जून 2023, अंक 43 में प्रकाशित

छात्रों के हकों पर डाकेजनी

2023 में ‘राजीव गाँधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस’ योजना के तहत 245 छात्रों का चयन हुआ। इनमें से 73 बच्चे आला अफसर, आईएएस, आईपीएस और मंत्रियों के हैं गरीबों के बच्चे कहाँ हैं?

20 अक्टूबर 2021 को राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने जोर–शोर से ‘राजीव गाँधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस’ योजना की शुरुआत यह कहकर की कि अब गरीबों के प्रतिभावान बच्चे भी विदेश जाकर पढ़ सकते हैं। इसके लिए हमने विदेश की 150 नामी यूनिवर्सिटी को चुना हैं जिनमें ऑक्सफोर्ड, हावर्ड और कैंब्रिज जैसी यूनिवर्सिटी शामिल हैं।

सरकार ने वायदा किया कि जिन बच्चों का चयन इस योजना के तहत किया जाएगा, उनका पूरा खर्च सरकार के जिम्मे होगा। इस योजना के लाभार्थी वही होंगे जिनकी पारिवारिक आय लाख रुपये से कम है। 30 प्रतिशत सीटें लड़कियों के लिए रिजर्व की गयी थीं।

लेकिन 2023 की शुरुआत में ही अफसरों और अधिकारियों ने सरकार के साथ मिलकर यह कहते हुए नियमों में बदलाव कर दिया कि बच्चों की संख्या पूरी नहीं होंगी और तीन कैटेगरी वाला नया नियम लागू कर दिया। नये नियम में तय किया गया है–– (ए) 8 लाख रुपये से कम पारिवारिक आय वाले छात्र का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। (बी) 8 से 15 लाख रुपये पारिवारिक आय वाले छात्रों का ट्यूशन खर्च 100 प्रतिशत और पढ़ाई का खर्च 50 प्रतिशत सरकार देगी। (सी) 25 लाख रुपये से ज्यादा पारिवारिक आय वाले छात्रों का केवल 100 प्रतिशत ट्यूशन खर्च सरकार देगी।

क्या किसी गरीब और हाशिये पर रहने वाले परिवार की आय 8 लाख रुपये होती है। पहले ही गरीबों के बच्चों को इस योजना से न के बराबर लाभ मिलता क्योंकि इस योजना में रिजर्वेशन सिस्टम का कोई प्रावधान ही नहीं था। दूसरी तरफ सरकार ने नियम को बदलकर 25 लाख रुपये कर दिया, आखिर 25 लाख रुपये किस गरीब परिवार की आय है?

नियमों में बदलाव करते ही इसके परिणाम भी हमारे सामने हैं–– 245 बच्चों में से 14 आईएएस, आईपीएस के बच्चे, 15 केन्द्रीय अवसरों के बच्चे, विशाल रानावत उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव का बेटा और सरकार के करीबी मंत्रियों अधिकारियों के कुल 73 बच्चों का चयन किया गया। अगर 73 बच्चे इनके हैं तो इनसे नीचे व्यापारी, सरकारी नौकरी करने वालों के बच्चे कितने होंगे, इसका हम बखूबी अन्दाजा लगा सकते हैं। फिर गरीबों के बच्चों का नम्बर कहाँ आएगा? यह साफ–साफ हमारी आँखों के सामने है कि गरीब और गरीबी शब्द का मखौल उड़ाया जा रहा है।

राजस्थान के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री से जब इस योजना के घोटाले के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब आया “मानदंड यह तय किया गया है कि पहले उन्हें लाभ मिलेगा जो कमजोर हैं।” इसके बाद इस मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया। कोई जाँच नहीं हुई, कोई बात आगे नहीं बढ़ी।

स्कॉलरशिप घोटाला करने का मामला राजस्थान तक ही सीमित नहीं है इससे पहले और इसके बाद घोटाले होते रहे हैं और हो रहे हैं। करोड़ों के घोटाले इस तरह होते हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं।

अप्रैल 2023 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के 18 लोगों पर 100 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप गबन करने के आरोप में एफआईआर हुई, कॉलेज के कर्मचारी और बैंककर्मियों ने फर्जी दस्तावेज तैयार करके बच्चों की स्कॉलरशिप का गबन कर दिया। 45 करोड़ रुपये के घोटाले की तो पुष्टि भी हो चुकी है।

2019 में पंजाब स्कॉलरशिप घोटाला, पोस्ट मैट्रिक की 55 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप में बच्चों को सिर्फ 16 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 39 करोड़ रुपये गायब थे। 4 साल बाद मार्च 2023 में आरोपियों को सिर्फ बर्खास्त किया गया।

ऐसे ही हर साल करोड़ों की स्कॉलरशिप हमारे देश के नेता, अफसर और अधिकारियों द्वारा डकार ली जाती है। स्कॉलरशिप न मिलने से लाखों बच्चों को मजबूरी में पढ़ाई छोड़नी पड़ती है या वे कर्ज लेकर आगे की पढ़ाई करते हैं। फिर सालों तक उस कर्ज को भरना पड़ता है। अगर कोई काम नहीं मिलता, तो उनमें से कुछ हताश–निराश हो खुदकुशी कर लेते हैं। देश के भविष्य के साथ सरकारें और अफसर खिलवाड़ कर रहे हैं। क्या इस तरह हम बेहतर भविष्य का सपना देख सकते हैं?

Leave a Comment