मई 2024, अंक 45 में प्रकाशित

विपक्षी मुख्यमंत्रियों का दिल्ली में धरना प्रदर्शन

8 फरवरी 2024 को नयी दिल्ली में जन्तर–मन्तर पर केन्द्र सरकार के खिलाफ विपक्षी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने विरोध प्रदर्शन किया। मुद्दा था–– केन्द्र सरकार द्वारा उनके राज्यों को धन के आवंटन में उपेक्षा और पक्षपात का। विरोध प्रदर्शन में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवन्त मान, जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, सीपीआई के महासचिव डी राजा, सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी और अन्य लोग शामिल हुए। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और पश्चिम बंगाल की सरकार ने भी धन के आवंटन में अन्याय का विरोध किया और जन्तर मन्तर में हुए विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया।

भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। जब केन्द्र सरकार द्वारा धन के आवंटन में भेदभाव को लेकर विपक्षी राज्यों के मुख्यमंत्री एकजुट हुए और दिल्ली तक आये। विपक्षी मुख्यमंत्रियों ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि जिस राज्य में भाजपा की सरकार है वहाँ वह धन का आवंटन समय पर कर रही है। लेकिन जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। इससे उनके राज्यों के विकास पर गहरा असर पड़ रहा है। केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि भाजपा की संघी सरकार द्वारा भारत के संघीय ढाँचे को बहुत बड़ा झटका लग रहा है जो राज्यों के वित्तीय संसाधनों को खा रहा है।

मोदी सरकार का चाटुकार मीडिया और भाजपा की आईटी सेल ने विरोध प्रर्दशन के मुद्दे को दक्षिण और उत्तर भारत में बाँटने की घिनौनी चाल चली। जबकि प्रर्दशन दक्षिण भारत के साथ उत्तर भारत के दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री भी शामिल थे। भाजपा सरकार द्वारा 1 जुलाई 2017 को लागू जीएसटी कानून में यह तय किया गया था कि इसे लागू करने के बाद पहले पाँच साल में राज्यों के राजस्व का जो भी नुकसान होगा, उसकी भरपाई केन्द्र सरकार करेगी। लेकिन केन्द्र सरकार विपक्षी राज्यों को उनके राजस्व का हिस्सा देने से इनकार कर दिया।

ऐसा लग रहा है कि मोदी सरकार दिल्ली, पंजाब, बंगाल, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक आदि राज्यों के लोगों को इस देश का नागरिक नहीं मानती है। इतना ही नहीं, वह संवैधानिक रूप से चुनी गयी राज्य सरकारों की शक्तियों को कमजोर कर रही है। आज केन्द्र सरकार विपक्षी राज्य सरकारों को न केवल फण्ड देने से इनकार कर रही है, बल्कि उनकी बाँह मरोड़ने के लिए केन्द्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल भी कर रही है। विपक्ष के कई नेताओं और मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है।

भाजपा सरकार ऐसे कानून बनाने पर आमादा है जो राज्यों की शक्तियों और कम कर देंगे। यहाँ तक कि वह राज्य के कानून और व्यवस्था पर भी दखल दे रही है जो संघीय ढाँचे के लिए नुकसानदेह है। कृषि, शिक्षा, बिजली के मामले में राज्यों के अधिकारों को कमजोर करने वाले कानून बनाये गये हैं। राज्यों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर उनकी राय लिये बिना बहुराष्ट्रीय समझौते किये जा रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है भाजपा ने विपक्षी दलों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है।

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