना को राष्ट्रपति का साथ न देने का निर्देश दे रहा था।
पेद्रो कास्तियो द्वारा संसद भंग करने से ठीक पहले अमरीकी दूतावास से उन्हें फोन करके धमकी दी गयी थी कि उन्हें सत्ता से हटाकर उनके खिलाफ मुकद्दमा चलाया जायेगा और अगर वे उससे बचना चाहते हैं तो अमरीका या उसके किसी सहयोगी के दूतावास में शरण ले सकते हैं।
पेद्रो कास्तियो को जब तक हालात की गम्भीरता का अन्दाजा लगता, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वे कोई कार्रवाई करते इससे पहले ही जरखरीद सांसदों ने तमाम सरकारी विभागों और सेना को अपने साथ लेकर तख्तापलट को अंजाम दे दिया।
कोलंबिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, वेनेजुएला समेत 14 लातिन अमरीकी देशों ने पेरू में पेद्रो कास्तियो की सरकार के तख्तापलट का खुला विरोध किया है और इसके लिए अमरीकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। पेद्रो कास्तियो ने आर्गेनाईजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट्स के प्रतिनिधि को मदद के लिए गुहार लगायी थी, लेकिन इस संस्था के हस्तक्षेप से पहले ही तख्तापलट को अंजाम दिया जा चुका था। आर्गेनाईजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट्स ने भी इस तख्तापलट की निन्दा की है। इसे गैर–लेकतांत्रिक करार दिया है।
पेरू के सांसदों ने अपने राष्ट्रपति और राष्ट्र से गद्दारी करके संविधान विरोधी काम किया है। मजेदार बात यह है कि दुनियाभर में मनावाधिकार के पहरेदार ह्यूमन राइट्स वाच ने इस गद्दार संसद को भंग करने के “जुर्म” में पेद्रो कास्तियो को ‘संविधान तथा लोकतंत्र विरोधी’ कहा है।
सांसद भले ही अपने राष्ट्रपति और राष्ट्र से गद्दारी करके साम्राज्यवादियों की गोद में जाकर बैठ गये हों, लेकिन पेरू की जनता अपने देश की स्वायत्ता के लिए आज भी देश की सड़कों पर संघर्ष कर रही है।
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