अप्रैल 2022, अंक 40 में प्रकाशित

जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस की गुपचुप खरीद का खुला रहस्य

हाल ही में प्रकाशित न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुप्त तरीके से 300 करोड़ रुपये में इजराइल से पेगासस नामक जासूसी सॉफ्टवेयर खरीदा है। यह खरीद प्रधानमंत्री ने 2017 में अपनी इजराइल यात्रा के दौरान की थी। उस यात्रा के दौरान भारत और इजराइल के बीच 2 अरब डॉलर का रक्षा समझौता भी हुआ था। दरअसल, पेगासस सॉफ्टवेयर इजरायल की एक कम्पनी (एनएसओ) ने बनाया है। यह सॉफ्टवेयर एक साथ 50 से ज्यादा लोगों का मोबाइल डाटा कण्ट्रोल कर उसकी चैट, ईमेल, फोटो आदि की जानकारी लीक कर सकता है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से फोन के कैमरा और ऑडियो को हैक करके फोन के आस–पास होने वाली सभी गतिविधियों को भी रिकॉर्ड किया जा सकता है। यह रिपोर्ट यूपी समेत पाँच राज्यों के चुनाव से ठीक पहले प्रकाशित की गयी थी। इसलिए विपक्षी पार्टियाँ बीजेपी पर हमलावर हो गयी हैं। लेकिन प्रधानमंत्री ने इन सभी आरोपों का अब तक कोई जवाब नहीं दिया है।

सवाल यह उठता है कि आखिर देश के प्रधानमंत्री को एक जासूसी सॉफ्टवेयर की क्या जरूरत आन पड़ी है ? मोदी सरकार पर पहले भी कितनी ही बार जजों, वकीलों, विपक्षी नेताओं समेत पत्रकारों की जासूसी कराने के आरोप लग चुके हैं। 2019 में व्हाट्सएप ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा था कि भारतीय सरकार प्रभावशाली लोगों की जासूसी करा रही है। दरअसल बीजेपी ने सत्ता में आते ही एक तरफ तो सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग आदि स्वायत्त संस्थाओं को अपने नियंत्रण में लेने का काम शुरू कर दिया, वहीं दूसरी तरफ उनके खिलाफ बोलने वाले पत्रकारों और नौकरशाहों को दबाने का काम भी कर रही है। इसके लिए बीजेपी ने साम, दाम, दंड और भेद की नीति अपनायी है। अमित शाह का मुकदमा देख रहे जज लोया की रहस्यमय परिस्थिति में मौत से भाजपा के ऊपर कई सवाल उठे। योगी आदित्यनाथ ने यूपी का मुख्यमंत्री बनते ही अपने ऊपर लगी संगीन धाराओं को खत्म करवा दिया लेकिन न्यायपालिका से किसी भी तरह का कोई विरोध नहीं दिखा। यह केवल एक दो घटनाएँ नहीं है बल्कि बीजेपी के सत्ता में आते ही चाहे वह चुनाव में धाँधली का मामला हो या फिर झूठे केस में सामाजिक कार्यकर्ताओं को फँसाकर जेल भेजने का मामला हो, इसकी एक लम्बी फेरिस्त मौजूद है। जनता से बड़े–बड़े वादे करके बीजेपी आज हर मोर्चे पर फिसड्डी साबित हुई है। ऐसे में जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर अपने ही देशवासियों की जासूसी कराने का आरोप भाजपा को महँगा पड़ सकता है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार सरकार को फटकार लगायी है, लेकिन बेहया सरकार के ऊपर कोई असर नहीं हुआ।

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