सहकारी बैंक घोटालों का जारी सिलसिला
नया साल शुरू होते ही भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंगलोर के श्री राघवेन्द्र सहकारी बैंक में जमा खातों से धन निकासी की सीमा तय कर दी और निर्देश दिया कि इस बैंक का कोई भी ग्राहक अगले आदेश तक अपने खाते से 35,000 रुपये से अधिक की धनराशि नहीं निकाल सकता। साथ ही बैंक के नये निवेशों की इजाजत पर 6 महीने के लिए रोक लगा दी। इस बैंक की बैंगलोर में 8 शाखाएँ हैं। 31 मार्च 2018 तक इसके सदस्यों की संख्या 8614 थी, जिन्होंने बैंक में कुल 52 करोड़़ रुपये का निवेश किया था। बैंक में कुल जमा राशि 1566 करोड़़ रुपये थी, जबकि इसके द्वारा 1150 करोड़़ रुपये के कर्ज बाँटे जा चुके थे। इसमें से 372 करोड़़ रुपये एनपीए यानी बट्टे खाते में जा चुके हैं जो केवल 62 खाता धारकों का कर्ज है। एनपीए की यह रकम निवेश पूँजी के 7 गुने से भी अधिक है तथा बैंक में जमा कुल रकम की एक चैथाई है। बैंक के 80 प्रतिशत ग्राहक वरिष्ठ नागरिक हैं, जिन्होंने अपनी जिन्दगी भर की बचत बैंक में जमा की थी जिसके ब्याज से अपने बुढ़ापे को आसान बनाना चाह रहे थे, आज वह दूर की कौड़ी बन गयी है।
जब बैंक ग्राहकों ने शोर–शराबा और शिकायतें की तो बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने पाई–पाई लौटाने का आश्वासन देकर ग्राहकों को टरका दिया। बीजेपी के एक सांसद ने भी ट्वीट द्वारा ग्राहकों को खोखली सांत्वना दी। मौजूदा हालत यह है कि बैंक किसी भी ग्राहक की रकम नहीं लोटा सकता। बैंक लगभग दिवालिया हो चुका है। यह मुम्बई के पंजाब और महारास्ट्र सहकारी बैंक घोटाले की अगली कड़ी है।
आरबीआई ने बताया की बैंक ने साल 2018–19 के ऑडिट किये हुए वित्तीय खाते घोषित नहीं किये थे। यह कई सालों से इन कर्जों की ‘एवरग्रीनिंग’ कर रहा था यानी जो कर्जदार ब्याज या किश्त जमा नहीं कर पाता उसे दूसरा कर्ज देकर उससे ब्याज या किश्त को जमा करा लिया जाता था, जिससे कर्ज के एनपीए में जाने का पता न लगे। इसी तरह से पीएमसी बैंक ने भी हजारों लोगों की जिन्दगी भर की जमा पूँजी एक कम्पनी को कर्ज में उठा दी थी। वह कम्पनी बर्बाद हो गयी, जिसकी वजह से हजारों लोग कंगाली की हालत में आ गये और 10 से ज्यादा बैंक खाता धारकांे की जान चली गयी। पीएमसी बैंक की 6 राज्यों में 137 शाखाएँ थीं, जिनमें 1814 कर्मचारी काम करते थे। इसे देश के शीर्ष 10 सहकारी बैंको में गिना जाता था। इस बैंक में जमा कुल धनराशि 8880 करोड़़ में से 6500 करोड़़ रुपये का कर्ज रियल एस्टेट के व्यापार में लगी एक कम्पनी एचडीआईएल को दिया गया था। 21 हजार से ज्यादा फर्जी खाते खोलकर यह कर्ज दिया गया। इतना सब कुछ होने के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने दावा किया कि भारतीय बैंकिंग व्यवस्था मजबूत और स्थिर है। पीएमसी बैंक जैसे किसी एक काण्ड की वजह से पूरी बैंकिंग व्यवस्था को नहीं आकना चाहिए। लेकिन गवर्नर का दावा कितना सही था उसकी असलियत श्री राघवेन्द्र सहकारी बैंक घोटाले से सामने आ गयी।
इन दोनों ही मामलों से सरकारी बैंकों पर निजी कम्पनियों के साथ साँठ–गाँठ और उन्हें अपने मुनाफे के लिए इस्तेमाल किये जाने की हकीकत का पता चलता है। पीएमसी बैंक के मामले में वित्त मंत्री ने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए कहा था कि यह मामला आरबीआई के आधीन है। इसमें वे कुछ नहीं कर सकते। श्री राघवेन्द्र सहकारी बैंक के मामले में भी सरकार का रवैया हवाई आश्वासनों तथा सांत्वना तक ही सीमित है। बैंकों में जनता की कमाई को लूटने का यह खेल व्यवस्थित तरीके से वर्षों से खेला जा रहा है। निजी कम्पनियों का बैंकों से कर्ज के नाम पर इतनी बड़ी रकम हासिल करना बिना बैंक अधिकारियों, शासन–प्रशासन की मिलीभगत के असम्भव है।
वास्तविकता यह है कि ये बड़ी–बड़ी कम्पनियाँ अकसर कर्ज वापस नहीं करती हैं, बल्कि सरकारों व बैंकों के साथ साँठ–गाँठ के चलते हर बार ज्यादा से ज्यादा कर्ज लेती रहती हैं। यह बात आरबीआई के आकड़ों से अधिक स्पष्ट हो जाती है, जिसके अनुसार पिछले एक साल में 25 सहकारी बैंकों के लेन–देन में भारी अनियमिताएँ पायी गयीं।
Leave a Comment
लेखक के अन्य लेख
- समाचार-विचार
-
- आरटीआई पर सरकार का बड़ा हमला 17 Nov, 2023
- कोयला खदान मजदूरों की जद्दोजहद 14 Mar, 2019
- कोरोना और कुम्भ मेला 20 Jun, 2021
- बलात्कार के आरोपी को बचाने की कवायद 15 Oct, 2019
- बांग्लादेश की घटना का भारत में साम्प्रदायिक इस्तेमाल 13 Sep, 2024
- बेरोजगार भारतीय मजदूर इजराइल जाने के लिए विवश 6 May, 2024
- भारत में अमीरी–गरीबी की बढ़ती खाई 13 Apr, 2022
- भारत में निरंकुश शासन : वी–डैम की रिपोर्ट 20 Aug, 2022
- यस बैंक की तबाही : लूट का नतीजा 10 Jun, 2020
- सहकारी बैंक घोटालों का जारी सिलसिला 8 Feb, 2020
- स्विस बैंक में 50 फीसदी कालाधन बढ़ा 15 Aug, 2018
- राजनीति
- पर्यावरण
-
- ‘स्वच्छ भारत’ में दुनिया की सबसे जहरीली हवा 17 Feb, 2023