जून 2023, अंक 43 में प्रकाशित

रामनवमी के समय बंगाल में साम्प्रदायिक हिंसा

रामनवमी पर पिछले साल की तरह इस साल भी बंगाल में साम्प्रदायिक आग भड़क उठी। बंगाल के हावड़ा और नॉर्थ दिनाजपुर जिले में 30 मार्च को विश्व हिन्दू परिषद द्वारा निकाले गये रामनवमी जुलुस के दौरान हिंसा हुई। 24 घण्टे बाद शिवपुर में दुबारा पत्थरबाजी हुई। हावड़ा के हुगली में भी आगजनी और हिंसा हुई। जिले के रिशरा में 2 अप्रैल रविवार को हिन्दुत्ववादी संगठनों द्वारा शोभायात्रा निकाली गयी। इसी दौरान दो गुटों के बीच पत्थरबाजी हुई। इस हिंसा में 20 से ज्यादा दुकानों में तोड़फोड़ हुई, 10 से ज्यादा वाहनों को जला दिया गया, 3 पुलिस वालों समेत 15 से भी अधिक लोग घायल हुए। पिछले साल भी रामनवमी जुलूस के समय हिंसा हुई थी। हिंसा के बाद हावड़ा जिले में धारा 144 लगा दी गयी। केवल बंगाल ही नहीं, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश के 8 से अधिक शहरों में रामनवमी के दिन साम्प्रदायिक हिंसा हुई।

रामनवमी का त्योहार मुख्यत: उत्तर भारत में ही मनाया जाता रहा है। भाजपा सरकार जबसे सत्ता में आयी है, तबसे हिन्दुत्ववादी लगातार इस कोशिश में लगे रहते हैं कि इस त्योहार को देश के बाकी हिस्सों में भी मनाया जाये। इनके प्रयास से पश्चिम बंगाल में भी रामनवमी मनायी जाने लगी है जिससे बंगाल में साम्प्रदायिक हिंसा की जमीन तैयार होनी शुरू हो गयी। हम जानते हैं कि भारत में अलग–अलग धर्मों, जातियों और क्षेत्रों के अपने–अपने रीति–रिवाज, संस्कृति और त्योहार हैं, बाहर से अगर उनपर अलग संस्कृति थोपी गयी तो टकराव की जमीन बनेगी ही। यही वजह है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं का स्थानीय लोगों से टकराव पैदा हुआ है और सम्प्रदायिक माहौल बनता चला गया है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट और प्रोफेसर नृसिंह प्रसाद भादुड़ी कहते हैं कि बंगाल में रामनवमी के बजाय श्री कृष्ण की पूजा ज्यादा होती रही है।

बंगाल में भी हिन्दुत्ववादी संगठन साम्प्रदायिक माहौल बनाने में काफी हद तक सफल होते नजर आ रहे हैं। इसी का नतीजा है कि सालों से प्रेम और सौहार्द के साथ रहने वाले स्थानीय हिन्दू और मुस्लिम समुदाय में दरार पड़ने लगी है। उन्होंने रामनवमी पर पत्थरबाजी को लेकर एक–दूसरे पर आरोप लगाया। प्रत्यक्षदर्शियों का मानना है कि रामनवमी की आड़ में जुलूस में शामिल भीड़ मुस्लिम इलाके में घुस गयी और हाथों में हथियार लहराते हुए उनके खिलाफ नारे लगाये। डीजे पर उग्र धार्मिक और भड़काऊ गाने बज रहे थे। इसीलिए माहौल खराब हो गया और हिंसा शुरू हो गयी।

अंग्रेजों ने इस इलाके में हिन्दू–मुस्लिम के बीच दरार डालने की घिनौनी कोशिश की थी, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम के नायकों ने हिन्दू–मुस्लिम एकता बनाये रखने के लिए जी–जान से कोशिश की। इससे दोनों समुदायों में सौहार्द कायम हुआ था। पिछले 10 सालों में हिन्दू–मुस्लिम के बीच की दरार बहुत तेजी से चैड़ी हुई है। 2014 में आयी भाजपा सरकार ने हिन्दुत्ववादी ताकतों को बेलगाम छोड़ दिया है। वे खुलेआम धर्मनिरपेक्षता का मजाक उड़ाते हैं और हिन्दू राष्ट्र का नारा लगाते हैं। भाजपा के मन्त्री और नेता तथा आरएसएस ने हिन्दुत्ववादी सोच को आक्रामक तरीके से बढ़ावा दिया। हर जगह ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जिससे मुस्लिम समुदाय के अन्दर भय पैदा हो। लोकतांत्रिक संस्थाएँ मूकदर्शक बनी हुई हैं। इससे समाज का तेजी से साम्प्रदायीकरण हो रहा है। हिन्दू साम्प्रदायिकता की प्रतिक्रिया में मुस्लिम साम्प्रदायिकता भी बढ़ रही है। इससे भाजपा का ही फायदा हो रहा है, लेकिन समाज का अमन–चैन खतरे में पड़ गया है। मासूम लोग और मेहनतकरश जनता की जिन्दगी तबाह हो रही है। वह दोनों पाटों के बीच पिस रही है।

पिछले साल, बंगाल में हिंसा शाम को रोजा खोलने के समय रामनवमी का जुलूस निकालने पर हुई थी और इस साल भी यही हुआ। किसी समझदार इनसान के मन में यह सवाल उठ सकता है कि जिस इलाके में 60 प्रतिशत आबादी मुस्लिम हो उस इलाके में रामनवमी का जुलुस इतने भड़काऊ तरीके से क्यों निकाला गया? जब प्रशासन ने जुलूस का रूट अलग दिया था तो जुलूस मुस्लिम बहूल इलाके में कैसे पहुँच गया? जुलूस में हथियार ले जाने की इजाजत किसने दी? रामनवमी जैसे पावन त्यौहार के जुलूस में भड़काऊ नारे और खून बहानेवाले हथियार का क्या काम था? क्या यह पहले से दंगा भड़काने की सुनियोजित चाल नहीं थी? पुलिस हिंसा के समय क्या कर रही थी? इससे जाहिर होता है कि रामनवमी के दौरान हिंसा पहले से ही सोची–समझी साजिश का नतीजा थी।

हिन्दू धर्म में श्रीराम को मर्यादा का प्रतीक माना जाता रहा है, लेकिन भाजपा और हिन्दुत्ववादी संगठन श्रीराम का नाम अपने राजनीतिक स्वार्थ को पूरा करने के लिए करते रहे हैं, चाहे इससे समाज में वैमनस्य ही क्यों न पैदा हो जाये। श्रीराम के जन्मदिन पर हिन्दुत्ववादियों द्वारा माहौल को खराब करना बहुत ही निन्दनीय है। वे सोचते हैं कि श्रीराम का नारा लगाकर धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने से वे सभी पापों से बच जायेंगे। आज किसी मुस्लिम नौजवान को अकेला और निहत्था पाकर उन्मादी हिन्दुत्वादी भीड़ जय श्रीराम का नारा लगाते हुए उसे मार–मार कर अधमरा कर देती है। हिन्दुत्ववादी संगठन लगातार लोगों के मन में नफरत और दहशत बैठाने का काम कर रहे हैं। अगर सभी धर्मों के बीच भाईचारा कायम नहीं किया गया और उनके उन्मादी कार्रवाइयों का जवाब नहीं दिया गया तो वे समाज को गर्त में ले जाकर ही छोड़ेंगे।

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